Renunciation

The Dilemma of the Spiritual Path
The Dilemma of the Spiritual Path
16 min
Why is it that what you call the ‘spiritual path’ must be equated with leaving something? Do you find any renunciation in existence? Do you find anything in existence that is bent upon giving up something, or dropping something? If life were meant for dropping, then that whom you call as ‘God’ should have first of all dropped the universe. When he is running the universe, not dropping it, in spite of the world being as silly, as pointless and as rotten as it is, then why must you think of leaving all the desires behind, and going to the spiritual life, leaving all material behind, and doing something else?
Not Enlightened, Not Even a Seeker || AP Neem Candies
Not Enlightened, Not Even a Seeker || AP Neem Candies
2 min

Acharya Prashant: “He who claims liberation as his own, as an attainment of a person is neither enlightened nor a seeker. He suffers his own misery.”

Beautiful. “He who claims liberation as his own, as an attainment of a person is neither enlightened nor a seeker. He suffers his own

जब अपनी हालत से निराश होने लगें
जब अपनी हालत से निराश होने लगें
8 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, बहुत पहले से देख रहा हूँ। इमैजिनेशन (कल्पनाएँ करने) की आदत है। अब यहाँ तीन महीने से हूँ तो इसे और गहराई से देखने के लिए मिला। बहुत ज़्यादा गहराई तक है यह।

मैं सही-सही बताऊँ तो कोई मुझसे बात करता है तो मुझे उसकी आधी बात

Can Renunciation Be a Celebration?
Can Renunciation Be a Celebration?
6 min
It's not the object of renunciation or attachment that matters, but the idea you hold of it. Suffering lies not in giving up the object but in letting go of its idea. The mind lives in narratives. Once the narratives are gone, the attachment is gone. Then, renunciation becomes celebration, for what you’re dropping is not precious but your misery itself.
This Is Why a Vivekanand Is Rare || AP Neem Candies
This Is Why a Vivekanand Is Rare || AP Neem Candies
3 min

Acharya Prashant: By looking at one Vivekanand, you start imagining, or dreaming, or expecting that all youth can be like Vivekanand. And in this lies your ingratitude and disrespect towards Vivekanand. You do not know what kind of an impossibility a Vivekanand is. You do not appreciate him, so you

After dropping all, youre left with nothing. Now drop the nothing as well. || Acharya Prashant (2015)
After dropping all, youre left with nothing. Now drop the nothing as well. || Acharya Prashant (2015)
4 min

Speaker: Ashish says, “Whatever was once important to me now seems insignificant. I wonder whether there is anything worth doing. The feeling has made me lethargic. Or is that just another trick of the mind?”

You have got it right. It is just another trick of the mind.

Now, let’s

Detachment is the fruit of maturity || Acharya Prashant (2014)
Detachment is the fruit of maturity || Acharya Prashant (2014)
11 min

Speaker: You see we are outrageously arrogant when it comes to small things, we are so fond of claiming that which we do not have, but we are absurdly humble when it comes to claiming that which we really have. You don’t have a large house but you would not

कर्मयोग और कर्मसन्यास में अंतर? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2014)
कर्मयोग और कर्मसन्यास में अंतर? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2014)
19 min

आचार्य प्रशांत: कर्मसंन्यास और कर्मयोग क्या हैं? दोनों में अन्तर क्या है? आमतौर पर हम जिसे कर्म कहते हैं; वो कैसे होता है? वो ऐसे होता है कि जैविक रूप से और सामाजिक रूप से मन संस्कारित रहता है। फ़िज़िकल , सोशल दोनों तरह के संस्कार। तो मन में पहले

अध्यात्म में संकल्प लेने का महत्व है कि नहीं? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
अध्यात्म में संकल्प लेने का महत्व है कि नहीं? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
8 min

कुलक्षये प्रणश्यति कुलधर्माः सनातनाः। धर्मे नष्टे कुलं कृत्सन्धर्मोऽभिभवत्युत।।

हे अर्जुन, जिसको संन्यास कहते हैं उसी को तुम योग जानो क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरूष योगी नहीं होता।

