मुरली बाज उठी अणघातां । सुन के भुल्ल गईआं सभ बातां ।
लग्ग गए अनहद बान न्यारे, झूठी दुनियां कूड़ पसारे, साईं मुक्ख वेखन वणजारे, मैनूं भुल्ल गईआं सभ बातां ।
हुन मैं चैंचल मिरग फहाइआ, ओसे मैनूं बन्न्ह बहाइआ, सिरफ दुगाना इश्क पढ़ाइआ, रह गईआं त्रै चार कातां । … read_more