Festivals

नए साल पर क्या संकल्प लें?
नए साल पर क्या संकल्प लें?
7 min
जो लक्ष्य हमें एक विशेष परिस्थिति ने, एक विशेष दिन ने दिए होते हैं, उसके प्रति लिए गए संकल्प भी उस परिस्थिति और दिन के बीतते ही स्वयं भी बीत जाते हैं। जीवन का एक ही लक्ष्य हो सकता है – अपने तक वापस आ जाना। ऐसे संकल्प लें जो हर पल होश बनाए रखने में सहायक हों। ग्रंथ अध्ययन, कला, खेल, पर्यावरण और पशुओं के प्रति जागरूकता, दुनिया के बारे में समझ; ये सभी संकल्प हैं जो आपके निर्भीक और मुक्त जीवन की ओर एक नई शुरुआत करेंगे।
माता सीता के चरित्र से क्या सीख सकते हैं?
माता सीता के चरित्र से क्या सीख सकते हैं?
14 min
जो सच का प्रेमी होता है, उसके हाथ में थोड़ा-सा संसाधन भी कमाल कर देता है। रावण की पूरी सेना और सारे अस्त्र-शस्त्र, माँ सीता के एक तिनके के आगे विफल हो गए — जीत तो बस उस तिनके की हुई। उन्होंने श्रीराम, अर्थात् सत्य को ही स्वीकार किया। जो शिव-शक्ति का संबंध है, वही राम-सीता का संबंध है। सीता के रूप में शक्ति हमको सिखा रही है कि राम को अपने आगे-आगे चलने दो। जब एक बार राम जीवन में आ जाएँ, तो फिर डर, लालच, स्वार्थ के कारण विचलित मत होना।
कुंभ: झूठ के सागर में खो गया सच का अमृत
कुंभ: झूठ के सागर में खो गया सच का अमृत
27 min
अमृत केंद्र में है इस कहानी के।और अमृत कहां से मिलना है? आत्म मंथन से। जो जितना स्वयं को जानता जाएगा उतना वो स्वयं से माने मृत्यु से मुक्त होता जाएगा। हम जो बने बैठे हैं वही मृत्यु है। जो आप अपने आप को समझते हो ना उसी का नाम मौत है। और जितना आप खुद को देखते जाते हो उतना समझ में आता जाता है कि मैं अपने आप को जो मानता हूं वो सब व्यर्थ है। मैं वो हूं ही नहीं। “नकार नेति”। अमृत माने कुछ पाना नहीं। अमृत माने मृत्यु से मुक्त होना। यही अमृतत्व है। मृत्यु से मुक्त होना।
नवरात्रि के नौ रूपों को कैसे समझें?
नवरात्रि के नौ रूपों को कैसे समझें?
8 min
नौ का आँकड़ा सांकेतिक है। नौ का मतलब है बहुत सारे—शिव की शक्ति जितने भी अनंत रूपों में प्रकट हो सकती है। वह सृजन भी कर सकती है और विनाश भी। नवरात्रि हमें बताती है कि परवाह मत करो कि कर्म का रूप, रंग, नाम, आकार कैसा है। तुम यह देखो कि कर्म के पीछे 'कर्ता' कौन है। शक्ति के पीछे जो असली कर्ता बैठे हैं, उनका नाम है ‘शिव’। नवरात्रि अस्तित्व और जीवन की विविधताओं का प्रतीक है। कोई विविधता न तो अच्छी है, न बुरी। अगर मर्म ठीक है, तो सब रूप पूजनीय हैं।
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का महत्त्व
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का महत्त्व
24 min
हमेशा पूछा करो कि यह जो ग्रंथ है, क्या यह अपने केंद्र में मेरी समस्या को रख रहा है? अगर रख रहा है, तो वह ग्रंथ आपके काम का है। दुर्गा सप्तशती में सुरथ और समाधि की जो समस्या है, वह हमारी, आपकी, सबकी समस्या है। कौन-सी समस्या? आदमी का मोह में ग्रस्त रहना, आदमी का अपमान पाकर दुख झेलना। यह बात आज भी हो रही है। अगर आप यह समझ पाएँ, तो आगे फिर आपको देवी से बोध और आशीर्वाद प्राप्त होगा।
क्या देवी पशु बलि से प्रसन्न होती हैं?
क्या देवी पशु बलि से प्रसन्न होती हैं?
18 min