~ श्रीमद्भगवद्गीता, छठा अध्याय, दूसरा श्लोक

प्रश्नकर्ता: संकल्पों के बिना कोई जीवन में आगे कैसे बढ़ें? निष्काम कर्म

Don’t become a prisoner of meditation practices
Don’t become a prisoner of meditation practices
14 min

Acharya Prashant (AP): (Reads question) Mohit Sharma from the USA, “Pranam Acharya Ji, I am paying attention to what and how I do. I have observed four states of mind. Is it natural to observe this? Are these all the same or different? And by doing it, will I go

The old is going, but where is the New?
The old is going, but where is the New?
4 min

Question: Sir, I am awake almost 14-16 hours a day. I have been feeling that I have just been wasting away this time. Nothing is getting done. Nothing is being accomplished. There is so much I can do, but I avoid it because I have a doubt that may be

Spirituality is not delinking yourself from the world || Acharya Prashant(2018)
Spirituality is not delinking yourself from the world || Acharya Prashant(2018)
5 min

Question: Given that all our relationships seem to be arising purely out of a sense of imagined need, is it possible to have any other kind of relationship?

Acharya Prashant Ji:

Those who are free of the world, are free to relate with the world in a healthy way. And

Man, how long will you avoid women? || Acharya Prashant (2022)
Man, how long will you avoid women? || Acharya Prashant (2022)
14 min

Questioner (Q) Pranam, Acharya Ji.

Acharya Prashant (AP): Have you fulfilled my condition, first of all?

Q: Yes, Yes, I went to one nightclub. I video-called Anmol Sir from there. One Saturday I went.

AP: What did you do there?

Q: I was just sitting, and had one orange juice,

Spirituality is the ability to live without escaping
Spirituality is the ability to live without escaping
10 min

Questioner (Q): We have just read about the Saints or people who are meditative and who stay in meditation for years or days. In what kind of state they are? Like, they are neither in joy or sorrow or...

Acharya Prashant (AP): See, anybody, who quits life to stay in

What is desire? Who takes rebirth? How to renounce? || Acharya Prashant (2019)
What is desire? Who takes rebirth? How to renounce? || Acharya Prashant (2019)
10 min

“He who cherishes desires and his mind dwells with his longings is by his desires born again wherever they lead him but the man who has won all his desires and has found his soul for him, even here in this world vanish away all desires.” ~Mundaka Upanishad

Questioner (Q):

The real meaning of renunciation in devotion || On Bhakti Sutra (2015)
The real meaning of renunciation in devotion || On Bhakti Sutra (2015)
4 min

तस्मिन्ननन्यता तद्विरोधिषूदासीनता च

~ नारद भक्ति सूत्र: ९

In the Lord whole-hearted, single-minded devotion and all else that are contrary to it, complete indifference.

This is the nature of renunciation.

~ Narad Bhakti Sutra: 9

Questioner: How is this sutra relevant in daily life?

Acharya Prashant: The man whose mind

सत्य की पुकार पर चलना दुनिया से भगोड़ापन तो नहीं? || आचार्य प्रशांत (2018)
सत्य की पुकार पर चलना दुनिया से भगोड़ापन तो नहीं? || आचार्य प्रशांत (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: पूज्य गुरुजी, सत्य की पुकार पर किसी दिशा में चल पड़ना एक चीज़ है और किसी जगह से भागकर भगोड़ा हो जाना, दूसरी चीज़ है। इन दोनों में अन्तर कैसे करूँ?

आचार्य प्रशांत: अन्तर बहुत साफ़ है भानु। भगोड़ा भागता ही नहीं, भगोड़ा मात्र स्थान परिवर्तित करता है। भगोड़ा

दुनिया से कट गई हूँ || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)
दुनिया से कट गई हूँ || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)
19 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी को नमन, सर मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहूँगी कि आपने जो कुछ सिखाया है वो बहुत अमूल्य है और सर मैं बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ, आपकी समर्पित प्रशंसक हूँ और सर मैं, जीवन में आपने जो कुछ सिखाया है वो पहले किसी ने बताया होता तो

