People and Society

Is Technology & AI Making Us Smarter or Distracted
Is Technology & AI Making Us Smarter or Distracted
12 min
So, there is no way you will have privacy — or at least an assurance of privacy—of the old kind. The only thing that can safeguard you is a clean inside.
Who are You Without the Algorithm?
Who are You Without the Algorithm?
17 min
We were always algorithmic. We were always driven by instruction manuals. There was always some preset logic — inauthentic logic, borrowed logic — behind our conduct. And that’s why all that could be taken, consolidated, and put in the form of a code. Otherwise, where would the code come from?
Social Media: The Algo Wants to Fool You, Beat the Algo
Social Media: The Algo Wants to Fool You, Beat the Algo
25 min
Yes, social media does popularize, does globalize. The question is what? What? Not the things that would elevate human consciousness but the things that would debase you. Why? Because biologically in the evolutionary sense we are animals. No? And the first instinct is towards very primitive kinds of pleasures. Even the greatest of intellectuals, you might find them struggling to manage their diabetes. You see, he's a great intellectual. Yet the jungle within, the animal within is still very powerful.
War and Woman
War and Woman
30 min
Genghis Khan — he was fighting wars all his life. Somehow, he spared India. But the rest of Asia and some parts of even Europe — he totally vandalized. Vandalized to the extent that a very high percentage of people in Central Asia to this date carry his genes. He impregnated so many women. That seemed to be one of his major motivations: "If I win the war, I get to impregnate the women. Forty in a day." Imagine — entire populations bear the stamp of his genes. War and women—they always go together. Because they come from the same center.
हिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन? || (2021)
हिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन? || (2021)
38 min

का जाति:। जातिरिति च। न चर्मणो न रक्तस्य न मांसस्य न चास्थिनः। न जातिरात्मनो जातिर्व्यवहारप्रकल्पिता॥१०॥

शरीर (त्वचा, रक्त, हड्डी आदि) की कोई जाति नहीं होती। आत्मा की भी कोई जाति नहीं होती। जाति तो व्यवहार में प्रयुक्त कल्पना मात्र है।

~ निरालंब उपनिषद (श्लोक क्रमांक १०)

आचार्य प्रशांत: आज जो

The Foundation of the Indian Nation
The Foundation of the Indian Nation
9 min

Questioner: Acharya Ji, in few days, Republic Day—that is, the 26th of January— will be celebrated, and the work that Foundation is doing is very closely linked with 'The Youngsters'. So, I wish to ask you in what ways the youngsters of today have lost love for the Nation?

Acharya

लड़कों में कुछ खास है, जो लड़कियों में नहीं' ||
लड़कों में कुछ खास है, जो लड़कियों में नहीं' ||
19 min
अगर लड़की इतनी ही बुरी चीज़ है, तो आप क्यों लड़की हो? वो माँ, जो लड़का पैदा करने के लिए इतनी आतुर हो रही है, सबसे पहले तो जाकर के उसको *चेंज* (परिवर्तन) करना चाहिए। उसका इसको, इसको पुरुष बनाओ क्योंकि इसे स्त्रियों से तो नफ़रत है।और ऐसे जो पिता जी हैं जिनको लड़कियों से इतनी नफ़रत है कि उनको लड़का ही चाहिए। सबसे पहले तो उनके आसपास, इर्द-गिर्द जितनी भी महिलाएँ हों, सबको उनसे दूर किया जाये।
Why does mainstream education neglect wisdom studies? || IIT Kanpur (2020)
Why does mainstream education neglect wisdom studies? || IIT Kanpur (2020)
27 min

Questioner: Sir, I have been reading Krishnamurti and Vivekananda for the past three years and having learned from them, I genuinely feel that the teachings of such great teachers should be at the core of our education system. I personally feel that my decisions regarding my career and life would

Hijab and Burqa - choice and controversy || Acharya Prashant, at Delhi University (2023)
Hijab and Burqa - choice and controversy || Acharya Prashant, at Delhi University (2023)
5 min

Questioner (Q): Good evening, sir. My question is, recently there were huge protests going on in Iran against the imposition of the hijab . There were many people who talked about the hijab as an imposition on women; while others, including women, consider it to be their right of choice—whether

