देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।।
~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 11
अर्थ:
यज्ञ से देवताओं को आगे बढ़ाओ, तो वो दैवत्य तुम्हारी उन्नति करेंगे। इस तरह परस्पर (आपस में) उन्नति करते हुए तुम परम श्रेय प्राप्त करते हो।
काव्यात्मक अर्थ:
*यज्ञ से देवत्व बढ़े
देवत्व से… read_more