बड़ी लड़ाइयों के पीछे छोटा सा राज़ || आचार्य प्रशांत (2022)
बड़ी लड़ाइयों के पीछे छोटा सा राज़ || आचार्य प्रशांत (2022)
16 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। बचपन से यही शिक्षा दी जाती है कि पढ़ाई कर लो, अच्छे नंबर लाओगे तो अच्छे बच्चे कहलाओगे या फिर आगे चलकर अच्छी नौकरी मिलेगी तो समाज में प्रतिष्ठा मिलेगी। तो इन सब में जो एक निष्कामता की जो चीज़ है, वो कहीं-न-कहीं कम ही रहती

राम अब भाते नहीं || आचार्य प्रशांत (2021)
राम अब भाते नहीं || आचार्य प्रशांत (2021)
21 min

प्रश्नकर्ता: पिछले बीस-चालीस साल से ऐसा क्यों हो रहा है कि लोगों को राम पसंद आने बहुत कम हो गए हैं? तो आम जनमानस को ख़ासतौर पर जो नई पीढ़ी है उसे तो नहीं ही पसंद आते राम, इधर पिछले बीस-चालीस साल के कुछ प्रसिद्ध गुरुओं ने भी राम का

इतनी गन्दगी है भीतर, फिर खुद से प्रेम कैसे करें? || आचार्य प्रशांत (2019)
इतनी गन्दगी है भीतर, फिर खुद से प्रेम कैसे करें? || आचार्य प्रशांत (2019)
4 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कल आपने सत्संग में आत्म-प्रेम के विषय में कहा था, कैसे मन यह जानते हुए, यह देखते हुए कि उसमें सारी गन्दगी मौजूद है, बहुत विकार मौजूद हैं, खुद को प्रेम कर सकता है। यह रास्ता बहुत कठिन मालूम होता है, जब भी आत्म-प्रेम, सेल्फ़-लव की ओर

भिक्षां देहि! || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
भिक्षां देहि! || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
2 min

आचार्य प्रशांत: ये बड़ा रूमानी सपना रहता है कि, "हम सन्यासी हो जाएँगे, और जैसे बुद्ध के चेले थे, बोलेंगे, 'भिक्षाम देहि', और द्वार से सुंदरी प्रकट होगी पात्र लेकर के, दाल-चावल, और हमारी अंजुली में डाल देगी और हम बिल्कुल नयन नीचे करे, मुक्त पुरुष की तरह खड़े रहेंगे।"

भारतीय बाबा और अमेरिकन डॉलर || आचार्य प्रशांत (2020)
भारतीय बाबा और अमेरिकन डॉलर || आचार्य प्रशांत (2020)
13 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी अभी आपने जो बताया, आपके पास आने से पहले, जो भी समझा, जो भी पढ़ा था तो उसमें ये था कि कामना की पूर्ति करते-करते मुक्ति तक पहुँच जाएँगे। लेकिन जब आप, आपके प्रकाश में ये पता चला कि कामना की पूर्ति ये जानकर कि हो नहीं

सच को सम्मान दो, झूठ अपनेआप पीछे हटेगा || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
सच को सम्मान दो, झूठ अपनेआप पीछे हटेगा || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
13 min

यं संन्यासमिति प्राहुर्योगं तं विद्धि पांडव। न ह्यसंन्यस्तसङ्कल्पो योगी भवति कश्चन।।

~ श्रीमद्भगवद्गीता, छठा अध्याय, दूसरा श्लोक।

जिसको संन्यास कहते हैं उसको तू योग जान क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी व्यक्ति योगी नहीं होता।

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी प्रणाम। मैं संकल्पों के त्याग का तात्पर्य समझना चाहता

क्या त्यागा था बुद्ध ने? दुनिया ऐसी क्यों? || आचार्य प्रशांत (2019)
क्या त्यागा था बुद्ध ने? दुनिया ऐसी क्यों? || आचार्य प्रशांत (2019)
14 min

प्रश्नकर्ता मन में एक विचार भी आता है कि ये पलायनवाद तो नहीं होगा। जैसे एक बार मैं ओशो को सुन रहा था तो उन्होंने भी कहा था कि बुद्ध ने कुछ छोड़ा तो वो राजा थे इसलिए छोड़ा। उन्होंने भोगा था, फिर छोड़ा। तुमने कुछ भी अर्जित नहीं किया