दुनिया की गंदगी से बचा लो इन बच्चों को
दुनिया की गंदगी से बचा लो इन बच्चों को
25 min
ये दुनिया बहुत गंदी है, बच्चे को ऐसे बड़ा करना होता है कि दुनिया का एक भी छींटा उस पर न पड़े। पागल-से-पागल माँ-बाप वो हैं, जो टीवी लगाकर बच्चे को सामने बैठा देते हैं या फिर आपस में बहस कर रहे होते हैं दुनियादारी की। बच्चे को ऊँची-से-ऊँची बातों का — सही किताबें, डॉक्युमेंट्रीज़, ई-बुक्स — इनका एक्सपोजर दीजिए। एक ऐसा बच्चा आपने निकाल दिया, तो वो सूरज की तरह चमकता है, पता नहीं कितनों को रोशनी दे देगा।
इस्लाम और आतंकवाद: समस्या और समाधान
इस्लाम और आतंकवाद: समस्या और समाधान
37 min
पुरानी कबीलाई रवायतें और इस्लामिक दर्शन — ये दोनों बातें आपस में गुथ गई हैं। बहुत सारी चीज़ें, जिनको आम मुसलमान मज़हब समझता है, वो वास्तव में बस अरब की प्रथाएँ हैं। धर्म के नाम पर जो चल रहा है, वो हज़ारों-लाखों लोगों की मौत बन रहा है। इसके प्रतिरोध में पूरी दुनिया कट्टर होती जा रही है। संसद, न्यायालय, कार्यालय, शैक्षिक संस्थाएँ — हर जगह से मुसलमान नदारद है। इस पिछड़ेपन का कारण अशिक्षा और ग़रीबी है। इसे दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश चाहिए — विज्ञान, इतिहास, तर्क में शिक्षा चाहिए।
Democracy at a Crossroads: Rethinking Delimitation in India
Democracy at a Crossroads: Rethinking Delimitation in India
5 min
It is not too late to make the corrections. Instead of plunging headlong into the redistribution of Lok Sabha seats, India can follow a gradual, equitable path. Increased size of state legislatures can be utilized for intra-state representation without disturbing federal balance. North Indian states should be provided 20–30 years to raise their human development indicators before the national representation is redistributed.
नए साल पर क्या संकल्प लें?
नए साल पर क्या संकल्प लें?
7 min
जो लक्ष्य हमें एक विशेष परिस्थिति ने, एक विशेष दिन ने दिए होते हैं, उसके प्रति लिए गए संकल्प भी उस परिस्थिति और दिन के बीतते ही स्वयं भी बीत जाते हैं। जीवन का एक ही लक्ष्य हो सकता है – अपने तक वापस आ जाना। ऐसे संकल्प लें जो हर पल होश बनाए रखने में सहायक हों। ग्रंथ अध्ययन, कला, खेल, पर्यावरण और पशुओं के प्रति जागरूकता, दुनिया के बारे में समझ; ये सभी संकल्प हैं जो आपके निर्भीक और मुक्त जीवन की ओर एक नई शुरुआत करेंगे।
भारत की रक्षा क्यों आवश्यक है?
भारत की रक्षा क्यों आवश्यक है?
18 min
राष्ट्र का अर्थ होता है — लोग जो साथ रह रहे हैं, और उनके साथ होने का कोई कारण होता है। वह कारण ऊँचे से ऊँचा होना चाहिए। सेना भी इसीलिए होती है कि उच्चतम की रक्षा की जाए। भारत इस अर्थ में थोड़ा विशेष राष्ट्र है। भारत का संविधान उदार और ऊँचा है। संविधान में जो प्रस्तावना है, उसकी एक-एक बात वास्तव में वेदांत है। भारत रक्षा के योग्य इसलिए है, क्योंकि अगर भारत सशक्त होगा, तो यही ऊँचे और उदार विचार पूरी दुनिया में फैल पाएँगे।
सेना का बल बहुत ज़रूरी है
सेना का बल बहुत ज़रूरी है
36 min
भारत राष्ट्र मूलतः वेदान्त के ऊँचे मूल्यों पर आधारित है। जिसे भारत कहते हैं — यह महान तो है ही, लेकिन खतरे में भी है। जो हिस्से भारत से अलग हो गए, इतिहास पर नज़र डाल लो कि उनके साथ क्या हुआ। बामियान (अफ़गानिस्तान) में बुद्ध की प्रतिमाएं थीं, जिन्हें तालिबान ने बम से उड़ा दिया। धर्म, कला, संस्कृति और विचार की ऊँची से ऊँची उड़ान — यह सब बहुत बढ़िया है; लेकिन इन सबको सुरक्षा और संरक्षण चाहिए। और एक संयुक्त सेना ही वह सुरक्षा दे सकती है।
बड़ी जीत हासिल करेंगे, न्यूक्लिअर तबाही नहीं
बड़ी जीत हासिल करेंगे, न्यूक्लिअर तबाही नहीं
49 min
भारतीय सेना को पाकिस्तान को घुटनों पर लाने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। जो ज़ुल्म और अंधेरे के पक्ष में ही खड़ा हो गया है, वह और ताक़तवर न हो जाए — इस उद्देश्य से युद्ध करना उचित होता है। पर भारत-पाकिस्तान का एक Conventional War भी 500 करोड़ का हो सकता है। एक Rafale 2,500 करोड़ का आता है। युद्ध शुरू करना भी एक गणित है — पता होना चाहिए कि कब शुरू करना है और यह भी पता होना चाहिए कि अब कहाँ पर जाकर हमारे उद्देश्यों की पूर्ति हो गई है।
धर्म — उन्नति का मार्ग या विनाश का हथियार?
धर्म — उन्नति का मार्ग या विनाश का हथियार?
22 min
धर्म की दिशा सबसे पहले भीतरी होती है। दूसरों को काफ़िर कहकर मार देना धर्म की दिशा नहीं है। धर्म जब गलत दिशा ले लेता है, तो ऐसी व्यापक तबाही करता है जिसकी कोई इंतहा नहीं होती। धर्म दोधारी तलवार है — अगर सही से समझा गया, तो ऊँचाइयों पर ले जाएगा; और नहीं समझा गया, तो ऐसा गिराएगा कि उठना असंभव हो जाएगा।
Why become a soldier, when there are other comfortable jobs? ||Acharya Prashant, B.H.U session(2020)
Why become a soldier, when there are other comfortable jobs? ||Acharya Prashant, B.H.U session(2020)
9 min

