Inspiring Personalities

Why Is Gandhi Ji Being Abused by Indians?
Why Is Gandhi Ji Being Abused by Indians?
24 min
Those abusing Gandhi Ji are least interested in him—they try to achieve something, and Gandhi Ji stands in the way. If one wants to create a society that is highly illiberal and deeply fractured on communal lines, then the symbol of liberalism and communal harmony has to be abused. Gandhi Ji is not just a person but a thought. Gandhi Ji was killed once, and that didn't suffice. Now, he’s being killed in abusive ways, yet some things cannot be killed.
Gandhi: An Earthly Journey, Not a Divine Destination
Gandhi: An Earthly Journey, Not a Divine Destination
7 min

He appeared very average, even unattractive. Short in stature, with a slender body, a dark complexion, and an ordinary face, those disproportionate earlobes! No broad shoulders, no wide chest. Yet, in the past several centuries, no one’s image has been gazed upon as much as his in India. No one’s

A Life Like Bhagat Singh's
A Life Like Bhagat Singh's
5 min
How occupied Bhagat Singh was. Even on the eve of his hanging, he was still reading the Bhagavad Gita. He said, "I still have a few hours. Let me spend these hours with the beloved. I have something very important to do." Or was he doing nothing in particular? Was he doing nothing in particular even in his last hours? No. He said, "Let me spend this time reading." And he was a voracious reader. At your age, he was so well read. Never had any time to waste.
सीखना चाहो तो बहुत सीख सकते हो
सीखना चाहो तो बहुत सीख सकते हो
4 min

आचार्य प्रशांत: खास बात समझो तो उनमें क्या है? देखो, किसी की सीधे-सीधे निन्दा कर देना बहुत आसान होता है। और किसी को देवता बनाकर के उसकी पूजा करने लगना, ये भी आसान ही होता है। पर इंसान को इंसान की तरह देखना और उसका सही मूल्यांकन करना वो ज़रूरी

Maslow’s Hierarchy of Needs Is Flawed
Maslow’s Hierarchy of Needs Is Flawed
6 min
The way Maslow constructed his pyramid is good, but not very exact. The ladder goes like “Food, security, self-esteem, and only then self-actualization.” No, that is not how it actually is. Self-actualization is not the top of the pyramid; it is the foundation of everything that you do; it is the foundation of your activity even when you are fulfilling your lower needs. Whatever you do, your entire universe, all your deeds, thoughts, purposes, motivations—all arises for the sake of actualization.
Why Aren't You Free?
Why Aren't You Free?
15 min
If freedom is important to you, you will secure it, you will get it. Do you love being free? Are you really a free bird? No, you had accepted slavery long back. And then you complain, and then you put up miserable faces, that won’t do. These faces are masks. The one who wants it, gets it.
Ancient Spiritual Practices Relevant Today?
Ancient Spiritual Practices Relevant Today?
16 min
Practices do not determine the core of spirituality; consciousness does. If someone is feeding you practices in the name of spirituality, then that fellow is either ignorant or cunning or both, which is actually the same thing.
चंद्रशेखर आज़ाद
चंद्रशेखर आज़ाद
5 min

🔥 "मेरा नाम 'आज़ाद' है, बाप का नाम 'स्वाधीनता' है और मेरा घर है 'जेल'” 🔥

भगत सिंह ने जब अपना घर छोड़ा, तो चिट्ठी के अंत में लिखा, "मेरी शादी की चिंता मत करना, मेरी दुल्हन आज़ादी है "।

एक ओर, जहाँ दुनिया को ये मुद्दा बड़ा गंभीर

War is what is normal || On Albert Camus (2017)
War is what is normal || On Albert Camus (2017)
4 min

“There’s always been war, But people quickly get accustomed to peace. So they think it’s normal. No, war is what’s normal.”

~ Albert Camus

Questioner: Acharya Ji, which ‘war’ is Albert Camus referring to?

Acharya Prashant: The questioner has asked that Albert Camus has said that ‘war’ is what is

Why is freedom from desire so very extolled? || On Vivekchudamani (2020)
Why is freedom from desire so very extolled? || On Vivekchudamani (2020)
3 min

Questioner: In The Fountainhead it is said, “I take the only desire one can really permit oneself. Freedom, Alvah, freedom. To ask nothing. To expect nothing. To depend on nothing.”