इन्द्रियों के पीछे की इन्द्रिय है मन || आचार्य प्रशांत, गुरु नानक देव पर (2014)
इन्द्रियों के पीछे की इन्द्रिय है मन || आचार्य प्रशांत, गुरु नानक देव पर (2014)
6 min

वजाइया वाजा पउण नउ दुआरे परगट कीए दसवा गुपतु रखाइआ।। ~ नितनेम (अनंदु साहिब)

आचार्य प्रशांत: ‘आनन्द साहिब’ से है कि उसने शरीर के वाद्य यन्त्र में साँस फूँकी और नौ द्वार खोल दिये लेकिन दसवें को छुपाकर रखा। दसवाँ द्वार कौनसा है? कौनसा हो सकता है दसवाँ द्वार? मन

न भोगो, न त्यागो || आचार्य प्रशांत, ओशो पर (2022)
न भोगो, न त्यागो || आचार्य प्रशांत, ओशो पर (2022)
8 min

प्रश्नकर्ता: नमस्ते सर, मैं आध्यात्मिक के इस रास्ते पर लगभग एक-डेढ़ साल से ओशो को सुन रहा हूँ और उनको सुनने के बाद ही मैं इधर इन रास्तों या फिर वो जो आध्यात्मिक गुरु हैं, उनके सम्पर्क में आया और उनको जानना-पढ़ना शुरू किया।

लगभग सालभर से आपको भी सुन

क्या बुद्ध या कृष्णमूर्ति को मोक्ष आसानी से प्राप्त हो जाता है? || आचार्य प्रशांत (2016)
क्या बुद्ध या कृष्णमूर्ति को मोक्ष आसानी से प्राप्त हो जाता है? || आचार्य प्रशांत (2016)
3 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, बुद्ध या कृष्णमूर्ति को मोक्ष आसानी से क्यों प्राप्त हो गया?

अचार्य प्रशांत: ये प्रश्न पूछकर के कि क्या कुछ लोगों को ज़्यादा आसानी से उपलब्ध हो जाता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम अपनेआप को यह सांत्वना देना चाहती हो कि जीवन तुम्हारे लिए अत्यधिक

भगवान बुद्ध महल छोड़ कर जंगल क्यों गए? || आचार्य प्रशांत (2018)
भगवान बुद्ध महल छोड़ कर जंगल क्यों गए? || आचार्य प्रशांत (2018)
23 min

प्रश्नकर्ता: भगवान बुद्ध महल छोड़कर जंगल क्यों गये?

आचार्य प्रशांत: वो जंगल की ओर नहीं गये थे, वो समाज से दूर गये थे। अन्तर समझना। बुद्ध को यह भ्रम क़तई नहीं था कि उन्हें जंगल में बोध मिल जाएगा। पेड़ पर थोड़े ही बोध लगता है! पेड़ पर बोध लगता

जब ऋषि-मुनि नग्न घूम सकते हैं, तो आम नारियाँ क्यों नहीं? || आचार्य प्रशांत (2020)
जब ऋषि-मुनि नग्न घूम सकते हैं, तो आम नारियाँ क्यों नहीं? || आचार्य प्रशांत (2020)
14 min

प्रश्नकर्ता: आप कहते रहते हैं कि जिसको जिसमें सहजता हो और सुविधा हो वो वैसे कपड़े पहने। आप ये भी कहते हैं कि ऋषियों को, मुनियों को स्वेच्छापूर्वक वस्त्र धारण करने का अधिकार है, उन्हें कुछ पहनना हो तो पहनें, न पहनना हो तो ना पहनें।

बहुत सारे पुराने ऋषि

ब्रह्मचर्य का असली अर्थ समझो || आचार्य प्रशांत (2019)
ब्रह्मचर्य का असली अर्थ समझो || आचार्य प्रशांत (2019)
15 min

