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अपने भीतर शक्ति कैसे विकसित करें?
अपने भीतर शक्ति कैसे विकसित करें?
10 min
भीतर फौलाद तभी आता है जब जीवन फौलाद से टकराता है। जब तक सामने कोई बड़ी समस्या नहीं होगी, तुम्हारे भीतर ताकत बस सोई रहेगी, जगेगी नहीं। समस्या आविष्कृत नहीं करनी है। समस्याएँ तो होती ही हैं, हम उनसे मुँह चुराते हैं क्योंकि पता होता है कि समस्याओं का सामना करने का दम नहीं है। दम विकसित करना हो तो जिन समस्याओं से मुँह चुराते रहे हो, उनसे जूझ जाओ। मार पड़ेगी, चोट लगेगी, दर्द होगा, लेकिन ताकत विकसित हो जाएगी।
महिला-पुरुष दोनों शोषित, तो शोषक कौन?
महिला-पुरुष दोनों शोषित, तो शोषक कौन?
15 min
अज्ञान का दूसरा नाम शोषण है। जो आज अपनेआप को शोषित कह रहा है, वो भीतर- ही- भीतर तैयारी करके बैठा है कि कल शोषण करूँगा। तो जो आज का शोषित है, वो कल का शोषक बनता है। हमें ये नहीं करना है कि संतुलन ला दिया और संतुलन का मतलब हुआ कि अब दोनों बराबर का शोषण करेंगे। वो कोई संतुलन नहीं होता है। हमें ये करना है कि जो शोषण का मूल कारण ही है उसको मानव मात्र के भीतर से हटा दें।
असली ताकत और सुंदरता क्या है?
असली ताकत और सुंदरता क्या है?
7 min
ज्ञान है आपकी असली ताकत; आपका कौशल आपकी असली ताकत है; आपने दुनिया कितनी देखी है, ये आपकी असली ताकत है। अगर शरीर की भी सुंदरता की बात करनी है तो शरीर की सुंदरता है शरीर की ताकत, फिटनेस। शरीर ताकतवर रखो, फिट रखो।
अचानक कोई दुविधा आ जाये तो क्या करें ?
अचानक कोई दुविधा आ जाये तो क्या करें ?
12 min
होश में आओ और फिर होश को जाने मत दो, पानी जैसे हो जाओ। किसी पथरीले पहाड़ पर पानी की एक धार छोड़ो, देखो, वो कैसे अपना रास्ता तय करती है। पहाड़ है पथरीला, ऊबड़-खाबड़ चट्टानों से भरा हुआ, कहीं गड्ढा, कहीं कुछ और तुमने धार छोड़ी है। धार कहीं रुककर के विचार नहीं करती कि कौन सा मार्ग मेरे लिए ठीक है, कौन सा नहीं। उसे पता है किधर को जाना है। वो समर्पित है उस जगह पहुँच जाने को, जिसके बाद गति की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। नीचे कोई तालाब होगा, एक बार धार वहाँ तक पहुँच गयी, क्या उसके बाद भी बहती है?
प्रेम के बदले नफ़रत क्यों मिलती है?
प्रेम के बदले नफ़रत क्यों मिलती है?
4 min
आपको क्या करना था? प्रेम। और आपने प्रेम कर लिया, अब तकलीफ़ क्या है? आपको सिर्फ़ प्रेम ही भर नहीं करना था, कामना कुछ और भी थी। क्या कामना थी? दूसरे से उत्तर भी मिले, कुछ लाभ भी हो, कुछ मान-सम्मान हो। दूसरा भी नफ़रत इसलिए करता हो क्योंकि उसको पता है कि हम सिर्फ़ प्रेम नहीं कर रहे हैं, प्रेम में उम्मीद छुपी हुई है। प्रेम बड़ी स्वतंत्रता की बात है—'तुझे हक़ है, तू जो करना चाहे, करे।' प्यार देने की चीज़ तो हो सकती है, लेने की बिल्कुल नहीं।
How to Utilize Time?
How to Utilize Time?
13 min
The real issue is not about time at all. You are spending time exactly according to your values. Don’t ask how to utilize time. Ask yourself, "Do I know what is truly valuable?" When you are clear about what is truly valuable in life, all your time will be devoted to that. Become clear. Know what is truly valuable.
छठे महाविनाश की शुरुआत हो चुकी है!
छठे महाविनाश की शुरुआत हो चुकी है!
4 min