किसी भी धार्मिक त्योहार पर पशु को, जीव को क्षति पहुँचाना धर्म के बिल्कुल विरुद्ध है और देवी के महोत्सव पर तो ऐसा करना महोत्सव के प्राण खींच लेने जैसी बात है। देवी माने वो जो उनका संहार करती हैं जो प्रकृति के साथ हिंसा करते हैं और हम देवी के ही दिनों में प्रकृति के साथ हिंसा करते हैं। त्योहार आता इसलिए है कि आप वैसे न रहो जैसे आप रहते हो, कुछ ऊँचे उठ पाओ, लेकिन त्योहार के दिन तो हम अपनी रही-सही तमीज़ भी गायब कर देते हैं।
रमज़ान में ज़कात का क्या महत्त्व है?
रमज़ान में ज़कात का क्या महत्त्व है?
20 min
ज़कात माने दान, और दान वह नहीं जिसमें तुमने कुछ ऐसा छोड़ा जो तुम्हारे पास है। दान की महत्ता इसलिए है क्योंकि दान में तुम स्वयं को ही छोड़ देते हो। अहंकार तो व्यापारी होता है—वह कुछ देता भी है तो उसमें मुनाफ़ा देखकर देता है। सबसे निम्न कोटि का दान वह है जिसमें तुम देते हो और अपेक्षा करते हो कि बदले में कुछ मिले। उससे ऊपर वह दान है जिसमें यह उम्मीद नहीं बाँध रहे कि कुछ मिलेगा। ज़कात एक विधि है, जिससे ज़िंदगी में कुछ ऐसा करो जिसमें तुम्हें मुनाफ़ा नहीं चाहिए।
होली का वास्तविक अर्थ क्या है?
होली का वास्तविक अर्थ क्या है?
13 min
होली का मतलब है कि चाहे कोई भी कीमत चुकानी पड़े और झूठ कितना भी ताकतवर हो, उसका साथ नहीं देना है। हिरण्यकश्यप सिर्फ राजा ही नहीं था, प्रह्लाद का पिता भी था। प्रह्लाद ने कहा – "आप चाहे राजा हों या मेरे पिता, मैं आपका साथ नहीं दूँगा।" समाज, सत्ता, परिवार, प्रकृति, परिस्थिति कुछ भी कहे, मुझे वही करना है जो सही है; यही होली का सार है। यह त्यौहार हमें बताने के लिए रचा गया है कि अहंकार कितना भी चालाक हो जाए, परम-सत्ता से नीचे ही रहेगा।
Holi: Is It Just Colors Or Beyond?
Holi: Is It Just Colors Or Beyond?
14 min
Holi isn’t just about colors and fun; its symbolism runs deep. Hiranyakashyap represents the ego that seeks its own continuation and misuses power for some nefarious end. Prahlad embodies detachment, valuing Truth above all relations. If you’re cunning like Holika, your own powers will destroy you. And Narsingh reminds us that God is cleverer than the cleverest—He is the source. Do not try to act too smart or be ungrateful.
Have You Earned the Right to Celebrate Diwali?
Have You Earned the Right to Celebrate Diwali?
10 min
You are given an entire year to prepare for Diwali, aren’t you? What does it mean to prepare for Diwali, to clean your house or to clean your life? Did we clean up our lives? And an entire year was available, did we prepare for the festival? We didn’t. And when the festival has arrived, we want to show as if we really deserve it. We don’t deserve it. Excellence has always been a rarity and Shri Ramchandra is the epitome of excellence. Without bringing that excellence into our lives, what is this circus that we create!
What is the Essence of Kumbh?
What is the Essence of Kumbh?
5 min
The legend of Kumbh revolves around the struggle between the gods of heaven and the lords of hell. Heaven and hell exist in the mind. Heaven is where your deepest dream of freedom and contentment is realized, while hell convinces you to play safe and stay afraid. Spirituality is the journey from hell to heaven and beyond, into the absolute joy of Liberation. That is the true essence of Kumbh.