प्रश्नकर्ता: ब्रह्मचर्य और विवाह में क्या सम्बन्ध है? जो भी जितने भी ब्रह्मचारी लोग हुए हैं, उनके जीवन को पढ़ते हुए बड़ा आनन्द आता है। मतलब जो ब्रह्मचर्य के नियम पर चले हैं। जैसे– स्वामी दयानन्द हो गए, महात्मा बुद्ध हो गए, भगवान महावीर हो गए या स्वामी विवेकानन्द हो

महात्मा बुद्ध भिक्षा माँगकर क्यों खाते थे? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
महात्मा बुद्ध भिक्षा माँगकर क्यों खाते थे? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
21 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, नमस्ते। मेरा नाम हर्ष है। इसी साल पढ़ाई पूरी हुई है और यहीं आईटी विभाग में ही जॉब कर रहा हूँ, फर्स्ट जॉब। एपी सर्कल के माध्यम से….

आचार्य प्रशांत: नहीं, मैं सोच रहा हूँ कि हम कुछ अच्छा ही कर रहे होंगे कि संस्था के एक

महात्मा बुद्ध ने अपने ऊपर थूके जाने पर क्रोध क्यों नहीं किया? || आचार्य प्रशांत (2018)
महात्मा बुद्ध ने अपने ऊपर थूके जाने पर क्रोध क्यों नहीं किया? || आचार्य प्रशांत (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता : मैंने एक कहानी सुनी कि महात्मा बुद्ध ध्यानावस्था में बैठे थे, उसी समय कोई व्यक्ति आता है और बार-बार बुद्ध पर थूकता है और बुद्ध पोंछते जाते हैं, बिना उस व्यक्ति से रुष्ट हुए। ऐसे ही विवेकानन्द के बारे में है कि कोई उनपर थूकता है, तो वे

क्यों चढ़ना पड़ा जीसस को सूली पर? || आचार्य प्रशांत, जीसस क्राइस्ट पर (2018)
क्यों चढ़ना पड़ा जीसस को सूली पर? || आचार्य प्रशांत, जीसस क्राइस्ट पर (2018)
1 min
स्वयं का विसर्जन ही महादान है || आचार्य प्रशांत, पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद पर (2015)
स्वयं का विसर्जन ही महादान है || आचार्य प्रशांत, पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद पर (2015)
20 min

वक्ता: पैगम्बर हज़रत मोहम्मद का वक्तव्य है कि जो ज़कात छिपी होती है, वो अल्लाह के गुस्से को शांत करती है। तो माहे रमज़ान चल रहा है, अच्छा है, कि इस समय पर ये सवाल आया है। ज़कात का महत्त्व तो साल भर ही होता है। रमज़ान में और बढ़

संसार से विरक्त कैसे हों? || (2020)
संसार से विरक्त कैसे हों? || (2020)
9 min

योऽन्तःसुखोऽन्तरारामस्तथान्तर्ज्योतिरेव यः। स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति।।

जो पुरुष अंतरात्मा में ही सुखवाला है, आत्मा में ही रमण करने वाला है तथा जो आत्मा में ही ज्ञान वाला है, वह सच्चिदानंदघन परब्रह्म परमात्मा के साथ एकीभाव को प्राप्त सांख्य योगी शांत ब्रह्म को प्राप्त होता है। —श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ५, श्लोक २४

पहले पागल थे, या अब हो गए?
पहले पागल थे, या अब हो गए?
9 min

आचार्य प्रशांत: आलोक जी कह रहे है कि आचार्य जी अब कुछ उल्टा होने लगा है। दुनिया महत्वपूर्ण लगने लगी है। मौत का क्यों सोचूं, जीवन भी तो अच्छा ही लगने लगा। आत्मा को खोजने की ज़रूरत ज़रा कम हो गई है, क्योंकि शरीर भी तो बढ़िया चीज़ है। पेड़,

कई बुद्ध पुरुषों ने समाज क्यों छोड़ा? || (2017)
कई बुद्ध पुरुषों ने समाज क्यों छोड़ा? || (2017)
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, बुद्ध पुरुषों ने जो बताया है समाज को, वह बहुत सरल है, लेकिन फिर भी इतना झूठ, इतना ड्रामा क्यों?