Questioner: I would like to join the army, but my family and friends are not very supportive. They say that when I could easily get a good job in Delhi or Bangalore, what is the point in risking my life as a soldier? What should I reply to them?

Acharya

The Real India
The Real India
13 min
The real India is not just a plot on a piece of paper. It is the India in which the openness of mind was first learned, where the Upanishads were born, and the land of Mahavira and Buddha. India is beautiful because it gave the world its first light of wisdom. That India is a very privileged and rare place — that is my India.
When Peace Looks Like War
When Peace Looks Like War
21 min
Before the Mahabharata war, Shri Krishna himself had tried his utmost to prevent war because that was the right action in that moment. But on the battlefield, he goes beyond his brief as a charioteer and rushes towards Bheeshma to attack. You don't think this is an image of peace — but it is. Peace is not about adjustment, reconciliation, or diplomacy. It is about the action that takes us towards the Truth — action that comes from clarity and love. Peace is about the right action.
राष्ट्रवाद: वेदांत के ज्ञान से सेना के सम्मान तक
राष्ट्रवाद: वेदांत के ज्ञान से सेना के सम्मान तक
36 min

प्रश्नकर्ता: मैं मूलतः बिहार से हूँ, पर पिछले पंद्रह वर्ष से दिल्ली में हूँ। मेरे छोटे बेटे ने अपनी अधिकांश शिक्षा दिल्ली से ली है, और अब वो दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है। हमारे पिताजी सेना में थे, युद्ध भी लड़े थे, और हमारे घर में फ़ौज और सेना