पृथ्वी पर आज तक पाँच बार महाविनाश हो चुका है। महाविनाश माने सारे जीव जंतुओं का संपूर्ण नाश।इतिहास में 5 बार पृथ्वी का तापमान बेहिसाब बढ़ा, और ग्रह पर जीवन ही समाप्त हो गया।

और अब, छठे महाविनाश की शुरुआत हो चुकी है!और इस छठे महाविनाश का कारण भी

आज की पीढ़ी क्यों बर्बाद हो रही है?
आज की पीढ़ी क्यों बर्बाद हो रही है?
12 min
आदमी बेहतर तब बनता है जब उसे अपनी कमियों का एहसास होता है, और यह एहसास दुख, असफलता, और निराशा से आता है। आज मेहनत और ज्ञान से ज़्यादा कीमत पैसे और स्टाइल की है, जिससे वर्तमान पीढ़ी को अपनी असफलता और अज्ञानता का दुख भी नहीं होता। जब तक उनका ऊँचाइयों से परिचय नहीं होगा, वे नीचे ही रहेंगे। इसलिए आज सही संगति की और गुण-ज्ञान अर्जित करने की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि असली सुंदरता और मौज उसी में है।
सिर्फ़ मेरी बात नहीं है  हज़ारों जानें बच सकती हैं  मुझे जाना होगा!
सिर्फ़ मेरी बात नहीं है हज़ारों जानें बच सकती हैं मुझे जाना होगा!
6 min
15 नवंबर को गीता सत्र से कुछ घंटे पहले, देश की बड़ी पशु कार्यकर्ता, गौरी मौलेखी जी का एक संदेश आया। उन्होंने आचार्य जी से नेपाल में होने वाले ‘गढ़ीमाई महोत्सव’ के विषय पर बिहार के, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रेस से बातचीत के लिए पटना आने का अनुरोध किया। यह एक गंभीर मुद्दा था—हजारों जानवरों की जान बचाने का और एक सदियों पुरानी कुप्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठाने का।
अकेलापन
अकेलापन
5 min
हम अकेले होते ही नहीं हैं क्योंकि हमारे दिमाग में घर, दफ़्तर, बाज़ार और अतीत की हजार आवाज़ें बोल रही होती हैं, और वो हमें चैन से जीने नहीं देतीं। अकेलापन आध्यात्म में उच्चतम अवस्था होती है। जब भी लगे कि बहुत सूनापन है, तो देख लो कि क्या है जो आकर्षित कर रहा है, और मिल नहीं रहा। जो तुम्हारे दिमाग को खाली करता हो, साफ़ करता हो, वही कीमती चीज़ है। अगर दिमाग साफ़ है, तो अकेलापन नहीं सताएगा।
सेक्स अच्छा है या बुरा?
सेक्स अच्छा है या बुरा?
10 min
सेक्स अच्छा या बुरा नहीं होता। अगर आपके जीवन में हर चीज़ के लिए उलझाव है, निर्णय नहीं ले पाते, तो आप सेक्स के बारे में भी अच्छा-बुरा, सही-गलत सोचेंगे। अगर आप सही जिंदगी जी रहे हो, हक़ीक़त के साथ हो, तो सेक्स पर सोचना नहीं पड़ेगा। होगा तो होगा, नहीं होगा तो नहीं होगा। जीवन में एक प्रवाह रहेगा, और तुम्हारे मन पर सेक्स एक बोझ की तरह नहीं रहेगा।
आतंकवादी कैसे पैदा होते हैं?
आतंकवादी कैसे पैदा होते हैं?
30 min
हम अपनी देह के साथ डर लेकर पैदा होते हैं। चूँकि हम में डरने की वृत्ति है, इसलिए समाज भी हमें डरा लेता है। डर से मान्यता आती है, और वही मान्यता आतंकवादी भी बनाती है। चेतना का धर्म आनंद की ओर जाना है। यदि किसी के भीतर यह मान्यता बैठ गई है कि कुछ लोग दुश्मन हैं और उन्हें मारकर आनंद या जन्नत मिलेगी, तो वह मारेगा। आतंकवादी भी अपनी सामाजिक व्यवस्था और धार्मिक मान्यताओं का गुलाम है। अज्ञान ही हर हिंसा का कारण है, और अज्ञान का अर्थ ही मान्यता है।