आचार्य प्रशांत: आप बताओ क्यों? कहीं बाहर से थोड़े ही टपक रहा है, रोज़ हम ही करते हैं। आप बताओ क्यों?

आप जिस वजह से करते हो,

कचरे से मोह छोड़ना है वैराग्य; निरंतर सफाई है अभ्यास || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2015)
कचरे से मोह छोड़ना है वैराग्य; निरंतर सफाई है अभ्यास || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2015)
7 min

श्री भगवानुवाच

असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं। अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते।।

अनुवाद: हे महाबाहो, निश्चय ही मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है, परंतु हे कुंतीपुत्र अर्जुन यह अभ्यास और वैराग्य से वश में होता है।

~ श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय ६, श्लोक ३५)

आचार्य प्रशांत:

गहरी वृत्ति को जानना ही है त्याग || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)
गहरी वृत्ति को जानना ही है त्याग || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)
2 min

मन मते माया तजि, यूँ करे निकस बहार।

लागी रही जानी नहीं, भटकी भयो खुआर।।

संत कबीर

आचार्य प्रशांत: मन ने बड़ी होशियारी दिखाई, मन ने कहा माया तज दो, माया के नाम पर क्या तज दिया?

माया के नाम पर लोग क्या तजते हैं? ये खाऊंगा नहीं, ये पहनूंगा

खाली करो, खाली करो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग, संत रूमी पर (2015)
खाली करो, खाली करो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग, संत रूमी पर (2015)
34 min

Anyone can bring me gifts; give me someone who can take away

Rumi

एनीवन कैन ब्रिंग मी गिफ्ट्स; गिव मी समवन हू कैन टेक अवे

रूमी

वक्ता: मुझे ‘दे’ तो कोई भी सकता है, चाहिए कोई ऐसा जो मुझे ‘खाली’ कर दे। गिफ्ट्स शब्द का उपयोग है — भेंट, उपहार।

छूटता तब है जब पता भी न चले कि छूट गया
छूटता तब है जब पता भी न चले कि छूट गया
3 min

प्रश्नकर्ता: सर, मेरा नाम प्रशांत है। मैं आपसे मिलने नहीं आना चाहता था। पर आया हूँ। मेरा सवाल यही है।

आचार्य प्रशांत: प्रशांत ने कब चाहा है कि प्रशांत से मिले। पर प्रशांत की नियति है प्रशांत से मिलना।

मिले नहीं हो, मिले हुए थे।

प्र: नहीं समझा।

आचार्य: कभी

प्रेम है मात्र अपने परित्याग में || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)
प्रेम है मात्र अपने परित्याग में || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)
14 min

आप मिटै पिउ मिले,पिउ में रहा समाय ।

अकथ कहानी प्रेम की,कहें तो को पतियाय ।।

~ संत कबीर

वक्ता: ये उम्मीद करना भी कि समझ जाएगा,बड़ी नासमझी की बात है। सूरज इस उम्मीद में नहीं चमकता कि वो समझ लिया जाएगा। दीया इस उम्मीद में नहीं जलता कि और

छोड़ना नहीं, पाना
छोड़ना नहीं, पाना
11 min

आचार्य प्रशांत: परम त्याग नहीं, परम प्राप्ति। ये सिर्फ शब्दों की बात नहीं है। ये पूरा-पूरा दृष्टि का ही अंतर है। सत्य आपके समक्ष आएगा ही नहीं अगर आप पाने की भाषा में बात नहीं करेंगे। अगर आपकी संतोष की वही धारणा है, जो आमतौर पर चली आ रही है,

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यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन: | तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्ग: समाचर ||3. 9||

अन्वय: यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र (यज्ञ के लिए किए कर्म के अलावा अन्य कर्म में) लोकोऽयं (लगा हुआ) कर्मबन्धनः (कर्मों के बन्धन में फँसता है) कौन्तेय (हे अर्जुन) मुक्तसङ्गः (आसक्ति छोड़कर) तत्-अर्थ (यज्ञ के लिए) कर्म (कर्म) समाचर (करो)

काव्यात्मक अर्थ: बाँधते