श्रीनिवास रामानुजन: महान भारतीय गणितज्ञ

श्रीनिवास रामानुजन: महान भारतीय गणितज्ञ
रामानुजन का सपना था भारत को वैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाना। वे मानते थे कि “गणित हर विज्ञान की आत्मा है।” श्रीनिवास रामानुजन ने अपने संघर्ष और प्रतिभा से दुनिया को चौंका दिया, लेकिन उनके जीवन का संदेश इससे भी बड़ा था — ज्ञान, समर्पण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जीवन को समझना। यह सारांश प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के स्वयंसेवकों द्वारा बनाया गया है

जब गणित के क्षेत्र में भारतीयों के योगदान की बात होती है, तो हम अक्सर प्राचीन काल की उपलब्धियों की ओर मुड़ते हैं। शून्य की खोज, ज्यामिति, और खगोल विज्ञान का जिक्र करते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं — एक ऐसा भारतीय गणितज्ञ भी था, जिसने बिना किसी औपचारिक शिक्षा के दुनिया के महानतम गणितज्ञों को चकित कर दिया?

इस हद तक कि ब्रिटिश गणितज्ञ जी.एच. हार्डी ने उन्हें न्यूटन और आर्किमिडीज़ के समकक्ष बताया।

हम बात कर रहे हैं- श्रीनिवास रामानुजन की। आज, २२ दिसंबर को उनका जन्मदिन है।

रामानुजन का जीवन संघर्षों और रोचक किस्सों से भरा हुआ था।

रामानुजन का बचपन:

कहते हैं कि एक बार उनके शिक्षक ने कहा कि 1+2+3+…+100 का उत्तर निकालो। रामानुजन ने पलक झपकते जवाब दे दिया: 5050

बचपन में एक किताब हाथ लगी — ‘सिंक्रोनस गणित’ (सिंपल मैथ्स की किताब), और इसी ने उनके जीवन का रास्ता बदल दिया। जब उन्होंने गणित के क्षेत्र में नई-नई खोजें करनी शुरू कीं, तो उनकी प्रतिभा को कोई समझ नहीं पाया। कई लोगों ने उन्हें पागल समझा।

उनके शोधपत्र इतने अनोखे थे कि ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ‘रॉयल सोसाइटी’ ने उन्हें अपना सदस्य चुना। वे ऐसा सम्मान पाने वाले पहले भारतीय बने।

उनकी खोजें केवल अकादमिक नहीं थीं। उनकी ‘मॉक थीटा फ़ंक्शन’ (Mock Theta Functions) आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान और क्रिप्टोग्राफी के लिए उपयोगी साबित हो रही हैं।

कैंब्रिज में रहते हुए, उन्होंने 3,900 गणितीय परिणाम दिए। इनमें से अधिकांश आज भी गणितीय शोध का आधार हैं।

वे पारंपरिक गणित से परे जाकर ‘पार्टिशन फंक्शन्स’ जैसे क्षेत्रों में शोध करते थे, जो आज भी ब्लैक होल थ्योरी और स्ट्रिंग थ्योरी में उपयोग होते हैं।

कठिन परिस्थितियों में असंभव को संभव किया:

आर्थिक संकट: गरीबी इतनी थी कि उनके पास कागज़ तक नहीं था। वे गणितीय समीकरणों को पुराने नोटबुक्स के कोनों पर लिखते थे।

शारीरिक संघर्ष: इंग्लैंड की ठंड और अपरिचित भोजन ने उनकी सेहत बिगाड़ दी। फिर भी, उन्होंने गणित पर काम करना नहीं छोड़ा।

आध्यात्मिक प्रेरणा: रामानुजन ने कहा था, “मेरे लिए गणित केवल संख्या का खेल नहीं है; यह ईश्वर का स्वरूप है।”

रामानुजन का सपना था भारत को वैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाना। वे मानते थे कि “गणित हर विज्ञान की आत्मा है।”

श्रीनिवास रामानुजन ने अपने संघर्ष और प्रतिभा से दुनिया को चौंका दिया, लेकिन उनके जीवन का संदेश इससे भी बड़ा था — ज्ञान, समर्पण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जीवन को समझना।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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