बसंत पंचमी कैसे मनाएं?
बसंत पंचमी कैसे मनाएं?
6 min
बसंत पंचमी, विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित है। जीवन में शिक्षा दो प्रकार की होती है—विद्या और अविद्या। सांसारिक ज्ञान जैसे विज्ञान, कला, राजनीति आदि अविद्या हैं, और स्वयं को जानना विद्या। शास्त्र कहते हैं, "जब आप विद्या और अविद्या को एक साथ जानते हैं, तभी आप सच में जानते हैं।" हमारी शिक्षा प्रणाली में विद्या और अविद्या, दोनों होने चाहिए, ताकि युवाओं को "मैं कौन हूँ और मेरा दुनिया से क्या रिश्ता है," इसकी गहरी समझ मिले। यही बसंत पंचमी का वास्तविक उत्सव है।
कुंभ के नाम पर कितने भ्रम और झूठ - अब जानिए सच
कुंभ के नाम पर कितने भ्रम और झूठ - अब जानिए सच
49 min
कुंभ मेला से बड़ी सामुदायिकता पूरे विश्व में कभी नहीं होती। हर चार साल में चार अलग जगहों पर हम मिल रहे हैं। इस तरह के सम्मेलनों की वजह से भारत में सहिष्णुता, वैचारिक खुलापन और उदारवाद रहा है। किसी की बात से हम सहमत नहीं है तो हम शास्त्रार्थ करते हैं। दूसरे की बात अगर अच्छी लगती है तो हम कहते हैं ये दूसरे की बात नहीं, हमारी ही बात है। भारत को इसी ने बहुत आगे बढ़ाया है कि मिलो, बात करो, जानो और समझो।
What’s New About the New Year?
What’s New About the New Year?
8 min
No "New Year" will give you the "new." So many New Years have come and gone, only to become old years. If you want the new, why do you stick to the old? The new, the happiness you are looking for, will not come through experience. Look around, look at your relationships, look at your mind, your thoughts, and maybe you will suddenly cry out, “The looking itself is new.”
10 New Year Resolutions Suggested by Acharya Prashant
10 New Year Resolutions Suggested by Acharya Prashant
4 min
Man has always been attracted to the new. But attraction alone is not enough, especially when one is resistant to leaving the old ways. 'New' comes with an opportunity to change, and equally with a responsibility to act upon that change. Bridging this gap between attraction and action, Acharya Prashant guides us with practical resolves that possess the potential to bring real development—if followed honestly!
What Does Jesus Represent?
What Does Jesus Represent?
4 min
Jesus is not a mere mortal. He is the source of light, the root of all flowers and beauty. Jesus stands for the Truth, and Truth is omnipresent. In one form, he disappears; in another, he arises again. Prophets don’t come and go—they live forever. Going back into the past to look for them is the tragedy of the living. He is here, right now, in the hearts of those who love him.
स्वयं में शक्ति को कैसे प्रकट करें?
स्वयं में शक्ति को कैसे प्रकट करें?
4 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, जिस तरह से दैत्यों की सेना के बारे में बताया है कि करोड़ों की संख्या में और बहुत पावरफुल (शक्तिशाली), बहुत सारे सैनिक हैं तो ये क्या जो हमारी वृत्तियाँ हैं उसकी पावर (शक्ति) के बारे में बताया जा रहा है?