In the above lines, Ayn Rand has said that freedom is to not expect and depend on the desired outcome.

Bhagat Singh || Neem Candies
Bhagat Singh || Neem Candies
1 min

When his mother asked him, “Why don’t you get married?” Bhagat Singh replied, “I am already married, and her name is Freedom.”

Now, it behooves a Bhagat Singh to not get married to a woman because he has committed himself to freedom, but to every Tom, Dick and Harry it

Chaos inside is the catastrophe outside || Acharya Prashant, International Psychology Summit (2023)
Chaos inside is the catastrophe outside || Acharya Prashant, International Psychology Summit (2023)
1 min
The act of real rebellion || Acharya Prashant, on Albert Camus (2017)
The act of real rebellion || Acharya Prashant, on Albert Camus (2017)
1 min
तनाव आलस को आमन्त्रण है || आचार्य प्रशांत (2017)
तनाव आलस को आमन्त्रण है || आचार्य प्रशांत (2017)
37 min

प्रश्नकर्ता: न आलस है, न उठा हुआ है, न सोया हुआ, कुछ ऐसा मतलब एक कंफ्यूजन (संशय) है कि क्या ये, ये क्या है? नींद भी है उसमें हल्की सी, जागृति भी है, अब जागृति का तो पता नहीं लेकिन कुछ है, विचार भी नहीं है लेकिन कुछ है। लेकिन

जब लगे कि नाइंसाफ़ी हुई है आपके साथ || आचार्य प्रशांत (2023)
जब लगे कि नाइंसाफ़ी हुई है आपके साथ || आचार्य प्रशांत (2023)
46 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी। मेरा पहला प्रश्न ये है, हमनें चोट के बारे में बात कही, तो मैं अपने अनुभव में जो देखती हूँ मुझे ऐसा लगता है कि जब भी मुझे चोट लगती है उसके साथ एक और भाव जो साथ में ही उठता है वो होता है कि

अगर आज होते भगत सिंह || आचार्य प्रशांत (2020)
अगर आज होते भगत सिंह || आचार्य प्रशांत (2020)
11 min

आचार्य प्रशांत: समझ में नहीं आ रहा क्या कि जब भगत सिंह कहते थे कि वो नास्तिक हैं तो वो वास्तव में परंपरागत धर्म, सड़े-गले धर्म, संस्थागत धर्म को नकार रहे थे। नहीं तो एक ऊँचे आदर्श के लिए शरीर की आहुति दे देने से बड़ा धार्मिक काम क्या होगा?

भारत का सबसे बड़ा दुश्मन कौन? || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2020)
भारत का सबसे बड़ा दुश्मन कौन? || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2020)
15 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी कल हमने एक वीडियो पब्लिश किया था भगत सिंह के ऊपर, कल जन्मदिन भी था उनका, तो थोड़ा फिर मैंने रिसर्च ( शोध) किया इंटरनेट पर उनके बारे में; फिर आपने एक आर्टिकल (लेख) भी फॉरवर्ड किया थाl तो कल मेरे को पहली बार पता लगा कि

बस खाली बैठे हो? || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
बस खाली बैठे हो? || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
4 min

आचार्य प्रशांत: मुझे बिलकुल नहीं समझ आता कि छब्बीस, अट्ठाईस, तीस साल का कोई जवान लड़का या लड़की घर पर बैठकर कैसे खा सकता है, मेरे लिए ये एक भयानक बात है। मैं तो भगत सिंह को जानता हूँ, मैं राजगुरु को जानता हूँ, जो बाईस की उम्र में ही

ताकत चाहिए, आज़ादी चाहिए? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
ताकत चाहिए, आज़ादी चाहिए? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
10 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा प्रश्न श्रीमद्भगवद्गीता से है। श्रीकृष्ण कर्मयोग की जब बात करते हैं, तो वो कहते हैं, "निधनं श्रेय:", तो उसका सजीव उदाहरण अगर मैंने कहीं पढ़ा है, या इतिहास में देखा जाए, तो शहीद-ए-आज़म भगतसिंह मुझे उसका बहुत बड़ा उदाहरण दिखते हैं।

