Death

अपनों की मृत्यु का दुख क्यों होता है?
अपनों की मृत्यु का दुख क्यों होता है?
6 min
जितना अपनों की मृत्यु का दुख होता है, उतना ही अपनी मृत्यु का भय होता है। उनकी मृत्यु हमारी मृत्यु की याद दिलाती है। किसी की भी मृत्यु के दुख के मूल में अज्ञान बैठा है। जब अज्ञान नहीं रहता, तो रिश्ते में बिछुड़ने का डर नहीं रहता। रिश्ते में एक संपूर्णता रहती है। अभी ही पूरा है, तो आगे के लिए कुछ बचा नहीं है। जब रिश्ता ऐसा होता है, तो फिर उसमें विदाई भी सहज रहती है। किसी के साथ कामना का रिश्ता बनाओगे, तो दुख ही पाओगे।
मौत झूठ है
मौत झूठ है
9 min
आपको लगता है कि अब आपकी चीज आपसे छिन गई, वो छिनी नहीं है, वो कहीं और पहुँची है, बिखर गई है, हजार जगह पहुँच गई है, लेकिन वो जहाँ भी पहुँची है, वहाँ पर, तो आप भी मौजूद हो। तो आपसे भिन्न कहाँ हुआ वो आपसे अलग कहाँ हुआ आपसे बिछड़ा कहाँ, वो? जो आपको दिखाई देता है कि वो जहाँ भी जायेगा वो आपको ही पायेगा। तो फिर आपको दुख थोड़े ही होगा।
Is Death Random or Predetermined?
Is Death Random or Predetermined?
11 min
When it comes to death, we think so much about divine intervention, as if there is some conscious entity at work with a deliberate plan. Just realize that life doesn’t follow our plan or any divine plan. We come and go, just as waves rise and fall in the ocean. There is no rhyme or reason to it. We die just as we come—randomly. Nobody is doing it. It’s hard to swallow, but if we can acknowledge this, it would set us free.
अपनों की मौत दर्द क्यों देती है?
अपनों की मौत दर्द क्यों देती है?
12 min
हम अपनी हस्ती को अपने संबंधों से जानते हैं। 'मैं' की अपेक्षा 'मेरा' के माध्यम से जानते हैं। किसी अपने के गुज़र जाने पर ऐसा लगता है कि आंशिक मृत्यु हमारी भी हो गई हो। जिन संबंधों के साथ हम रहते हैं, वहीं अधिकतम संभावना होती है कि हम उन्हें प्रेम की गहराई और बोध की ऊँचाई दे सकें। रिश्ते में अगर यह गहराई हो, तो शारीरिक मृत्यु दुखदाई नहीं होती क्योंकि संबंध अपनी पूर्णता हासिल कर चुका होता है।
Understanding Death Rituals: Is it Okay to Forego Them?
Understanding Death Rituals: Is it Okay to Forego Them?
5 min
Existentially and Absolutely, no issues at all. By existence, I mean this prakritik existence. Absolutely meaning at the level of the Truth, Self, Atman. No problems at all. Nobody’s going to bother. There is nobody to bother. But mentally, yes, the whole affair has to be tactfully managed. There has to be resolve within and tact outside, and then it’s alright.
Is Death Always There, or Is Life Itself Death?
Is Death Always There, or Is Life Itself Death?
7 min
The sword is hanging over everybody’s head. It can fall here or there. Nobody is conspiring against anybody, and nobody has been blessed with special fortune. There is a random chance it falls here; it falls there. I am not talking of cases in which, let’s say, the family atmosphere is so toxic that it compels a couple of members to commit suicide. I am not talking of such cases. I am talking of accidental deaths. Accidental deaths are exactly that: accidents.
ये खास सीख छुपी है मौत के डर में [भागो मत, कुछ सीखोगे]
ये खास सीख छुपी है मौत के डर में [भागो मत, कुछ सीखोगे]
14 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी! आचार्य जी, मैं बचपन से ही ऐसे माहौल में रहा कि पापा से बहुत डर लगता था। पापा बहुत मारते-पीटते थे। चाचा भी बहुत मारते-पीटते थे। तो बहुत डर लगता था। फिर कॉलेज चला गया। कॉलेज में ऐसा था कि हम एक ग्रुप में रहते थे,

क्या मृत्यु पर उत्सव मनाना चाहिए?
क्या मृत्यु पर उत्सव मनाना चाहिए?
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी जब किसी का जन्म होता है तो उसका उत्सव मनाया जाता है, मृत्यु का उत्सव क्यों नहीं मनाया जाता?

