राम से दूरी ही सब दुर्बलताओं का कारण || आचार्य प्रशांत, श्रीरामचरितमानस पर (2017)
तुलसी राम कृपालु सों, कहिं सुनाऊँ गुण दोष।
होय दूबरी दीनता, परम पीन संतोष।।
~ संत तुलसीदास
आचार्य प्रशांतः कृपालु राम के आगे अपने सारे गुण-दोष खोल कर रख दो, कह दो, सुना दो। इससे जो तुम्हारी दीनता है, जो तुम्हारी लघुता है, जो तुम्हारी क्षुद्रता है, वो दूबरी हो… read_more