सांसारिक काम करते हुए अध्यात्म के साथ कैसे रहें?
सांसारिक काम करते हुए अध्यात्म के साथ कैसे रहें?
14 min
सांसारिक कर्म आप कर ही नहीं रहे हैं। सांसारिक कर्म हो रहे हैं अपनेआप। मूल भ्रम यही है कि सांसारिक कर्म करने वाले आप हैं। इन्द्रियाँ हैं, मस्तिष्क है, बुद्धि है, अंतःकरण है, स्मृति है, ये सब अपना काम करना बख़ूबी जानते हैं। आप न जाने किस दंभ में हैं कि ये सब काम दुनिया के आप कर रहे हैं!
रमज़ान में ज़कात का क्या महत्त्व है?
रमज़ान में ज़कात का क्या महत्त्व है?
20 min
ज़कात माने दान, और दान वह नहीं जिसमें तुमने कुछ ऐसा छोड़ा जो तुम्हारे पास है। दान की महत्ता इसलिए है क्योंकि दान में तुम स्वयं को ही छोड़ देते हो। अहंकार तो व्यापारी होता है—वह कुछ देता भी है तो उसमें मुनाफ़ा देखकर देता है। सबसे निम्न कोटि का दान वह है जिसमें तुम देते हो और अपेक्षा करते हो कि बदले में कुछ मिले। उससे ऊपर वह दान है जिसमें यह उम्मीद नहीं बाँध रहे कि कुछ मिलेगा। ज़कात एक विधि है, जिससे ज़िंदगी में कुछ ऐसा करो जिसमें तुम्हें मुनाफ़ा नहीं चाहिए।
सही रास्ता कैसे चुनें?
सही रास्ता कैसे चुनें?
12 min
तुम्हारी समस्या यह नहीं है कि तुम्हें सही और गलत का ज्ञान नहीं है, बल्कि यह है कि सही राह सामने होने पर भी तुम उस पर दो कदम बढ़ाने का साहस नहीं करते। तुम्हें केवल अंतिम मंज़िल की उत्सुकता होती है, और आलस तुम पर हावी रहता है। जो सही और उचित प्रतीत होता है, वहां तक होशपूर्वक चलो और उसके प्रति निष्ठा रखो। जैसे-जैसे आगे बढ़ोगे, राह स्वयं खुलती जाएगी।
अतीत की गलतियाँ कैसे सुधारें?
अतीत की गलतियाँ कैसे सुधारें?
16 min
अतीत की कोई गलती आपको परेशान करने नहीं आती। अगर आप इस वक्त परेशान हैं, तो इस वक्त ही कोई गलती हो रही है। तकलीफ़ अतीत की किसी घटना की वजह से है या वर्तमान में उस घटना को पकड़े रहने की वजह से? आप अतीत का रोना इसलिए रोते हैं ताकि वर्तमान में अतीत का मुआवज़ा वसूल सकें। थोड़े से मुआवज़े के लिए ज़िन्दगी खो देते हो। अपनी जो भी हालत है, उसका जिम्मेदार दूसरों को ठहराना छोड़िए, अपनी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना सीखिए।
क्या स्त्री पुरुष बिना अधूरी है?
क्या स्त्री पुरुष बिना अधूरी है?
26 min
स्त्री को ये अनुमति ही नहीं दी गई कि वह ये सोच भी पाए कि पुरुष के बिना जीवन हो सकता है। इससे बड़ा दुश्मन किसी स्त्री का नहीं हो सकता, ये जो भाव है — "I need a man in my life," ये सब छवियाँ हैं जो आपके भीतर डाली गई हैं। जीवन को किसी सार्थक उद्देश्य में डालिए। अपने आप में पर्याप्त रहिए, उसके बाद जो रिश्ता बनता है, उस रिश्ते में प्रेम की खुशबू होती है।
What is Dharma According to the Bhagavad Gita?
What is Dharma According to the Bhagavad Gita?
11 min

