भारत में सशक्त महिलाओं के अनेकों उदारहण रहे हैं।
हेमलेखा की कहानी बड़ी अनूठी है। श्री दत्तात्रेय द्वारा रचित त्रिपुरा रहस्य में उनकी कहानी पढ़ने को मिलती है।
एक तपस्वी ऋषि की पुत्री, विद्वत्ता ऐसी कि ऋषिगण आनंदित हो जाते, सौंदर्य ऐसा कि राजे मोहित हो जाते।
सभी को हैरान कर देता हेमलेखा का विवेक। शारीरिक सुंदरता का उसे कोई घमंड नहीं था और राजाओं द्वारा विवाह के बदले सुख-सुविधाओं का लालच दिए जाने पर उसका सिर्फ़ एक उत्तर हुआ करता,
जो खुशी सिर्फ़ पलभर की है, उसे आप खुशी कैसे मान लेते हैं?
उसके मार्मिक सवालों का किसी के पास कोई उत्तर नहीं था।
आगे जाकर जब एक राजा से हेमलेखा का विवाह भी हुआ तो उसकी विद्वत्ता को देख उसके पति ने भी उसे अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया। और हेमलेखा के बोध और समझदारी से पूरे राज्य को सार्थक दिशा मिली।
ध्यान दीजिए: पति ने पत्नी को गुरु स्वीकार किया । विदुषी पत्नी ने राजा पति को उपदेश दिए जो त्रिपुरा रहस्य ग्रंथ में संकलित हैं।
इस तरह हेमलेखा ने रिश्तों के ऊँचें आयामों का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो दुनियाभर के कहीं और देखने को नहीं मिलता है।