आचार्य प्रशांत: बिलकुल, बिलकुल वही है।

दीवाली का क्या अर्थ है?
दीवाली का क्या अर्थ है?
6 min
यह पिस्ते, यह मेवे, यह उपहार, यह अलंकार - ये थोड़े ही हैं दिवाली। जब मन रोशनी हुआ तब दिवाली जानना। पटाखे नहीं फोड़ने होते, झूठ फोड़ना होता है। किसी को आप क्या उपहार दोगे सच्चाई के अलावा? किशमिश में थोड़े ही सच्चाई है। मीठा तो स्नेह होता है, किशमिश थोड़े ही होती है। जीवन की बात है- जीवन पूरा ऐसा हो कि अँधेरा हावी नहीं होने देंगे। जीवन पूरा ऐसा हो कि लगातार उतरोत्तर राम की ओर ही बढ़ते रहेंगे।
दशहरा, और रावण के दस सिर || (2016)
दशहरा, और रावण के दस सिर || (2016)
10 min

प्रश्नकर्ता: सर, अभी दशहरा आ रहा है और हर साल हम दशहरा मनाते आ रहे हैं लेकिन दशहरा का वास्तविक अर्थ क्या है?

आचार्य प्रशांत: जिसके दस सिर वही रावण। रावण वो नहीं जिसके दस सिर थे। जिसके ही दस सिर हैं, वही रावण। और हम में से कोई ऐसा

विद्या और अविद्या का भेद ||आचार्य प्रशांत (2019)
विद्या और अविद्या का भेद ||आचार्य प्रशांत (2019)
3 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी प्रणाम। वसंत पंचमी भारत के अलग-अलग राज्यों में मनाई जाती है और इस दिन हम देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। देवी सरस्वती कौन हैं, और वसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा का क्या महत्व है?

आचार्य प्रशांत: कल वसंत पंचमी का पर्व है, और ये पर्व

Shopping and bling—the way of Rama?  || Neem Candies
Shopping and bling—the way of Rama? || Neem Candies
1 min

Rama’s festival has become the festival of shopping, shoppers and shopkeepers—Rama, who never had anything to do with shops; Rama, who was never a buyer or a seller or a consumer; Shri Rama, who stands for that which can neither be bought nor be sold. This festival has turned into

Diwali lesson: How to break free and find your light || Neem Candies
Diwali lesson: How to break free and find your light || Neem Candies
1 min

You may celebrate Diwali, or you may celebrate Christmas—the weather would remain what it has to. Or is the weather exceptionally fine because today is Diwali? If it has to rain, it will rain. Life has nothing to do with your festivals or your sufferings.

Every instance of freedom from

Shivratri is fast approaching  || Neem Candies
Shivratri is fast approaching || Neem Candies
1 min

Distinctions are a burden on the mind. If A is different from B, then one has to remember both A and B.

It is wonderful when A to Z are all one; then you can just remember A and forget everything else.

And if A to Z all are nothing,

Celebrating Janmashtami? ||Neem Candies
Celebrating Janmashtami? ||Neem Candies
1 min

The world’s oldest calendar comes from India. They never recorded when Krishna was born, never, and they never recorded when the character called Krishna died. This was out of a simple understanding and respect that He is not a character at all. Characters come and go, so dates can be

Holika was a smart woman || Neem Candies
Holika was a smart woman || Neem Candies
1 min

Yes, Holika… Not to miss out on her. A smart woman, no? A smart woman with extraordinary powers. And it’s her smartness that brought her to flames. That’s a very important message to be remembered. The more smart you are, the more clever you are, the more are the chances

Why live 364 days without Rama? || Neem Candies
Why live 364 days without Rama? || Neem Candies
1 min

I say, if you have lived up to Rama for 364 days, only then must you celebrate the festival of Rama-ness. How is it that for 364 days your life had nothing to do with Shri Rama, and on the 365th day you jump up and join the bandwagon, the

Let’s apologize to Rama || Neem Candies
Let’s apologize to Rama || Neem Candies
1 min

Diwali, for most people, must be a festival of austerity, of repentance. We must, on this day, offer our prayers to Shri Rama and say, “We are very sorry, O Holy One! We are extremely sorry. We couldn’t live by your life, your message, your teachings. We are very sorry.

Have you lived up to Rama? || Neem Candies
Have you lived up to Rama? || Neem Candies
1 min

I say, if for 364 days you have really lived up to Rama, only then must you honestly celebrate the festival of ‘Rama-ness’. How is it that for 364 days your life really had nothing to do with Shri Rama, and on the 365th day you jump up and join

Where is Rama in your celebration? || Neem Candies
Where is Rama in your celebration? || Neem Candies
1 min

Just think if Rama was there in his bodily shape, in his mortal life, and were to see you celebrating his festival. What would he say? He would call you, “Hey you! Yes, you! Come here. You just did something taking my name? All this tamasha (commotion) is in my