Overview

Fighting Duryodhana is Dharma . Fight Duryodhana in the way you can, that is swadharma . Dharma is the same for everybody, but swadharma varies according to your physical, social, temporal conditions.

But remember that swadharma can never be in contradiction of Dharma ; swadharma will always be something

आलस कैसे दूर करें?
आलस कैसे दूर करें?
6 min
आलस, एक अर्थ में तो सन्देश देता है कि जीवन नीरस है। कुछ है नहीं ऐसा कि तुममें बिजली कौंध जाए। ज़िंदगी में जिन-जिन चीज़ों में शामिल हो, उन चीज़ों को पैनी दृष्टि से देखो। प्रेम है कहीं पर? या मजबूरी में ही ढोये जा रहे हो? जहाँ मजबूरी होगी, वहाँ आलस होगा। आलस अपने आप में कोई दुर्गुण नहीं है। आलस सिर्फ़ एक सूचक है। जब कुछ अच्छा मिल जाएगा, आलस अपने आप पलक झपकते विदा हो जाएगा।
लोग शराब क्यों पीते हैं?
लोग शराब क्यों पीते हैं?
7 min
शराबी वह है, जिसे पता चल गया है कि उसे कुछ चाहिए, जो मिल नहीं रहा। उसे कुछ ऐसा चाहिए, जो उसकी चेतना को ज़रा बदल दे। शराब का काम ही यही है—जो चेतना की अवस्था होती है, उसे बदल देना। इससे बहुत-सी बातें भुला दी जाती हैं, और बहुत सारे बंधन व बोझ हट जाते हैं। तो Alcoholism या किसी भी तरह का नशा वास्तव में एक आध्यात्मिक कमी को ही दर्शाता है। यदि उसे पहले ही अध्यात्म मिल गया होता, तो उसने कभी Drugs या Alcohol को हाथ नहीं लगाया होता।
जिनसे मन लगाते हैं, उन्हीं से दुख क्यों पाते हैं?
जिनसे मन लगाते हैं, उन्हीं से दुख क्यों पाते हैं?
64 min

आचार्य प्रशांत: चलिए, अब ज़रा माता से कुछ बात कर ली जाए। तो सप्तशती, अब ये मुझे बहुत-बहुत, बहुत प्यारी रही है। सबसे पहले, आज से तीन साल पहले हुआ था, दो साल पहले हुआ था?

श्रोतागण: तीन साल।

आचार्य: तीन साल, तो २०२० हो गया न?

श्रोतागण: दो साल।

आत्मा न तो शरीर में रहती है, न शरीर का आत्मा से कोई संबंध है || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता (2023)
आत्मा न तो शरीर में रहती है, न शरीर का आत्मा से कोई संबंध है || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता (2023)
3 min

◾ एक ही जाति होती है - वह है "बल"। बल विकसित करो अपने भीतर।

◾ आत्मा का इस पूरे देह व्यापार से कोई लेना देना ही नहीं।

◾ मिथ्याचारी वह है जो आगे के लालच में अच्छा काम करता है।

◾ आत्मा का विकृत सिद्धांत ही भारत की दुर्दशा

खाली समय का कैसे उपयोग करें?
खाली समय का कैसे उपयोग करें?
19 min
समय मिले तो उसे तत्काल किसी सार्थक काम में लगा दो। समय का एक पल भी अपने लिए बचा लिया, तो मरोगे। व्यक्तिगत समय के अलावा और कोई नर्क नहीं है। हमें बड़ा अच्छा लगता है बोलना, ‘थोड़ा Personal Time मिलना चाहिए न।’ तुम्हारी ज़िंदगी के सब झंझट Personal Time में ही पैदा हुए थे। ये सज़ा मिली है समय चुराने की, कि आज सौ झंझटों से घिरे हुए हो।
स्त्री को बंधन नहीं, शिक्षा दो
स्त्री को बंधन नहीं, शिक्षा दो
17 min
स्त्री घर की धुरी है, घर का केंद्र है। तुमने अगर उसको बंधन में रख दिया, अशिक्षित रख दिया, तो पूरा घर बर्बाद होगा। लड़कियों में ये भावना बचपन से ही डाल दी जाती है कि तुम्हारी ज़िन्दगी तो दूसरों के लिए है। सबके लिए आप जो सबसे ऊँची सेवा कर सकती हैं, वो है आपकी शिक्षा। आप अगर अज्ञान और अँधेरे में रहेंगी, तो किसी का भला नहीं होने वाला है। पर-निर्भरता आपको कहीं का नहीं रहने देगी।
इतनी कामवासना प्रकृति नहीं, समाज सिखाता है
इतनी कामवासना प्रकृति नहीं, समाज सिखाता है
29 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैंने अपने मन को बहुत टटोला, और पाया कि मेरा मन डरा हुआ है और अपने-आपको हीनता भरी निगाहों से देखता है। मुझे इतना जिस चीज़ ने गिराया है वो है मेरी कामुकता। इस कामुकता ने मुझसे बहुत ग़लत काम करवाए हैं, जिससे मैं अपने-आपको बहुत हीन

'अप्प दीपो भव' से क्या आशय है?
'अप्प दीपो भव' से क्या आशय है?
7 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, सत्य को पाने के लिए एक तरफ तो गुरु की अपरिहार्यता बताई जाती है, मतलब उसके बिना संभव ही नहीं है। एक तरफ तो ये बात की जाती है दूसरी तरफ महात्मा बुद्ध कहते हैं कि ‘अप्प दीपो भव' अपने दीपक स्वयं बनो!