इस्लाम में सुधार
इस्लाम में सुधार
12 min
पर एक साधारण सी बात है कि दूसरों की गंदगी बताने से पहले अपनी गंदगी तो साफ करूँ और मेरी गंदगी साफ होगी। उसके बाद कोई आकर के मुझसे बात करना चाहेगा उसके घर की गंदगी के बारे में। तो मैं प्रस्तुत हूँ। भई आखिरकार तो आप इंसान हो और हर इंसान से आपका सरोकार है। बात पंथ, मज़हब, संप्रदाय की तो नहीं होती है। कोई भी आकर आपसे बात करेगा और वो साफ होना चाहता है। बेहतर होना चाहता है तो आप बिल्कुल खुलकर बात करोगे। उसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सबसे पहले तो आप अपनी बात करोगे ना। अपना भीतर झाँक कर देखोगे।
Why Does Caste Still Continue?
Why Does Caste Still Continue?
15 min
Caste is something that the Upanishads actively dismiss. So many of our saints came from the so-called lower castes and tried to purge Hinduism of its nonsense, but still, caste continues for two reasons. First, a human is born with an innate tendency to divide and separate. And second, a light has to be awakened in him, and that effort is called real education. We do not receive that education today.
माता सीता के चरित्र से क्या सीख सकते हैं?
माता सीता के चरित्र से क्या सीख सकते हैं?
14 min
जो सच का प्रेमी होता है, उसके हाथ में थोड़ा-सा संसाधन भी कमाल कर देता है। रावण की पूरी सेना और सारे अस्त्र-शस्त्र, माँ सीता के एक तिनके के आगे विफल हो गए — जीत तो बस उस तिनके की हुई। उन्होंने श्रीराम, अर्थात् सत्य को ही स्वीकार किया। जो शिव-शक्ति का संबंध है, वही राम-सीता का संबंध है। सीता के रूप में शक्ति हमको सिखा रही है कि राम को अपने आगे-आगे चलने दो। जब एक बार राम जीवन में आ जाएँ, तो फिर डर, लालच, स्वार्थ के कारण विचलित मत होना।
Caste Exists Only in the Mind
Caste Exists Only in the Mind
12 min
Caste is not in the body, it is just in the mind. If you are interested in somebody’s caste, you are a casteist! You meet someone, the person is standing in front of you — assess him as good, bad, or whatever — but why do you want to know his caste? Caste should have been relegated to the museums and the history books by now. Drop it right now! But to drop it, you will need to have self-knowledge.
'धर्म हिंसा तथैव च' शास्त्रों में लिखा है?
'धर्म हिंसा तथैव च' शास्त्रों में लिखा है?
14 min
महाभारत में एक दर्जन जगह आया होगा 'अहिंसा परमो धर्म:,’ लेकिन उसमें साथ में आगे कहीं भी नहीं लिखा है कि 'धर्म हिंसा तथैव च।' 'धर्म हिंसा तथैव च' — अहिंसा तो परम धर्म है लेकिन हिंसा भी धर्म है; किसी भी ग्रंथ में कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ है। इससे आपके रोंगटे खड़े हो जाने चाहिए कि ये कौन लोग हैं और ये कौन-सी सेंट्रलाइज़्ड जगहें हैं, जहाँ इस तरह की साज़िशें की जा रही हैं। जो उन्होंने जोड़ा है इसी से उनके मंसूबे पढ़िए — वो हिंसा करना चाहते हैं। यहाँ सीधे-सीधे धर्मग्रंथ के साथ पूरी खिलवाड़ ही कर दी गई है।
Is UPSC A National Loss For India?
Is UPSC A National Loss For India?
21 min
98% of the UPSC candidates should actually never have been candidates. Before one decides to invest one's life into something, shouldn’t one ask, “Am I even cut out for this?” “Do I have any worthwhile reason to pursue this?” The entire young section of the population — full of energy, is squandering its years preparing for an examination and by the time they're through with it, they're spent and old. This is a tremendous national loss.
