आचार्य नागार्जुन – जीवन वृतांत

आचार्य नागार्जुन – जीवन वृतांत

आचार्य नागार्जुन की जीवन कथा का आंरभिक विवरण चीनी भाषा में उपलब्ध है, जिसे क़रीब 405 ई. में प्रसिद्ध बौद्ध अनुवादक कुमारजीव ने उपलब्ध कराया। यह अन्य चीनी एवं तिब्बती वृत्तांत से सहमत हैं कि नागार्जुन दक्षिण भारत में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। ऐतिहासिक रूप से बचपन की उनकी कथाएं विवादास्प्रद हैं, लेकिन यह संकेत देती हैं कि उनके पास असाधारण बौद्धिक क्षमता थी तथा जब उन्होंने महायान बौद्ध धर्म के सिद्धांतों, जो इस समय पूर्वी एशिया में प्रचलित हैं, के गहन अर्थों को समझा, तब उनमें आध्यात्मिक परिवर्तन हुआ।

कुमारजीव के वृत्तांत के अनुसार, नागार्जुन द्वारा बौद्ध धर्म के कुछ मूल विचार कुछ असंतुष्टि से सीखने के बाद एक 'महानाग बोधिसत्व' पर ज्ञान-प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर एक प्रमुख नागराज ने दया दिखाई तथा उन्हें अत्यंत गूढ़ महायान श्लोकों के बारे में बताया। नागार्जुन ने कुछ ही समय में इनमें प्रवीणता हासिल की तथा भारत में सफलतापूर्वक सत्य (धर्म) का प्रचार किया और कई विरोधियों को बौद्धिक-दार्शनिक शास्त्रार्थ में परास्त किया।

वर्तमान विद्वान् संकेत देते हैं कि नागार्जुन 50 ई. और 280 ई. किसी अवधि में रहे होंगे। एक आम राय के मुताबिक़़ उनका कालांकन 150-250 ई. है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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