तो आज के युवा

वो भगत सिंह थे, इसलिए उन्होंने ये सवाल नहीं पूछा || आचार्य प्रशांत (2023)
वो भगत सिंह थे, इसलिए उन्होंने ये सवाल नहीं पूछा || आचार्य प्रशांत (2023)
26 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मेरा सवाल भगत सिंह से सम्बन्धित है। कल मैं वीर भगत सिंह के जीवन पर आधारित पिक्चर देख रहा था। तो जब उनको देखा तो एक घृणा आई ख़ुद के प्रति कि वो भी पच्चीस साल के थे और मैं भी अभी पच्चीस साल का हूँ।

दो गड्ढे - पैसा और वासना || आचार्य प्रशांत
दो गड्ढे - पैसा और वासना || आचार्य प्रशांत
9 min

प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी, मेरा प्रश्न है कि भगत सिंह की तरह हम कोई क्रांति लाने के बारे में क्यों नहीं सोच पाते?

आचार्य प्रशांत: तुम जिस ज़िंदगी की ओर बढ़ रहे हो वो भगत सिंह की है या चुन्नीलाल की? जल्दी बोलो! ये तो अजीब बात है! किताबों में

रिश्ते और भावनाएँ || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
रिश्ते और भावनाएँ || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
25 min

प्रश्नकर्ता: नमस्कार आचार्य जी, मैं आपको 2014 से लगभग सुन रही हूँ। उस समय बहुत छोटे-छोटे ग्रुप में आप शिक्षा दिया करते थे। तो अचानक से एक दिन वीडियो पॉप-अप हुआ — एंड आई वॉज लिसनिंग (और मैं सुन रही थी) स्वामी सर्व प्रियानंद हावर्ड स्कूल ऑफ डिविनिटी , वहाँ

उनके लिए, जिन्हें ऊँची ज़िन्दगी चाहिए || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश (2022)
उनके लिए, जिन्हें ऊँची ज़िन्दगी चाहिए || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश (2022)
14 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। मैंने नवम्बर वाला शिविर अटेंड किया था। वहाँ मैंने आपसे एक प्रश्न पूछा था विचारों को लेकर। और आपने दो चीज़ें बताईं थीकि एक तो ध्येय आपका सही होना चाहिए और निकटता होनी चाहिए उससे| एक आपने सूत्र भी दिया था कि ध्येय से प्रेम को

[गाँधी जयंती विशेष] मत मानों उनके आदर्शों को, लेकिन उनको एक बार ठीक से पढ़ लो
[गाँधी जयंती विशेष] मत मानों उनके आदर्शों को, लेकिन उनको एक बार ठीक से पढ़ लो
7 min

मैनचेस्टर से जाकर पूछो कि गांधी का वहां क्या नाम था और क्या छवि थी। गांधी कहते थे कि यह सब व्यापारी हैं, सभी पैसे के भूखे हैं। इन्हें भारत से जो पैसा मिल रहा है, भारत को लूट-लूट कर के लंदन मोटा रहा है। मैं भारत की लूट रुकवाऊंगा।

नरगिस मोहम्मदी - जीवन वृतांत
नरगिस मोहम्मदी - जीवन वृतांत
3 min

पिछले वर्ष ईरान में 22 वर्षीया 'माशा अमीनी' की ईरानी पुलिस द्वारा हत्या हुई। पूरी दुनिया ने विरोध जताया। माशा ओमिनी का जुर्म क्या था? उसने हिजाब वैसे नहीं पहना था जैसा ईरानी सरकार का आदेश था।

इस बर्बर हत्या के बाद ईरान की सड़कों पर हज़ारों महिलाओं की

आचार्य प्रशांत, आइन रैंड पर (2013)
आचार्य प्रशांत, आइन रैंड पर (2013)
5 min

Man’s basic vice, the source of all his evils, is the act of unfocusing his mind, the suspension of his consciousness, which is not blindness, but the refusal to see, not ignorance, but the refusal to know. Irrationality is the rejection of man’s means of survival and, therefore, a commitment

भगत सिंह - जीवन वृतांत
भगत सिंह - जीवन वृतांत
3 min

भगत सिंह कहते थे "बहरे कानों तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए अक्सर धमाकों की ज़रूरत पड़ती है। "

लेकिन उनको कहाँ पता था कि लोगों की स्मृति इतनी कमज़ोर है कि उनके जाने के बाद वे सिर्फ़ उनका 'धमाका' ही याद रखेंगे। और उनको भूल जाएँगे, उनके

धर्म को नशा क्यों कहा गया है? || आचार्य प्रशांत (2015)
धर्म को नशा क्यों कहा गया है? || आचार्य प्रशांत (2015)
3 min

आचार्य प्रशांत: मार्क्स ने कहा था “रिलीजन इज़ द ओपियम ऑफ़ द मासेज़ ”। समझ में आ रहा है क्यों कहा था? क्यों कहा होगा? क्यों कहा होगा? ओपियम माने? नशा, गाँजा। क्यों कहा होगा?