आचार्य प्रशांत: ज़बरदस्ती की बात कि कोई मरता है तो उत्सव क्यों नहीं मनाते। क्यों मने उत्सव भाई! मैं नहीं कह रहा हूँ कि कोई मरे तो तुम

क्या लंबी ज़िंदगी ज़रूरी है?
क्या लंबी ज़िंदगी ज़रूरी है?
8 min
जीवन अवसर मात्र है, जितना भी जियो, पूरा जियो। वर्षों की लंबाई मायने नहीं रखती। जीवन में गहराई हो, तभी बात बनती है। भगत सिंह - इक्कीस साल। जीज़स, विवेकानंद, जॉन ऑफ़ आर्क - इनमें से कौन लंबा जिया था? मृत्यु को सदा याद रखो, क्योंकि वो लगातार घटित हो रही है, सामने है तुम्हारे; और जो सामने है, उसका डर कैसा? जीने का एक ही उद्देश्य है - शरीर मरे, इससे पहले मरने का डर मर जाए।
How to Cope with a Loved One's Death?
How to Cope with a Loved One's Death?
7 min
To the loved ones who have died, pay the holiest tribute possible. There are others still here; ensure you have right relationships with them. If a relationship is right, the end won't hurt much. The end might even be glorious, a true pinnacle. The relationship was an upward journey all along, and death now becomes the peak of that connection.
मृत्यु के समय शरीर से क्या निकलता है?
मृत्यु के समय शरीर से क्या निकलता है?
13 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मुझे एक चीज़ पूछनी थी कि जैसे आपकी चेतना है या ओशो रजनीश की चेतना, हम ये मान के चल रहे हैं कि आप लोगों की चेतना एक आम चेतना से बहुत ऊपर है। तो क्या हम ये मान के चलें जब ऐसे धर्मगुरु शरीर छोड़ते हैं

सबसे सुंदर है वो चेहरा जिस चेहरे पर डर नहीं
सबसे सुंदर है वो चेहरा जिस चेहरे पर डर नहीं
6 min

आचार्य प्रशांत: अपनी हस्ती पर भरोसा करिए। आप अपनेआप को जितना जानते हैं, आप उससे कहीं ज़्यादा सामर्थ्यवान हैं। अपना आकलन आप बड़ी हीनता में करते हैं, अंडरएस्टिमेशन (कम आँकना)।

छोटे नहीं हैं आप, विश्वास करिए। उसी ऊँचे विश्वास को श्रद्धा भी कहते हैं। कि जाने दो जो जाता है,

The Storm Kept Raging, the Sky Didn't Utter a Word
The Storm Kept Raging, the Sky Didn't Utter a Word
12 min

Acharya Prashant: What's the relationship between immortality, deathlessness, and knowing the Ātmā as the container of the material and the mental world? Not that they are really distinct, still. So, what's the relation between knowing Ātmā as the container of the world and keeping all other thoughts aside, and immortality?

Life Is Uncertain, Unpredictable. How Do I Remain at Peace?
Life Is Uncertain, Unpredictable. How Do I Remain at Peace?
9 min
The question is, why do we want the uncertain to be certain? Why do we want the changing to become unchangeable? Why do human beings try so much for security? That is because we are, by our internal constitution, designed to love security. Uncertainty cannot be limited; uncertainty is the very nature of life and this world. You have to be secure within. Read more...
Facing Life Is More Real than Facing Death (Kath Upanishad) || AP Neem Candies
Facing Life Is More Real than Facing Death (Kath Upanishad) || AP Neem Candies
6 min

Acharya Prashant: Nachiketa is a mere boy dependent on his father, and he has the honesty and the guts to go to his father and say, “Of what use is all this that you are doing? Who will benefit from these old and sick and milkless cows?” I assure you

Why Does the Mind Wander? - Part 2
Why Does the Mind Wander? - Part 2
15 min

Acharya Prashant: You see you are a human being. It is neither possible nor advisable for you to just give up on the past. The body is nothing but a flow of the past stretching over time. So, you cannot just wish away the past. It won’t happen.

