गुरुकृपा क्या होती है? || तत्वबोध पर (2019)
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति, पूजामूलं गुरुर्पदम्।
मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं, मोक्षमूलं गुरूर्कृपा॥
ध्यान का मूल, गुरु की मूर्ति है।
पूजा का मूल, गुरु के चरण कमल हैं।
मंत्र का मूल, गुरु के शब्द हैं।
मोक्ष का मूल, गुरु की कृपा है।
—(गुरुगीता, श्लोक ७६)
प्रश्नकर्ता: गुरुकृपा क्या होती है?
आचार्य प्रशांत: अगर तुम सच-सच… read_more