प्रश्नकर्ता: सर, मास फिनोमेना नहीं।

प्र२: सर, लगता है कि जानते नहीं हैं।

आचार्य:

धर्म नशा कैसे? || आचार्य प्रशांत, कार्ल मार्क्स पर (2013)
धर्म नशा कैसे? || आचार्य प्रशांत, कार्ल मार्क्स पर (2013)
1 min

प्रसंग:

धर्म का सही अर्थ क्या है? धर्म क्या है? क्या होश में जीना ही एक मात्र धर्म है? धर्म की प्रासंगिकता क्या है? इंसान को धर्म की आवश्यकता क्यों है? आज के मानव के लिए सच्चे अर्थों में धार्मिक होने के क्या मायने हैं? धर्म को कैसे समझें? कार्ल

सबसे शक्तिशाली प्रार्थना कैसी? || आचार्य प्रशांत, माइस्टर एकहार्ट पर (2013)
सबसे शक्तिशाली प्रार्थना कैसी? || आचार्य प्रशांत, माइस्टर एकहार्ट पर (2013)
1 min

तेरहवीं शताब्दी के जर्मनी के प्रसिद्द दार्शनिक - माइस्टर एकहार्ट द्वारा प्रार्थना से सम्बंधित उक्तियों पर आचार्य प्रशांत जी प्रकाश डालते हुए :

The most powerful prayer, one well nigh omnipotent, and the worthiest work of all is the outcome of a quiet mind. The quieter it is the more

डर और मुक्ति || आचार्य प्रशांत, मारिया रिल्के पर (2013)
डर और मुक्ति || आचार्य प्रशांत, मारिया रिल्के पर (2013)
1 min

प्रेम का अभाव ही डर है।

~ आचार्य प्रशांत

Perhaps everything that frightens us in its deepest essence is something helpless, that needs our love.

~ Rainer Maria Rilke

प्रसंग:- हमें डर कब और क्यों लगता है? - डर से मुक्ति कैसे संभव है? - डर क्या है? -

श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर - जीवन वृतांत
श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर - जीवन वृतांत
4 min

"मुझे आश्चर्य होता है ये देखकर कि कैसे भगवान ने चार करोड़ बंगालियों को बनाते हुए, एक आदमी को भी जन्म दिया।"

जिस 'आदमी' की बात यहाँ गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर कर रहे हैं, उनके लिए एक बार गांधी जी ने कहा था,

"विद्यासागर की उपाधि उन्हें उनके ज्ञान के लिए

आज भगतसिंह क्यों नहीं पैदा होते?
आज भगतसिंह क्यों नहीं पैदा होते?
39 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम!

आचार्य प्रशांत: जी।

प्र: अभी रात के बारह बज गये हैं। शहीद दिवस शुरू हो चुका है। और पिछले कुछ दिनों से मैं भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु — इनके विषय में पढ़ने की कोशिश कर रहा था। तो मेरे पास एक किताब आई जिसमें भगत सिंह

क्रान्तिकारी भगत सिंह, और आज के युवा || आचार्य प्रशांत (2019)
क्रान्तिकारी भगत सिंह, और आज के युवा || आचार्य प्रशांत (2019)
19 min

प्रश्न: आचार्य जी, कल तेईस मार्च भारत में शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, इनको फाँसी इस दिन मिली थी। तब भगत सिंह मात्र तेईस वर्ष के थे। तो युवाओं को इनसे क्या प्रेरणा लेनी चाहिए अपने जीवन में? आप कृपया मार्गदर्शन करें।

आचार्य

मार्क्स, पेरियार, भगतसिंह की नास्तिकता || आचार्य प्रशांत (2020)
मार्क्स, पेरियार, भगतसिंह की नास्तिकता || आचार्य प्रशांत (2020)
10 min