आचार्य प्रशांत: तो ये

प्रेम विवाह बेहतर है या आयोजित?
प्रेम विवाह बेहतर है या आयोजित?
11 min
जो प्रेम का वास्तविक अर्थ नहीं समझते, वो विवाह चाहे घरवालों के कहने पर करे या फिर अपनी मर्ज़ी से करे, उसने ले-देकर चुनी तो माया ही है। हम प्रेम समझने को तैयार नहीं होते, प्रेम-विवाह करने को बड़े उतावले रहते हैं। ये जो पूरी विवाह की व्यवस्था को रच रहा है, वो कौन है? वो भीतर बैठा मन है। उस मन को हम समझते हैं क्या? उसको नहीं समझा तो उसके द्वारा रची गई व्यवस्था पर भरोसा कैसे कर लिया?
असली प्रेम की क्या पहचान है?
असली प्रेम की क्या पहचान है?
9 min
प्रेम की कसौटी यह है कि दूसरे के लिए जो हम कर रहे हैं, वह वास्तव में उसके हित का है कि नहीं। और बड़ा मुश्किल होता है निरपेक्ष आँखों से देख पाना कि दूसरे का हित कहाँ पर है। जितना आप अपने साथ सहज और सन्तुष्ट होते जाएँगे, उतना आप समझते जाएँगे कि दूसरा कौन है, कैसा है और इसीलिए उसके लिए क्या उचित है।
हेमलेखा - जीवन वृतांत
हेमलेखा - जीवन वृतांत
2 min
हेमलेखा की कहानी बड़ी अनूठी है। श्री दत्तात्रेय द्वारा रचित त्रिपुरा रहस्य में उनकी कहानी पढ़ने को मिलती है। एक तपस्वी ऋषि की पुत्री, विद्वत्ता ऐसी कि ऋषिगण आनंदित हो जाते, सौंदर्य ऐसा कि राजे मोहित हो जाते।सभी को हैरान कर देता हेमलेखा का विवेक। शारीरिक सुंदरता का उसे कोई घमंड नहीं था और राजाओं द्वारा विवाह के बदले सुख-सुविधाओं का लालच दिए जाने पर उसका सिर्फ़ एक उत्तर हुआ करता, जो खुशी सिर्फ़ पलभर की है, उसे आप खुशी कैसे मान लेते हैं?
प्यार माँगा नहीं जाता, प्यार के काबिल हुआ जाता है
प्यार माँगा नहीं जाता, प्यार के काबिल हुआ जाता है
28 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मैं ‘स्नेह’ या यूँ कहूँ तो ‘अटेंशन’ की प्राप्ति के लिए कभी-कभी अपने आप को कमज़ोर दिखाती हूँ। मैं ऐसा क्यों करती हूँ?

आचार्य प्रशांत: हम सब पूर्णता में जीना चाहते हैं। हम सब स्वास्थ्य में जीना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे अनुभव में

शरीर के लिए योग, मन के लिए वेदांत || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)
शरीर के लिए योग, मन के लिए वेदांत || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)
4 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, अर्जुन कहते हैं कृष्ण से कि ‘धृतराष्ट्र पुत्र चाहे मुझे मार भी दें तो भी उनसे लड़ना तो ग़लत ही है।‘ हमारे आम जीवन में भी ऐसे ही चलता रहता है कि हम इमोशनल ब्लैकमेल (भावनाओं से किसी को नियंत्रित करना) करते हैं बहुत बार, या