दूधों नहाओ पूतों फलो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
दूधों नहाओ पूतों फलो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
17 min

आचार्य प्रशांत: अगर मैं अपनी हस्ती में बस देह को कीमत दूँगा तो मुझे अपना नुक़सान भी सिर्फ़ कब दिखाई देगा? जब नुक़सान होगा शरीर का। तो मैं कहूँगा, 'अब कुछ नुक़सान हुआ है।' क्यों? क्योंकि मैं ख़ुद मूल्य, वैल्यू ही शरीर को देता हूँ। तो मैं शरीर के नुक़सान

जन्माष्टमी विशेष: औसत और साधारण ही रहना हो, तो छोड़ो कृष्ण को || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
जन्माष्टमी विशेष: औसत और साधारण ही रहना हो, तो छोड़ो कृष्ण को || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
11 min

आचार्य प्रशांत: हर उत्कृष्टता एक इशारा है, एक संकेत है। आसमान की ओर संकेत है और प्रकृति के विरुद्ध विद्रोह है। जब सबको एक जैसा होना चाहिए था तो कोई ख़ास हो कैसे गया? जो ख़ास हो गया, उसको तुम मानो कि वही अगर भगवान नहीं तो भगवत्ता का प्रतिनिधि

रक्षाबंधन मनाने वाले सब लोगों के लिए (किसको रक्षा चाहिए आज?) || आचार्य प्रशांत (2021)
रक्षाबंधन मनाने वाले सब लोगों के लिए (किसको रक्षा चाहिए आज?) || आचार्य प्रशांत (2021)
10 min

प्रश्नकर्ता: सर, मैंने आपका संदेश पढ़ा कि रक्षाबंधन को नए और ऊँचे अर्थ दो। मैं अपने घर की एकमात्र कमाने वाली सदस्या हूँ। मेरे पिता और दोनों छोटे भाई हर तरह से मुझ पर निर्भर हैं। आज बहुत सी महिलाएँ ऐसी हैं, जिन्हें पुरुषों से किसी तरह की सुरक्षा की

विशेष होली भेंट || आचार्य प्रशांत, उद्धरण
विशेष होली भेंट || आचार्य प्रशांत, उद्धरण
25 min

आचार्य प्रशांत: जो कुछ होली के नाम पर होता है उसमें प्रह्लाद तो कहीं नहीं है उसमें होलिका-ही-होलिका है लोगों ने ये जो नाम है होली लगता है इसका कुछ गलत अर्थ कर लिया। उन्हें लगा होली का मतलब है कि आज होलिका माता को याद करना है और उनको

हममें और चुन्ना भाई में कोई अंतर? || आचार्य प्रशांत (2019)
हममें और चुन्ना भाई में कोई अंतर? || आचार्य प्रशांत (2019)
5 min

आचार्य प्रशांत: (मुस्कुराते हुए) चुन्ना भाई की कहानी सुनेंगे? ये बड़ा गूढ़ रहस्य था, जो कभी कोई जान नहीं पाया कि चुन्ना भाई आठवीं कक्षा तक पहुँचे कैसे? मैं आठवीं की बात बता रहा हूँ। ब्रह्मांड के सब रहस्यों पर से पर्दा उठ सकता है, चुन्ना भाई आठवीं तक आ

मेले, उत्सव, पार्टियाँ - इनमें एक खास चीज़ देखी कि नहीं? || आचार्य प्रशांत (2023)
मेले, उत्सव, पार्टियाँ - इनमें एक खास चीज़ देखी कि नहीं? || आचार्य प्रशांत (2023)
24 min

प्रश्नकर्ता: नमस्ते सर। मुझे ये समझ में कई बार नहीं आता कि जब मैं किसी माहौल में होती हूँ तो जैसे बार-बार ये बात होती है कि माया को हमें सत्य नहीं समझना चाहिए। लेकिन जैसे मैं आज दशहरा मेले में अपने बच्चों को लेकर गयी तो मैं वहाँ पर