प्रश्न: आपने कहा कि आज के जितने भी लिबरल चिंतक इत्यादि हैं, वे कोई भी पराभौतिक हस्ती को पूर्णतया नकार देते हैं, और कहते हैं - "जो भी है वह यहीं आँखों के सामने है।" भगत सिंह ने भी कहा, "दुनिया में ईश्वर नाम की कोई चीज़ नहीं है," पेरियार

आइन रैंड की द फाउन्टेनहेड पर || आचार्य प्रशांत (2019)
आइन रैंड की द फाउन्टेनहेड पर || आचार्य प्रशांत (2019)
3 min

प्रश्नकर्ता: बहुत से लोग हैं जो फाउंटेनहेड पढ़कर जीवन में कोई बदलाव नहीं ला पाते हैं। और दूसरी तरफ़ बहुत ऐसे भी लोग हैं जो इस पुस्तक को पढ़ने के बाद विद्युतीकृत हो जाते हैं। आचार्य जी मैं दूसरे लोगों की श्रेणी में आने के लिए क्या कर सकता हूँ?

वासना निर्बल और निराधार क्यों? || आचार्य प्रशांत, रवीन्द्रनाथ टैगोर पर (2018)
वासना निर्बल और निराधार क्यों? || आचार्य प्रशांत, रवीन्द्रनाथ टैगोर पर (2018)
6 min

तुम मुझे रोज़मर्रा की निर्बल और निराधार वासना से बचते रहने की शक्ति देते रहो।

~ गीतांजलि

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, वासना को निर्बल और निराधार क्यों कह रहे हैं?

आचार्य प्रशांत: वासना को रवीन्द्रनाथ निर्बल इसीलिए कह रहे हैं, क्योंकि वासना में बल होता तो वासना उसको पा