वासना सताए तो क्या करें?
वासना सताए तो क्या करें?
15 min
शरीर की निर्मिति ही ऐसी है कि वासना इसे सताएगी, वासना के बीज इसी में मौजूद हैं। शरीर को आराम दे दो, रोटी दे दो और इसे सेक्स दे दो, इसके अलावा इसे कुछ नहीं चाहिए। जीवन के पल-पल को ऊँचे-से-ऊँचे काम से परिपूर्ण रखो। कोई भी ऐसा काम जिसमें स्वार्थ न हो, जिसमें करुणा हो, रचनात्मकता हो, संगीत हो — ये सब ऊँचे काम हैं। खाली मत रहो, जो खाली होगा, वही फँसेगा।
नए साल पर क्या संकल्प लें?
नए साल पर क्या संकल्प लें?
7 min
जो लक्ष्य हमें एक विशेष परिस्थिति ने, एक विशेष दिन ने दिए होते हैं, उसके प्रति लिए गए संकल्प भी उस परिस्थिति और दिन के बीतते ही स्वयं भी बीत जाते हैं। जीवन का एक ही लक्ष्य हो सकता है – अपने तक वापस आ जाना। ऐसे संकल्प लें जो हर पल होश बनाए रखने में सहायक हों। ग्रंथ अध्ययन, कला, खेल, पर्यावरण और पशुओं के प्रति जागरूकता, दुनिया के बारे में समझ; ये सभी संकल्प हैं जो आपके निर्भीक और मुक्त जीवन की ओर एक नई शुरुआत करेंगे।
आचार्य नागार्जुन – जीवन वृतांत
आचार्य नागार्जुन – जीवन वृतांत
2 min

आचार्य नागार्जुन की जीवन कथा का आंरभिक विवरण चीनी भाषा में उपलब्ध है, जिसे क़रीब 405 ई. में प्रसिद्ध बौद्ध अनुवादक कुमारजीव ने उपलब्ध कराया। यह अन्य चीनी एवं तिब्बती वृत्तांत से सहमत हैं कि नागार्जुन दक्षिण भारत में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। ऐतिहासिक रूप से बचपन की

Deh Shiva bar mohe ihai (The spiritual battle within) || Acharya Prashant, on Guru Gobind Singh (2019)
Deh Shiva bar mohe ihai (The spiritual battle within) || Acharya Prashant, on Guru Gobind Singh (2019)
1 min

Verse: Deh Shiva bar mohe ihai

देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं, अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों, जब आव की अउध निदान बनै अति ही