आतंकवाद का इलाज क्या है?
आतंकवाद का इलाज क्या है?
35 min
आतंकवाद आपके मन में डर पैदा करने का काम करती है, तभी इसका नाम ही है आतंकवाद। आतंकी का निशाना बस वह लोग नहीं होते जिन्हें गोलियों से मार दिया जाता है। आतंकी का निशाना वो करोड़ों लोग होते हैं, जिन तक ना गोली पहुँचती है, ना गोली की आवाज़ पहुँचती है — जिन तक बस हत्याकांड की खबर पहुँचती है। आतंकी का इरादा, भारत के जितने 150 करोड़ लोग हैं, उनमें डर बैठाना है। आतंक और डर क्या है — यह भगवद्गीता समझाती है। जो जितना कम डरेगा वो आतंकवादियों के लिए उतना अनुपलब्ध होता जाएगा। और भारत अगर गीता का हो जाए, तो भारत डरना ही बंद कर दे।
भारत में कभी क्रांति क्यों नहीं हुई? अन्याय व शोषण के बावजूद?
भारत में कभी क्रांति क्यों नहीं हुई? अन्याय व शोषण के बावजूद?
38 min
पहले क्रांति मन में आती है। फिर समाज पर छाती है और हमारे मन की क्रांति को,जो हमने धर्म के विकृत संस्करण पकड़ रखे हैं। उस क्रांति को कुचल दिया है उसने। भारत का धर्म मूलतः बोध का धर्म है। जानने का वैदिक धर्म कहते हैं ना अपना हम, हां तो वेदांत जानने का दर्शन है जानो जानो बोधो अहम्, मैं सिर्फ बोध प्राप्त नहीं करता मैं बोध ही हूँ ये है हमारा असली धर्म लेकिन कालचक्र में हमने इस धर्म को मानने का विश्वास का धर्म बना दिया आस्था।
सोचा था बस 5 मिनट इंस्टाग्राम देखूँगा, फिर सो जाऊँगा
सोचा था बस 5 मिनट इंस्टाग्राम देखूँगा, फिर सो जाऊँगा
25 min
तुम्हारे पास जिंदगी में अपने लिए कोई अच्छा काम क्यों नहीं है? वो तुम्हारा काम देखने आ रहे हैं क्या? तो तुम्हारे पास फालतू समय क्यों है कि तुम उनका काम देख रहे हो? देखो मैं मना नहीं कर रहा हूं अच्छी किताबें पढ़ने से, अच्छी मूवीज देखने से। पर बहुत लोग जो ऐसा करते हैं ना कि हम तो अच्छी-अच्छी चीजें देखा और पढ़ा करते हैं। मैं कह रहा हूं वो भी अपना समय बर्बाद ही कर रहे हैं। ये क्या अच्छी-अच्छी चीजें देखा करते हैं, पढ़ा करते हैं।
जाति-प्रथा कैसे मिटेगी?
जाति-प्रथा कैसे मिटेगी?
18 min
जाति मानसिक कल्पनाओं और अंधविश्वासों में होती है। आप जैसे ही समझने लग जाते हो कि जाति सिर्फ़ मन का खेल है, फिर जाति पीछे छूटती है। जाति को दो ही चीज़ें तोड़ सकती हैं — पशुता या चेतना। जो ऊँचा उठ गया, वो भी जाति का ख़्याल नहीं करता और जो एकदम गिर गया, वो भी जाति का ख़्याल नहीं करता। अध्यात्म कहता है, सबको इतना उठा दो कि सब एक बराबर हो जाएँ। अध्यात्म ही जाति-प्रथा को मिटा सकता है, और कुछ नहीं।
Religion and Violence
Religion and Violence
17 min
Religious violence is not about a handful of terrorists; it's an entire ecosystem of passive toxicity supported by lakhs of people. When toxicity is beamed to you on TV and social media, you don't resist. And one day, it explodes into active violence. This is because we're still animals who live without understanding ourselves — this is called ignorance. Therefore, we need wisdom literature to help us transcend our animal disposition.
धर्म के नाम पर आतंकवाद
धर्म के नाम पर आतंकवाद
9 min
लोकधर्म हमेशा मान्यताओं पर चलता है। एक आतंकवादी अपनी मान्यता के लिए किसी को मार रहा है, क्योंकि जो उसकी मान्यता, उसकी कहानी में विश्वास नहीं करेगा, वो गंदा आदमी है। बहुत सारे बुद्धिजीवी यही कहते हैं कि रिलीजन इज़ वन ऑफ़ द फॉरमोस्ट सोर्सेज ऑफ़ स्ट्राइफ़ एंड कॉन्फ्लिक्ट। धर्म एकता का स्रोत सिर्फ़ तब हो सकता है, जब वो व्यक्ति को सब विभाजनों से दूर कर दे। वेदांत ही शायद एक अकेला है जो ‘ग्रेट यूनिफ़ायर’ है, बाक़ी तो सब तोड़-फोड़ के अड्डे हैं।