Related Articles
शिक्षा माने क्या? बच्चे को कैसे बताएं?
शिक्षा माने क्या? बच्चे को कैसे बताएं?
8 min
शेक्सपियर क्यों पढ़ा रहे हो बताओ? और होगा कोई वाजिब कारण। निश्चित रूप से है। बाद में दिखाई पड़ता है कि हां एक माकूल, सही उचित वजह थी। पर उस वक्त अगर उसको ये बात नहीं पता चल रही है तो उसके लिए चीज उबाऊ हो जाती है। ये अंग्रेजी भी नहीं है। ‘दाऊ शाल्ट’— एक तो हिंदी में बात कर ले यार तू। ‘दाऊ शाल्ट’। प्यार, स्पष्टता ये सब एक साथ चलते हैं। आजादी, जिज्ञासा ये सब एक साथ चलते हैं। सबसे बड़ा नुकसान यह है कि आपकी जिंदगी प्यार से वंचित रह जाती है। और इससे बड़ी सजा दूसरी नहीं होती।
हमारी ज़िंदगी में प्यार क्यों नहीं है?
हमारी ज़िंदगी में प्यार क्यों नहीं है?
12 min
हमारे जीवन में किसी भी क्षेत्र में, किसी भी तार में प्रेम नहीं होता है। हम काम से कैसे प्रेम कर लेंगे? कोई नहीं मिलेगा आदमी। होगा, हजारों-करोड़ों में कोई एक होगा। जो कहे कि काम काम के लिए करता हूं। उसमें से जीविका चल जाती है, वह अलग बात है। पर पैसे नहीं भी मिल रहे होते तो काम तो मैं यही कर रहा होता। तो जहां मौका मिला नहीं वहां काम बंद। बारिश हो रही है काम बंद। कुछ हो रहा है काम बंद। कोई त्योहार आया है उसके दस दिन पहले से काम बंद। उसके दस दिन बाद काम शुरू होगा। और ज़िंदगी जितनी मीडियोक्रिटी की होती है ना आदमी काम उतनी जल्दी बंद करता है।
हम सब इतने नाराज़ क्यों हैं? Road Rage की वजह क्या?
हम सब इतने नाराज़ क्यों हैं? Road Rage की वजह क्या?
31 min
प्रमुख वज़ह ये है कि आमतौर पर आप जिस वज़ह से सड़क पर निकले ही हो न, वो वज़ह ही गलत है। आप सड़क पर होते ही गलत वज़ह से हो। भीतर-ही-भीतर कुछ आपके बड़े कष्ट में होता है और बड़े क्रोध में होता है। ऐसा नहीं कि किसी ने आपका बंपर छू दिया पीछे से, तो इस वज़ह से आपको बहुत गुस्सा आ गया। आप बहुत पहले से गुस्सा थे। आप बहुत क्रोध से भरे हुए थे कि आप क्यों नहीं लात मार सकते हो इस ज़िंदगी को। और आप अपनी बेबसी पर नाराज़ थे कि छोटे से लालच के पीछे आप कैसी ज़िंदगी बिता रहे हो? बिता नहीं रहे हो, रोज़ यही करते हो।
हीन भावना से कैसे बाहर आएं?
हीन भावना से कैसे बाहर आएं?
19 min
हीन भावना बहुत तगड़ी ज़िद होती है, जो आपका ही चुनाव होता है। हीनता नहीं होती है, स्वार्थ होते हैं। जो भी चीज़ आपको सता रही है, उसमें आपकी सहमति शामिल है। देखिए, आपका स्वार्थ कहाँ है? ज़रूर कोई फ़ायदा है हीन बने रहने में, इसलिए तुम हीन बने हुए हो। आपकी हर बेबसी, हर कमज़ोरी में आपका लालच मौजूद है। तुम अनंत हो, और जो अनंत है, वो किसी से छोटा हो सकता है क्या?
महँगी शादियों पर मर मिटा भारत
महँगी शादियों पर मर मिटा भारत
52 min
भारत दुनिया के सबसे बीमार देशों में है, सबसे कुपोषित देशों में है। और कोई देश शादी, व्याह पर पर उतना नहीं खर्च करता, जितना भारत करता है, वेडिंग इंडस्ट्री कहीं उतनी बड़ी नहीं है, जितनी भारत में है। हमें सीधा-सीधा संबंध नहीं दिखाई दे रहा, हमारी दुर्दशा में और हमारे फ़िजूल खर्चों में? छोटा-मोटा फ़िजूल खर्चा नहीं है ये कि बस एक जाकर के कहीं से आप एक शर्ट खरीद लाए जिसकी आपको ज़रूरत नहीं थी। ये दुनिया में कोई नहीं करता। और ये हमें करने के लिए मजबूर किया जा रहा है ― पैसे के भौंडे प्रदर्शनों के द्वारा, ग्लैमर (ठाठ-बाट) दिखा-दिखाकर के और अरमान जगा-जगाकर के हमें मजबूर किया जाता है।
बाप-बेटे के बीच कैसा रिश्ता हो?
बाप-बेटे के बीच कैसा रिश्ता हो?
30 min
हिंदुस्तान में असंभव है कि एक किशोर बेटा अपने बाप से अपने हृदय की बात कहे। हमारी परंपरा में बेटा बाप के चरण स्पर्श कर सकता है, पर गले नहीं लगा सकता। जिसके साथ चीज़ सेट हो गई, चाहे वह बाप-बेटे का रिश्ता हो या पति-पत्नी का, वहाँ फिर किसी तरह की कोई जिज्ञासा, कोई आत्मीयता नहीं रह जाती। ऐसे रिश्ते बनाना चाहते हो जहाँ दूसरे के लिए प्राण भी दे सको, तो मित्रता कर लो। रिश्ता तो वही चलेगा जिसमें नाम से ज़्यादा दोस्ती है।
यूज़ मी (Use Me): मेरा पूरा इस्तेमाल कर लो
यूज़ मी (Use Me): मेरा पूरा इस्तेमाल कर लो
27 min