इन हरकतों से देवी प्रसन्न हो रही हैं? || आचार्य प्रशांत, दुर्गा सप्तशती - प्रथम चरित्र (2022)
इन हरकतों से देवी प्रसन्न हो रही हैं? || आचार्य प्रशांत, दुर्गा सप्तशती - प्रथम चरित्र (2022)
45 min

प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी, आजकल नवरात्रि के दिन चल रहे हैं। और मैं देख रहा हूँ कि बहुत समय से जितने विडियोज़ हैं उनपर नवरात्रि से जुड़े प्रश्न आ रहे हैं लोगों के। उसमें से एक प्रश्न था जो मुझे लगा कि काफ़ी ज़रूरी है आपके सामने उसे रखना। और

एटम बम, दीवाली वाला || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
एटम बम, दीवाली वाला || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
3 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मेरा प्रश्न ये है कि – जब हम ‘मुक्ति’ या ‘सत्य’ की बात करते हैं, तो क्या इसके बारे में हमारा कोई दृष्टिकोण होता है? मेरे अनुभव में ये आया है कि जब मुक्ति को पकड़ने की कोशिश करता हूँ, या कोई ‘लेबल' लगाने की

यारां दे यार || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
यारां दे यार || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
7 min

आचार्य प्रशांत: ऐसों से बचना जो मिलते ही ये कहते हैं कि चल यार, वीकेंड (सप्ताहान्त) पर पीते हैं। ऐसों से बचना जो जब तुमसे मिलने आते हैं तो तुम्हारे लिए साथ में गलौटी कबाब लेकर आते हैं, बचना। ये तो आया ही है देह का सुख साथ लेकर के।

काली कौन हैं? शराब-माँस पर विवाद क्या? || आचार्य प्रशांत (2022)
काली कौन हैं? शराब-माँस पर विवाद क्या? || आचार्य प्रशांत (2022)
41 min

प्रश्नकर्ता: नमस्कार आचार्य जी, अभी कुछ दिनों से मैं एक घटनाक्रम को फॉलो कर रहा था। जिसमें एक महिला फिल्ममेकर (चलचित्र निर्माता) हैं जिन्होंने माँ काली पर एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज करी है, बनाई है। जिसके पोस्टर पर उन्होंने माँ काली को बीड़ी या सिगरेट पीते हुए दिखाया है। जिस पर

देव-प्रतिमाओं का मनचाहा इस्तेमाल || आचार्य प्रशांत (2020)
देव-प्रतिमाओं का मनचाहा इस्तेमाल || आचार्य प्रशांत (2020)
16 min

आचार्य प्रशांत: प्रणाम आचार्य जी, पिछले कुछ दिनों में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का फिर से अनादर हुआ। और बुद्धिजीवी और कलाकार क़िस्म के लोगों का जैसे ये पसंदीदा काम हो। वो देवियों की मूर्तियाँ लेते हैं, प्रतिमाएँ लेते हैं और फिर उनका अपने अनुसार दुरुपयोग करते हैं।

इसी तरीक़े से

बकरीद: कुछ आँकड़े, और एक आग्रह || आचार्य प्रशांत (2023)
बकरीद: कुछ आँकड़े, और एक आग्रह || आचार्य प्रशांत (2023)
79 min

प्रश्नकर्ता१: नमस्ते सर। सर, बकरीद आने वाली है तो कल ही मेरे दोस्तों से मेरी बात हो रही थी व्हाट्सएप पर। तो उन्हें मैंने बोला कि भई इस बकरीद पर आप बकरा मत काटना — वो हर बकरीद पर काटते हैं।

तो उन्होंने मुझे सीधा ये बोला कि भाई, हम

राम से नाता नहीं, और चले हैं दीवाली मनाने || आचार्य प्रशांत (2019)
राम से नाता नहीं, और चले हैं दीवाली मनाने || आचार्य प्रशांत (2019)
28 min

प्रश्नकर्त्ता: आचार्य जी, भारत अब कोरोना महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या में चौथे स्थान पर आ चुका है। अमेरिका लंबे समय से सबसे ऊपर, पहले स्थान पर है ही। भारत और अमेरिका दोनों ही जनतंत्र की मिसाल माने जाते हैं। अमेरिका सबसे शक्तिशाली जनतंत्र, और भारत सबसे बड़ा जनतंत्र।