क्रिकेट और सट्टा
क्रिकेट और सट्टा
19 min
खेल बहुत प्यारी चीज़ है, पर खेल और विज्ञापन दिखाकर सट्टेबाज़ी करने में अंतर है। आज आपको क्रिकेट नहीं, उसके ज़रिए विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं। वही क्रिकेटर और सेलेब्रिटी आपको जुआ खेलने, सट्टा लगाने और पान मसाला खाने के लिए प्रेरित करते हैं। इनका अस्तित्व ही सिर्फ़ इसलिए है कि आपको विज्ञापन दिखाकर लूटते रहें। इससे बचने का एक ही समाधान है—भगवद्गीता, वेदांत और बोध ग्रंथों से जुड़ना।
Is News Of Any Use?
Is News Of Any Use?
12 min
Both the TV channels and the newspapers use news as a vehicle to bring advertisements to you. You are being subtly manipulated to buy and consume, consume and buy. Knowledge can be both—bondage and liberation. Knowing the world is knowing oneself; knowing oneself is knowing the world. It pays to know the world. And that is different from being obsessed with the world.
कुंभ: झूठ के सागर में खो गया सच का अमृत
कुंभ: झूठ के सागर में खो गया सच का अमृत
27 min
अमृत केंद्र में है इस कहानी के।और अमृत कहां से मिलना है? आत्म मंथन से। जो जितना स्वयं को जानता जाएगा उतना वो स्वयं से माने मृत्यु से मुक्त होता जाएगा। हम जो बने बैठे हैं वही मृत्यु है। जो आप अपने आप को समझते हो ना उसी का नाम मौत है। और जितना आप खुद को देखते जाते हो उतना समझ में आता जाता है कि मैं अपने आप को जो मानता हूं वो सब व्यर्थ है। मैं वो हूं ही नहीं। “नकार नेति”। अमृत माने कुछ पाना नहीं। अमृत माने मृत्यु से मुक्त होना। यही अमृतत्व है। मृत्यु से मुक्त होना।
जातिवाद: कारण और समाधान
जातिवाद: कारण और समाधान
22 min
मनुष्य चाहे किसी भी देश में हो, किसी भी परिस्थिति में हो, दुर्भाग्यवश विभाजन उसे सहज लगता है। जहाँ जाति के आधार पर विभाजन नहीं होता, वहाँ कोई और नाम लेकर यह प्रवृत्ति सामने आ जाती है। इन सभी बँटवारों का मूल स्रोत केवल मन की अज्ञानता और भ्रम है। जातिवाद मात्र एक लक्षण है, और मनुष्य को इससे नहीं, बल्कि समूची समस्या से मुक्ति चाहिए। इसका एकमात्र उपाय है—जीवन को गहराई से देखना, मन को समझना, जो वेदांत, गीता और उपनिषदों के अध्ययन से संभव है।
दहेज-प्रथा कैसे खत्म होगी?
दहेज-प्रथा कैसे खत्म होगी?
13 min
जब दूसरे के प्रति शोषण का नहीं, प्रेम का भाव होता है और इंसान को अपनी गरिमा की कुछ परवाह होती है, तब ये करना असंभव हो जाता है कि तुम किसी के साथ रहने के लिए उससे पैसे माँगो। हमारे समाज में लड़के को वैसे ही बड़ा करा जाता है जैसे कसाई अपने बकरे को बड़ा करता है कि एक दिन इसको वसूलूँगा! ये मुद्दा हमें कब का पीछे छोड़ देना चाहिए था। लोग पहले कुतर्क देते थे कि दहेज का एक इकोनॉमिक लॉजिक होता है। अब तो लड़की कमाती है, अब किस तर्क पर दहेज देते हो?
Was Dr. Ambedkar Against Hinduism?
Was Dr. Ambedkar Against Hinduism?
18 min
Dr. Ambedkar, one of the greatest minds of modern India, had problems with Hindu culture, but not with Vedanta. Our culture is based on the very periphery of religion and does not resonate with Vedanta. That’s the reason it is in conflict with the Constitution. The Constitution and true religiosity—which you can call self-knowledge or Vedanta—go together.
To Understand The Quran, Go To It With A Clean Mind