और वो जो नियति है वो आपके चाहने से, कहने से बदलनी नहीं है। कौन जाने जितना भी है यूज़ मी। पूरा इस्तेमाल कर लो। मेरी परवाह नहीं करो। मेरा इस्तेमाल करो। पूरे तरीके से निचोड़ लो मुझको। और वही मैं चाह रहा हूं। इसमें कुछ ऐसा नहीं है कि मेरा शोषण हो जाएगा। मैं वही चाह रहा हूं। पूरे तरीके से एक-एक बूंद निचोड़ लो। शरीर जले तो बस शरीर जले। कुछ बचा नहीं। पहले ही सब निचुड़ गया था। यमाचार्य आके खड़े हुए। उन्हें कुछ मिला ही नहीं। खाली हाथ लौटना पड़ा। कहां गया इसका सारा माल? वो मैंने बांट दिया था। पहले ही बांट दिया था।
दुनिया की गंदगी से बचा लो इन बच्चों को
दुनिया की गंदगी से बचा लो इन बच्चों को
25 min
बच्चे का एक्सपोज़र रोकना पड़ेगा उसको इंसुलेट करना ही पड़ेगा, नहीं तो ये दुनिया उसको बहुत जल्दी खा जाएगी। पागल-से-पागल माँ-बाप वो हैं जो टीवी लगाकर बच्चे को सामने बैठा देते हैं या कि आपस में बहस कर रहे होते हैं दुनियादारी की, नालायिकियाँ कर रहे होते हैं और बच्चा बैठा है सुन रहा है।बच्चा प्रोजेक्ट ही होता है, छोटी बात नहीं है न। ये नहीं कि बस ऐसे ही हवाओं और लहरों के भरोसे छोड़ दिया कि बच्चा अब जिधर को जाएगा तो जाएगा, ऐसे नहीं।
भारत की शिक्षा व्यवस्था इतनी पीछे क्यों?
भारत की शिक्षा व्यवस्था इतनी पीछे क्यों?
15 min
आजकल खूब चल रहा है, “भारत विश्व गुरु है।” अरे! जब तुम गुरु हो ही तो तुम शिक्षा लेकर क्या करोगे। ये अगले स्तर का धोखा है कि हम तो पहले ही सबसे आगे हैं, तो अब आगे जाने की ज़रूरत क्या है। और अगर कोई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट आ जाए जो बता दे, भारत में शिक्षा का स्तर क्या है या मानव अधिकार का स्तर क्या है, तो बोल दो, ‘ये रिपोर्ट तो विदेशी प्रोपेगेंडा है। ये तो सब गोरे लोग हमारी तरक्की से जलते हैं, इसलिए वो दिखाते हैं कि भारत में हालत खराब है। गोरे लोग, गरीब ये, भूख से मर रहे हैं, भारत की खुशहाली से जल रहे हैं ये।
Letting Go of Habitual Affirmations: Is It Key to Spiritual Growth?
Letting Go of Habitual Affirmations: Is It Key to Spiritual Growth?
23 min
The purpose of all instruments of religion, methods of religion is to unblock. The truth is here, there, inside, outside, everywhere. But there is a blockage. That blockage is called the ego. The ego prevents the truth from coming to itself. So, religion is a device, a tool so that Truth can flow to the ego. The ego wants to defend itself against the truth because once the truth flows in, it dissolves the ego.
Why Did Sufi Poets Like Kabir Emphasize Love in Bhakti?
Why Did Sufi Poets Like Kabir Emphasize Love in Bhakti?
5 min
The saints don't display affection at all. Affection actually means disease. Affection means disease. The saints have no affection. The saints have love and love has nothing to do with affection. Affection and affliction go together. It is not affection that characterizes a saint. It is love that characterizes him. Affection and dryness, they go together. Together always. And affection and love, they never go together. So you have to be very clear about what accompanies what.
भगवद गीता - कर्मयोग: अध्याय 3, श्लोक 9
भगवद गीता - कर्मयोग: अध्याय 3, श्लोक 9
53 min

यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन: | तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्ग: समाचर ||3. 9||

अन्वय: यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र (यज्ञ के लिए किए कर्म के अलावा अन्य कर्म में) लोकोऽयं (लगा हुआ) कर्मबन्धनः (कर्मों के बन्धन में फँसता है) कौन्तेय (हे अर्जुन) मुक्तसङ्गः (आसक्ति छोड़कर) तत्-अर्थ (यज्ञ के लिए) कर्म (कर्म) समाचर (करो)

काव्यात्मक अर्थ: बाँधते

Meditation: A Simple Honesty Beyond Methods and Routines
Meditation: A Simple Honesty Beyond Methods and Routines
7 min

Meditation is the submergence of the ego in its essential nature. It is at the root of all self-knowledge and wisdom. However, most often, what we call meditation is just escapism—using some ‘method of meditation’ to superficially soothe our restlessness or gain temporary and deceptive relief from stress.

True meditation