मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधु समझता।
शत्रु मेरा बन गया है छल रहित व्यवहार मेरा।।
प्रश्न: सर, क्या यह पंक्तियाँ सही कह रही हैं?
उत्तर: विवेक,
छल रहित होना कभी कमज़ोरी नहीं होती।
निश्छलता आती है इस गहरी आश्वस्ति के साथ कि मुझे छल, धोखा, चालाकी की ज़रुरत… read_more