If the

जो जीवन को मृत्यु जाने, वो मृत्यु के पार हुआ || आचार्य प्रशांत, आजगर गीता पर (2020)
जो जीवन को मृत्यु जाने, वो मृत्यु के पार हुआ || आचार्य प्रशांत, आजगर गीता पर (2020)
16 min

अन्तरिक्षचयाणां च दानवोत्तम पक्षिणाम्। उत्तिष्ठते यथाकालं मृत्युर्बलवतामपि।।

दानवश्रेष्ठ! आकाश में विचरणे वाले बलवान पक्षियों के समक्ष भी यथासमय मृत्यु आ पहुँचती है। ~ आजगर गीता, श्लोक १६

दिवि सञ्चरमाणानि ह्नस्वानि च महन्ति च। ज्योतींष्यपि यथाकालं पतमानानि लक्षये।।

आकाश में जो छोटे-बड़े ज्योतिर्मय नक्षत्र विचर रहे हैं, उन्हें भी मैं यथासमय

पुनर्जन्म तो होता है, पर आपका नहीं होगा || आचार्य प्रशांत कार्यशाला (2023)
पुनर्जन्म तो होता है, पर आपका नहीं होगा || आचार्य प्रशांत कार्यशाला (2023)
17 min

प्रश्नकर्ता: सर, जो पुनर्जन्म की बात की जाती है, क्या हम उसको समझ सकते हैं?

आचार्या प्रशांत: देखो, पुनर्जन्म तो ठीक है, लेकिन ज़रूरी है यह पूछना – पुनर्जन्म किसका? आवश्यक है कि आप समझें कि पुनर्जन्म है, लेकिन कोई पर्सनल सेल्फ (व्यक्तिगत स्व) नहीं होता है जिसका पुनर्जन्म हो

Such clever questions ! || Acharya Prashant (2019)
Such clever questions ! || Acharya Prashant (2019)
5 min

Questioner: When we all meet the same end, that's death, how does it matter whether I spent my life like a warrior or as an idol statue?

Acharya Prashant: There are many other options as well which you are very cleverly hiding. Look at the very construction of the question—sharp!

Sir, have you had a near-death experience? || Acharya Prashant, with IIT-Patna (2023)
Sir, have you had a near-death experience? || Acharya Prashant, with IIT-Patna (2023)
5 min

Questioner(Q): Hello Sir, I am Saurav, PhD student at IIT-Patna. Sir, a couple of years ago I met with a bike accident. At that moment, I felt like time was moving very slowly. I don’t know if it was just my feelings, but I searched on the internet and I

What is liberation from the cycle of birth and death? || Acharya Prashant, on Nitnem Sahib (2019)
What is liberation from the cycle of birth and death? || Acharya Prashant, on Nitnem Sahib (2019)
7 min

ਕਰਮੀ ਆਵੈ ਕਪੜਾ ਨਦਰੀ ਮੋਖੁ ਦੁਆਰੁ ॥

karmee aavai kaprhaa nadree mokh du-aar

By good karma, the Saropa, which is this body, the robe of honor, is obtained, and by His kindness, the door to salvation opens.

~ Guru Granth Sahib 2-5 (Japji Sahib, Nitnem)

✥ ✥ ✥

Questioner (Q):

Three states of consciousness, death, and liberation || Acharya Prashant, on Raman Maharshi (2019)
Three states of consciousness, death, and liberation || Acharya Prashant, on Raman Maharshi (2019)
13 min

Questioner: Ramana Maharshi says, “There is no difference between the dream and the waking state except that the dream is short and the waking state is long.” Further at another place he says, “Just before waking up from sleep there is a very brief state free from thought. That should

हे प्रभु! रक्षा करना || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2020)
हे प्रभु! रक्षा करना || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2020)
24 min

प्रश्नकर्ता: उच्चतम स्थान किसका है? क्या सत्य और ईश्वर एक हैं? जो उच्चतम है, उसके प्रति प्रार्थना का क्या अर्थ है? और दूसरा मुद्दा, दूसरा प्रश्न — रक्षा माने क्या?

