अध्यात्म में संकल्प लेने का महत्व है कि नहीं? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
कुलक्षये प्रणश्यति कुलधर्माः सनातनाः।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्सन्धर्मोऽभिभवत्युत।।
हे अर्जुन, जिसको संन्यास कहते हैं उसी को तुम योग जानो क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरूष योगी नहीं होता।
~ श्रीमद्भगवद्गीता, छठा अध्याय, दूसरा श्लोक
प्रश्नकर्ता: संकल्पों के बिना कोई जीवन में आगे कैसे बढ़ें? निष्काम कर्म… read_more