अय्याशी पूरी है, फिर भी 'बेचैनी’ क्यों है?
अय्याशी पूरी है, फिर भी 'बेचैनी’ क्यों है?
8 min
मनुष्य के मन की बेचैनी का अय्याशी समाधान होती तो अमेरिका में सब एकदम प्रसन्न ही नहीं, आनंदित होते। लेकिन मानसिक समस्याएँ भारत की तुलना में अमेरिका में और अधिक पाई जाती हैं। आदमी अय्याशी इसलिए नहीं करता कि उसे अय्याशी से प्रेम है, वह अय्याशी इसलिए करता है क्योंकि वह भीतर से बहुत दुखी है। सारी समस्या बस यही है कि आँखें बाहर देख सकती हैं, भीतर नहीं देख सकतीं। अय्याशी कोई समाधान नहीं है, क्योंकि यदि उसमें सच में कुछ सार्थक मिलता, तो बुद्ध और महावीर अपना विलासितापूर्ण, वैभवपूर्ण जीवन छोड़कर जंगलों की ओर न जाते।
डिप्रेशन का कारण क्या है?
डिप्रेशन का कारण क्या है?
14 min
डिप्रेशन का पहला कारण है – कृत्रिम उपभोक्तावाद। वैज्ञानिक क्रांति के बाद उपभोग की वस्तुओं में बड़ी तेज़ी से वृद्धि हुई है। कुछ शातिर लोग हमें उन चीज़ों को चाहने पर मजबूर कर रहे हैं, जिन चीज़ों की कोई अहमियत नहीं है। चूँकि हम हर चीज़ पा नहीं सकते, इसीलिए फिर डिप्रेशन से घिर जाते हैं। डिप्रेशन का दूसरा कारण है – बोध का पतन। अगर हमारी ज़िंदगी में धैर्य, प्रेम, समझ, कर्मठता, ईमानदारी जैसे मूल्य नहीं हैं, तो हम चैन से नहीं रह सकते।
अपने डर को कैसे जीतें ?
अपने डर को कैसे जीतें ?
9 min
डरों को जीता नहीं जाता, "डरों को भूला जाता है।" बहुत सारे जो डर होते है न, वो प्रेम में ही तिरोहित होते हैं। अपने आपको प्रेम में पड़ने का अवसर तो दो। जो सत्य के प्रति जो परम प्रेम होता है, वो ऐसे साहस से भर , जिसे मैं कह रहा हूँ "साहस कहना भी ठीक नहीं है", वो एक तरह की सहजता है। तुम सहज ही बहुत सारे साहसिक काम कर डालोगे, बिना साहस का उपयोग किए। प्रेम साहस से ऊपर का होता है। जहाँ प्रेम है, वहाँ साहस चाहिए ही नहीं।
How to Control the Mind?
How to Control the Mind?
13 min
Mind control is not about suppressing the mind; it is about supporting it to take the right route and reach the right destination. The mind does not really need control; it needs peace. But the mind is a little foolish. If the mind were not foolish, why would it leave its peaceful state, which is its natural state?
बदले की आग में जलता है मन
बदले की आग में जलता है मन
10 min
अतीत की बुरी घटनाओं को याद करके तुम अपने वर्तमान को भी खराब कर रहे हो। जो बीत गया, वह अतीत है, लेकिन प्रतिशोध के विचार तुम्हारे इस पल को भी प्रभावित करते हैं। तुम्हारे विचार जिस स्तर के होते हैं, तुम्हारा मन भी वैसा ही बन जाता है। प्रतिशोध का ख्याल दिल की आग को ठंडा नहीं करता। यह आग केवल आत्मज्ञान, बोध और अपने आप को जानने से शांत होती है।
पढ़ना क्यों ज़रूरी है?
पढ़ना क्यों ज़रूरी है?
14 min
मूलभूत शिक्षा लेनी ज़रूरी होती है। कुछ बातें हैं दुनिया की, जो नहीं पता होंगी तो पूरे इंसान भी नहीं बन पाओगे। विद्या-अविद्या दोनों चाहिए। अविद्या माने सांसारिक भौतिक शिक्षा और विद्या माने आध्यात्मिक शिक्षा। उपनिषद् कहते हैं, जिनके पास विद्या नहीं होती, वो गहरे कुएँ में गिरते हैं। लेकिन जिनके पास सांसारिक ज्ञान नहीं होता वो और ज़्यादा गहरे कुएँ में गिरते हैं। और जिनके पास दोनों हैं, वो मृत्यु को पार करके अमर हो जाते हैं।
श्री राम को कैसे प्राप्त करें?
श्री राम को कैसे प्राप्त करें?
18 min
राम कोई खिलौना थोड़ी ही हैं, जो कहीं से "मिल जाएँगे"। राम की प्राप्ति जैसा कुछ नहीं होता, अहंकार को मिटाना होता है, और इसी को ‘रामत्व’ कहते हैं। अपनी रोज़मर्रा की हरकतों को देखिए—सुबह से शाम तक क्या किया, क्या सोचा, क्या अनुभव किया; तो पता चलेगा कि बड़ा अंधकार है। और वह स्वयं को जानने से ही मिटेगा। उसके बाद जो शेष बचेगा, उसी को 'राम' बोलते हैं।
स्थूल शरीर क्या? सूक्ष्म शरीर क्या? कारण शरीर क्या? || तत्वबोध पर (2019)
स्थूल शरीर क्या? सूक्ष्म शरीर क्या? कारण शरीर क्या? || तत्वबोध पर (2019)
9 min

स्थूलशरीरं किम्? पंचीकृतपञ्चमहाभूतै: कृतं सत्कर्मजनयं सुखदुःखादिभोगायतरन शरीरं अस्ति जायते वर्धते विपरिणमते अपक्षीयते विनश्यतीति षड्विकारवदेतत्स्थूलशरीरं।

सूक्ष्मशरीरं किम्? अपंचीकृतपञ्चमहाभूतै: कृतं सत्कर्मजनयं सुखदुःखादिभोगसाधनं पञ्चज्ञानेन्द्रियाणि पञ्चकर्मेन्द्रियाणि पञ्चप्राणादयः मनश्वैचकं बुद्धिश्वैचकं एवं सप्तदशाकलाभिः सह यत्तिष्ठति तत्सूक्ष्मशरीरं।

स्थूल शरीर क्या है? जो पंचीकृत पाँच महाभूतों से बना हुआ, पुण्य कर्म से प्राप्त, सुख-दु:खादि भोगों को भोगने का