तू भी रावण है!
तू भी रावण है!
3 min

आचार्य प्रशांतः जिसके दस सर, वही रावण। रावण वो नहीं जिसके दस सर थे, जिसके ही दस सर हैं, वही रावण। और हम में से कोई ऐसा नहीं है जिसके दस, सौ-पचास, छह-हज़ार-आठ-सौ-इकतालीस सर न हो।

(हँसी)

दस सरों का मतलब समझते हो? एक ना हो पाना, चित्त का खंडित

त्योहारों को मनाने का सही तरीका क्या?
त्योहारों को मनाने का सही तरीका क्या?
5 min

आचार्य प्रशांतः मीनाक्षी का सवाल है, "आचार्य जी प्रणाम! त्योहार दिखावे से लगते हैं। परिवारों में इन त्योहारों पर बहुत पैसा और समय नष्ट होते देखा है। पुराने रीति-रिवाजों का साथ देना और उन पर चलना क्या सही है, गुरु जी?"

नहीं मीनाक्षी, बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि जो

नए साल को कैसे मनाएं? || आचार्य प्रशांत (2014)
नए साल को कैसे मनाएं? || आचार्य प्रशांत (2014)
8 min

प्रश्न: नए साल को कैसे मनाना चाहिए या छोड़ ही देना चाहिए, क्या रखना चाहिए? क्या नया धारण करना चाहिए?

आचार्य प्रशांत: आँखे बाहर-बाहर देख ही रही हैं कि क्या चल रहा है । दुनिया है दुनिया उत्सव मना रही है, ये तथ्य है और ये आपको साफ़-साफ़ दिखाई दे

नवरात्रि का असली अर्थ, और मनाने का सही तरीका || आचार्य प्रशांत (2016)
नवरात्रि का असली अर्थ, और मनाने का सही तरीका || आचार्य प्रशांत (2016)
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वक्ता: नवदुर्गा का माॅहौल है। शक्ति के बारे में कुछ बातें करना प्रासंगिक रहेगा। शिव केंद्र है, शिव सत्य है। शिव वो हैं जिन तक मन, ‘मन’ रह कर पहुँच नहीं सकता। शिव को तो रहस्य रहना है सदा। शक्ति, मन है, संसार है। शिव में स्थिरता है, अचलता है।

जन्माष्टमी कैसे मनाएँ? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2016)
जन्माष्टमी कैसे मनाएँ? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2016)
5 min

प्रश्नकर्ता: बासठ साल हो गए मुझे जन्माष्टमी मनाते हुए, आज आप उपलब्ध हैं यहाँ तो ये सवाल है मेरा कि जन्माष्टमी उत्सव का क्या अर्थ है और इसे कैसे मनाएँ?

आचार्य प्रशांत: दो तरीके से देख सकते हैं: एक तो ये कि कृष्ण-पक्ष के आठवें दिन जन्म हुआ था इतिहास

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Genghis Khan — he was fighting wars all his life. Somehow, he spared India. But the rest of Asia and some parts of even Europe — he totally vandalized. Vandalized to the extent that a very high percentage of people in Central Asia to this date carry his genes. He impregnated so many women. That seemed to be one of his major motivations: "If I win the war, I get to impregnate the women. Forty in a day." Imagine — entire populations bear the stamp of his genes. War and women—they always go together. Because they come from the same center.
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का जाति:। जातिरिति च। न चर्मणो न रक्तस्य न मांसस्य न चास्थिनः। न जातिरात्मनो जातिर्व्यवहारप्रकल्पिता॥१०॥

शरीर (त्वचा, रक्त, हड्डी आदि) की कोई जाति नहीं होती। आत्मा की भी कोई जाति नहीं होती। जाति तो व्यवहार में प्रयुक्त कल्पना मात्र है।

~ निरालंब उपनिषद (श्लोक क्रमांक १०)

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Questioner: Acharya Ji, in few days, Republic Day—that is, the 26th of January— will be celebrated, and the work that Foundation is doing is very closely linked with 'The Youngsters'. So, I wish to ask you in what ways the youngsters of today have lost love for the Nation?

Acharya