आचार्य प्रशांत: हम जैसे होते हैं, रक्षा शब्द का तात्पर्य हमारे लिए वैसा ही होता है। और हम जैसे होते

डर लगता है, तो खूब डरो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
डर लगता है, तो खूब डरो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
7 min

आचार्य प्रशांत: आपको जिस भी चीज़ का डर लगेगा वो कभी-न-कभी तो होनी ही है कि नहीं होनी? दुनिया में मुझे बताना कौन-सी चीज़ है जो नष्ट कभी हुई नहीं, न होने वाली है। और डर सदा इन्हीं चीज़ों का होता है न — कुछ नष्ट हो जाएगा, कुछ नहीं

सर, आपने मौत को करीब से देखा है कभी? || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2021)
सर, आपने मौत को करीब से देखा है कभी? || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2021)
18 min

प्रश्नकर्ता: वायरस की आपने बात कही तो ये ऑमिक्रॉन (कोरोना वायरस का एक वेरिएंट) और एक के बाद एक आते जा रहे हैं। मैं जानती हूँ आप बहुत बार इस पर भी बात कर चुके हैं, पर यह क्या एक ब्लैक होल है जो खुल चुका है और अब ऑमिक्रॉन

डरे हुए को डराना कितना आसान || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
डरे हुए को डराना कितना आसान || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
3 min

आचार्य प्रशांत: जिस दिन आपको पूरा भरोसा हो गया, आप अच्छी तरह साफ़-साफ़ जान गए कि इस शरीर से कुछ नहीं है जो आगे चला जाना है, उस दिन आपके ऊपर दो असर होंगे — पहली बात, आप ज़िंदगी को सही जीना जान जाएँगे। आपको साफ़ सुनाई देगी घड़ी की

जब एक भटकती आत्मा अचानक सामने आ गई || आचार्य प्रशांत (2023)
जब एक भटकती आत्मा अचानक सामने आ गई || आचार्य प्रशांत (2023)
21 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी। आचार्य जी, मेरा प्रश्न ये है कि जैसे न आत्मा जन्म लेती है न मरती है, तो जो आम धारणा यह है कि उसकी आत्मा भटक रही है या आत्मा अतृप्त है। तो जैसा कि आप बताते हैं कि आत्मा तो जन्मती ही नहीं है, न

एक वो ही ज़िंदा है, बाकी सब मुर्दे || आचार्य प्रशांत
एक वो ही ज़िंदा है, बाकी सब मुर्दे || आचार्य प्रशांत
14 min

प्रश्नकर्ता: और गहरा समझना चाहूँगा कि जब धर्म की बात होती है तो पुनर्जन्म की बात तो होती ही होती है। तो इनके बीच का क्या सम्बन्ध है?

आचार्य प्रशांत: अरे भाई, धर्म ये जानने में है कि ये जन्म झूठा है। अगला जन्म कहाँ से आ जाएगा? अगला जन्म

शमशान की चिता पर उठे सवाल || आचार्य प्रशांत (2020)
शमशान की चिता पर उठे सवाल || आचार्य प्रशांत (2020)
10 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी नमन। चेतना के विषय में सन्तों से शास्त्रों में बहुत सुना है, दर्शनशास्त्रियों ने भी इस मुद्दे पर बहुत गहन चर्चाएँ करी हैं, किताबें लिखी हैं। कभी चेतना को न्यूरोसाइंस (तन्त्रिका विज्ञान) से तो कभी फिज़िकल साइंस (भौतिक विज्ञान) से जोड़कर देखा जाता है, और कभी ये

एक सुन्दर सरल जीवन जीने का अवसर || आचार्य प्रशांत (2019)
एक सुन्दर सरल जीवन जीने का अवसर || आचार्य प्रशांत (2019)
2 min

आचार्य प्रशांत: तुम जो इतना विचार करते हो कि पति क्या कर रहा होगा, पत्नी क्या कर रही होगी; और क्या है माथे का भार? दिन भर और क्या सिर पर चलता रहता है? नात, रिश्तेदार, काम, सम्बन्ध, पति, पत्नी, बच्चे, माता, पिता — यही मन है। इसी को कबीर

योग बिना वियोग नहीं || आचार्य प्रशांत, संत धरनीदास पर (2014)
योग बिना वियोग नहीं || आचार्य प्रशांत, संत धरनीदास पर (2014)
29 min

'धरनी' पलक परै नहीं, पिय की झलक सुहाय। पुनि-पुनि पीवत परमरस, तबहूँ प्यास न जाय।।

~ संत धरनीदास

आचार्य प्रशांत: “पुनि-पुनि पीवत परमरस, तबहूँ प्यास न जाय” धरनीदास के वचन हैं, सवाल है कि 'प्यास बुझेगी क्यों नहीं, प्यास बुझती क्यों नहीं?' प्रेम अनंत है। अनंत का क्या अर्थ है?