क्या तकनीकी विकास दुनिया को बचा सकता है?
क्या तकनीकी विकास दुनिया को बचा सकता है?
6 min
Technology अधिक-से-अधिक इतना ही करती है कि मशीन की Efficiency बढ़ा देती है। अगर Technological Development उनके हाथों में है जिनका मन अभी भोगवाद और लालच से मुक्त नहीं है, तो हर प्रकार का तकनीकी विकास आत्मघातक ही होगा। असली समस्या ये है कि हमें भोगना है, हम प्रेम का अर्थ भी भोग समझते हैं। जब मन बदलेगा, तभी दुनिया में हो रही क्षति बदलेगी। ये बहुत बड़ी भ्रान्ति है कि तकनीकी विकास दुनिया को बचा लेगा।
आत्मा क्या, जीवात्मा क्या? क्या आत्मा का पुनर्जन्म होता है? || (2019)
आत्मा क्या, जीवात्मा क्या? क्या आत्मा का पुनर्जन्म होता है? || (2019)
13 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, भगवान कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर नए शरीरों को प्राप्त होता है। तो ये जीवात्मा कौन है? सूक्ष्मशरीर है, मन है? और सूक्ष्मशरीर को अहम्-वृत्ति और तादात्म्य के सम्बन्ध

काम में तनाव क्यों होता है?
काम में तनाव क्यों होता है?
13 min
काम तनाव तभी देता है जब आप काम सही कारणों से न कर रहे हों। जब आप सही कारणों से काम नहीं करते तो आप दो ही चीज़ों का इंतज़ार करते हो — एक रविवार का और दूसरा सैलरी डे का। काम का अंतिम उद्देश्य पैसा नहीं हो सकता। आपको काम में अर्थ ढूँढना पड़ेगा। कुछ ढूँढिए जिसमें सौंदर्य हो, सार्थकता हो, बड़ी कोई चुनौती की बात हो। तब फिर उस काम में आप घंटे नहीं गिनते, उस काम में आप परिणाम की ओर भी नहीं देखते।
शारीरिक बलात्कार से बड़ा अपराध क्या है?
शारीरिक बलात्कार से बड़ा अपराध क्या है?
14 min
महिलाओं को यह जानना चाहिए कि तन और मन में प्राथमिकता हमेशा मन की है, क्योंकि आप देह नहीं हैं, आप चेतना हैं। कोई आपकी देह के ख़िलाफ़ अपराध कर दे—बलात्कार वगैरह—तो वह निश्चित रूप से एक अपराध है, पर उससे कहीं बड़ा अपराध यह है कि कोई आपकी चेतना को सीमित और संकुचित कर दे, आपको पढ़ने-लिखने न दे, आपके पर कतर दे, आपको जीवन में अनुभव न लेने दे, या आपको घर में क़ैद कर दे। यह बलात्कार से कहीं अधिक जघन्य अपराध है।
'धर्म हिंसा तथैव च' शास्त्रों में लिखा है?
'धर्म हिंसा तथैव च' शास्त्रों में लिखा है?
14 min
महाभारत में एक दर्जन जगह आया होगा 'अहिंसा परमो धर्म:,’ लेकिन उसमें साथ में आगे कहीं भी नहीं लिखा है कि 'धर्म हिंसा तथैव च।' 'धर्म हिंसा तथैव च' — अहिंसा तो परम धर्म है लेकिन हिंसा भी धर्म है; किसी भी ग्रंथ में कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ है। इससे आपके रोंगटे खड़े हो जाने चाहिए कि ये कौन लोग हैं और ये कौन-सी सेंट्रलाइज़्ड जगहें हैं, जहाँ इस तरह की साज़िशें की जा रही हैं। जो उन्होंने जोड़ा है इसी से उनके मंसूबे पढ़िए — वो हिंसा करना चाहते हैं। यहाँ सीधे-सीधे धर्मग्रंथ के साथ पूरी खिलवाड़ ही कर दी गई है।
लाओ त्सु – जीवन वृतांत
लाओ त्सु – जीवन वृतांत
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लाओ त्सु चीनी इतिहास में एक रहस्यमय व्यक्ति हैं, जो रहस्य और किंवदंतियों से घिरे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि वह एक दार्शनिक, सलाहकार और शिक्षक थे और उनकी विरासत ज्ञान और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि में से एक है। उन्हें ताओवाद की दार्शनिक प्रणाली की स्थापना का श्रेय दिया

The Most Famous Verses of the Bhagavad Gita
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Yada yada hi dharmasya glanirbhavati bharata abhyuttanam adharmasya tadaatmanaam srujamyaham