'गीता सबके लिए नहीं है', ऐसा क्यों कहते हैं कृष्ण?
आचार्य प्रशांत : केतन हैं, गीता के पाँचवे अध्याय से अट्ठारवाँ श्लोक उद्दृत किया है। श्लोक कहता है-
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनी |
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिन: ||
“वे ज्ञानीजन विद्या और विनययुक्त ब्राह्मण में तथा गौ, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में भी समदर्शी ही होते हैं।”
भगवद्गीता,अध्याय … read_more