To Understand The Quran, Go To It With A Clean Mind
7 min
Before you go to the Quran, you must first be in a condition to understand what it is saying. The center of the Quran is Tauheed – Oneness. The Quran can be understood only when you, as the ego-mind, are connected to the same source that blessed the Prophet. Otherwise, you will misinterpret it. You are so full of ego that you want to remain what you are. By remaining what you are, if you apply your intellect to the scriptures, you will obviously distort them.
नवरात्रि के नौ रूपों को कैसे समझें?
नवरात्रि के नौ रूपों को कैसे समझें?
8 min
नौ का आँकड़ा सांकेतिक है। नौ का मतलब है बहुत सारे—शिव की शक्ति जितने भी अनंत रूपों में प्रकट हो सकती है। वह सृजन भी कर सकती है और विनाश भी। नवरात्रि हमें बताती है कि परवाह मत करो कि कर्म का रूप, रंग, नाम, आकार कैसा है। तुम यह देखो कि कर्म के पीछे 'कर्ता' कौन है। शक्ति के पीछे जो असली कर्ता बैठे हैं, उनका नाम है ‘शिव’। नवरात्रि अस्तित्व और जीवन की विविधताओं का प्रतीक है। कोई विविधता न तो अच्छी है, न बुरी। अगर मर्म ठीक है, तो सब रूप पूजनीय हैं।
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का महत्त्व
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का महत्त्व
24 min
हमेशा पूछा करो कि यह जो ग्रंथ है, क्या यह अपने केंद्र में मेरी समस्या को रख रहा है? अगर रख रहा है, तो वह ग्रंथ आपके काम का है। दुर्गा सप्तशती में सुरथ और समाधि की जो समस्या है, वह हमारी, आपकी, सबकी समस्या है। कौन-सी समस्या? आदमी का मोह में ग्रस्त रहना, आदमी का अपमान पाकर दुख झेलना। यह बात आज भी हो रही है। अगर आप यह समझ पाएँ, तो आगे फिर आपको देवी से बोध और आशीर्वाद प्राप्त होगा।
लोग ट्विटर पर अफवाहें क्यों फैलाते हैं?
लोग ट्विटर पर अफवाहें क्यों फैलाते हैं?
8 min
यह जीवन की गरीबी और दरिद्रता का प्रमाण है कि न जोश है, न जज़्बा, न सामर्थ्य, न ईमानदारी। तो ट्विटर पर अफवाहें फैलाना, गाली-गलौज करना ही पेशा बन गया है। घर का लंगड़ा कुत्ता भी बात नहीं मानता और कुछ करने को भी नहीं है, तो खोलो ट्विटर! जो समय गाली-गलौज और दुष्प्रचार में बर्बाद कर रहे हो, उसे शिक्षा हासिल करने में लगाओ। बहुत कुछ है जो पढ़ सकते हो, जान सकते हो। जीवन को सार्थक लक्ष्य से भरो, फिर या तो सोशल मीडिया के लिए वक्त नहीं रहेगा या फिर उसका सदुपयोग करोगे, दुरुपयोग नहीं।
रईसज़ादों की गाड़ी, मासूमों की बली
रईसज़ादों की गाड़ी, मासूमों की बली
21 min
समाज के ज़्यादातर संसाधन ऐसे नवाबज़ादों के हाथ में हैं, जो डिज़र्व नहीं करते। और जो मेरिटोरियस हैं, वे बेचारे स्कूटी पर चल रहे हैं और इन्हीं नवाबज़ादों द्वारा सड़कों पर मारे जा रहे हैं। यह प्रिविलेज वर्सेस मेरिट का एक मामला है, जिसमें प्रिविलेज ने मेरिट को सड़क पर रौंद दिया। बच्चों के पालन-पोषण और शिक्षा में जितना पैसा लगाना है, लगा दो, पर उनके हाथ में पैसा मत दो। यह बात समाज के लिए भी ठीक नहीं है और उस व्यक्ति के लिए भी, जिसके हाथ में आप अनडिज़र्विंग पैसा दे देते हैं।
हवस के शिकारी — तन ही नहीं मन भी नोच खाते हैं
हवस के शिकारी — तन ही नहीं मन भी नोच खाते हैं
30 min
जब समाज जागृत होने लगता है ना तो जितना बुरा नर को और नारी को लगता है रेप ऑफ द बॉडी में उतना ही बुरा उसको लगता है रेप ऑफ द माइंड में। और हम कभी नहीं बात करते हैं कि रेप ऑफ द माइंड की क्या सजा होनी चाहिए। औरत को भी यही लग रहा है कि मेरी सबसे बड़ी पूंजी मेरी यौन संपत्ति थी। तो अगर मेरी यौन संपत्ति छीन ली तो मेरा सबसे बड़ा नुकसान कर दिया। रेप ऑफ द माइंड हो रहा है तेरा लगातार पर तू उसकी कभी नहीं शिकायत करती। क्यों? क्योंकि वो लोग सम्माननीय कहलाते हैं। वह लोग बहुत बार धार्मिक भी कहलाते हैं। वह हमारे घरों के लोग हैं।
क्या देवी पशु बलि से प्रसन्न होती हैं?
क्या देवी पशु बलि से प्रसन्न होती हैं?
18 min
किसी भी धार्मिक त्योहार पर पशु को, जीव को क्षति पहुँचाना धर्म के बिल्कुल विरुद्ध है और देवी के महोत्सव पर तो ऐसा करना महोत्सव के प्राण खींच लेने जैसी बात है। देवी माने वो जो उनका संहार करती हैं जो प्रकृति के साथ हिंसा करते हैं और हम देवी के ही दिनों में प्रकृति के साथ हिंसा करते हैं। त्योहार आता इसलिए है कि आप वैसे न रहो जैसे आप रहते हो, कुछ ऊँचे उठ पाओ, लेकिन त्योहार के दिन तो हम अपनी रही-सही तमीज़ भी गायब कर देते हैं।
Gita’s Wisdom: A Solution to Riots
Gita’s Wisdom: A Solution to Riots
8 min
We talk about the 10, 20, or 100 indulging in active rioting but not the thousands and lakhs passively supporting them. If those thousands disappeared, would these few rioters survive? Had they known that displaying perverse attitudes in religion’s name would lead to social rejection, would they still dare? We fight because we are animals from jungles, sharing instincts with beasts. We require the Bhagavad Gita to transcend our animal disposition. Otherwise, we will remain violent.
रमज़ान में ज़कात का क्या महत्त्व है?
रमज़ान में ज़कात का क्या महत्त्व है?
20 min
ज़कात माने दान, और दान वह नहीं जिसमें तुमने कुछ ऐसा छोड़ा जो तुम्हारे पास है। दान की महत्ता इसलिए है क्योंकि दान में तुम स्वयं को ही छोड़ देते हो। अहंकार तो व्यापारी होता है—वह कुछ देता भी है तो उसमें मुनाफ़ा देखकर देता है। सबसे निम्न कोटि का दान वह है जिसमें तुम देते हो और अपेक्षा करते हो कि बदले में कुछ मिले। उससे ऊपर वह दान है जिसमें यह उम्मीद नहीं बाँध रहे कि कुछ मिलेगा। ज़कात एक विधि है, जिससे ज़िंदगी में कुछ ऐसा करो जिसमें तुम्हें मुनाफ़ा नहीं चाहिए।
Are Women Impure During Menstruation?
Are Women Impure During Menstruation?
4 min
No woman ever chooses to menstruate. It happens. So how can she be held guilty, responsible, or unclean? It is quite unfortunate that it has become a taboo for so many women. The genesis of the whole thing lies in the concept of physical purity. And that refers not merely to menstrual discharge but to all kinds of discharges that the body emits. It’s not a matter of spirituality; it’s a matter of hygiene and aesthetics.
महिला हमेशा क्यों बनती है निशाना?
महिला हमेशा क्यों बनती है निशाना?
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किसी महिला को बोल दिया गया है कि तू अगर घर से बाहर निकलेगी तो अपने आप को ऊपर से नीचे तक ढक कर निकलेगी। ये अत्याचार नहीं है क्या? किसी महिला को नौकरी करने से वंचित कर दिया गया है। खेलने से वंचित कर दिया गया है। यह अत्याचार नहीं है क्या? पर यह सब अत्याचार होते हैं तो हम इनको हल्के में ले लेते हैं। ठीक है? लेकिन जैसे ही कोई सेक्सुअल क्राइम होता है तो हम शोर मचाते हैं। मैं नहीं कह रहा कि सेक्सुअल क्राइम का महत्व नहीं है। मैं नहीं कह रहा हूं कि सेक्सुअल क्राइम पर शोर नहीं मचना चाहिए। मैं कह रहा हूं सिर्फ सेक्सुअल क्राइम पर ही शोर क्यों मचता है? आप समझ रहे हो?