जिन निर्दोषों की जान गई, उनकी क्या गलती थी? || आचार्य प्रशांत (2021)
जिन निर्दोषों की जान गई, उनकी क्या गलती थी? || आचार्य प्रशांत (2021)
28 min

प्रश्नकर्ता: सगे-सम्बन्धियों में, मित्रों में बहुत लोगों को संक्रमण हुआ और कुछ लोगों की दुर्भाग्यवश मृत्यु भी हो गयी है। अब वो ताकत कहाँ से लाएँ कि जी पाएँ बिना बहुत गहरी पीड़ा, दुख के, और इस प्रश्न से मुक्ति कैसे पाएँ कि ईश्वर इसमें हमारी क्या ग़लती थी? (अभिषेक

माता-पिता की मृत्यु का भय सताए तो || आचार्य प्रशांत (2019)
माता-पिता की मृत्यु का भय सताए तो || आचार्य प्रशांत (2019)
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, माता-पिता की मृत्यु का भय सताता है, कि कैसा जीवन रहेगा। मतलब जीवन में कुछ करने की हिम्मत होगी या नहीं? मतलब, मेरे अंदर ऐसा लगता है कि...

आचार्य: अभी वो हैं। अभी वो हैं, अभी उनके साथ कैसा जीवन बिता रहे हो, इस पर ध्यान दो

गहरी निराशा में भी एक ये बात याद रहे || आचार्य प्रशांत (2023)
गहरी निराशा में भी एक ये बात याद रहे || आचार्य प्रशांत (2023)
19 min

प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी, मैं अभी बहुत दबाव में हूँ। पिता जी को दिल का दौरा पड़ा था, उनको लेकर अस्पताल पहुँचा और आगे का इलाज करवाया। पर अस्पताल पहुँचकर मैं बहुत हिल गया। एक साल से मैं आपको सुन रहा हूँ। हम आपसे सीखते हैं कि हम असंग हैं,

कुछ भी बर्दाश्त कर लेना, पर ये नहीं || आचार्य प्रशांत (2023)
कुछ भी बर्दाश्त कर लेना, पर ये नहीं || आचार्य प्रशांत (2023)
51 min

आचार्य प्रशांत: जैसे पात गिरे तरुवर से, मिलना बहुत दुहेला। न जाने किधर गिरेगा, लगया पवन का रेला।। ~ कबीर साहब

बहुत क्षणिक अवसर है ये और इस अवसर के अलावा आपके पास कोई सहारा नहीं है। बीता पल लौटकर नहीं आता। और उस बीते पल को आपने मुक्ति की

नहीं मृत्यु || आचार्य प्रशान्त (2016)
नहीं मृत्यु || आचार्य प्रशान्त (2016)
9 min

आचार्य प्रशांत: शरीर के भीतर उसको तलाशोगे जो शरीर के साथ ख़त्म नहीं होगा तो मिलेगा नहीं। तलाशोगे नहीं तो वो मौजूद है और तुम्हें शांति दे रहा है।

तुम कहोगे कि गये थे; आचार्य जी ने बोला कि कबीर तो मौत पर हँसते हैं; उन्हें कुछ ऐसा मिला हुआ

मृत्यु को कैसे जानें? || आचार्य प्रशांत (2019)
मृत्यु को कैसे जानें? || आचार्य प्रशांत (2019)
17 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, क्या मरने के बाद ही मृत्यु को जाना जा सकता है?

आचार्य प्रशांत: मर नहीं रहे हो क्या प्रतिपल? मरने का मतलब मिटना ही तो होता है। तुम्हारे शरीर में एक भी कोशिका बची है वो जो जन्म के वक्त थी? जन्म के वक्त तुम्हारे शरीर में

भगवान बुद्ध महल छोड़ कर जंगल क्यों गए? || आचार्य प्रशांत (2018)
भगवान बुद्ध महल छोड़ कर जंगल क्यों गए? || आचार्य प्रशांत (2018)
23 min

प्रश्नकर्ता: भगवान बुद्ध महल छोड़कर जंगल क्यों गये?

आचार्य प्रशांत: वो जंगल की ओर नहीं गये थे, वो समाज से दूर गये थे। अन्तर समझना। बुद्ध को यह भ्रम क़तई नहीं था कि उन्हें जंगल में बोध मिल जाएगा। पेड़ पर थोड़े ही बोध लगता है! पेड़ पर बोध लगता

प्रेम और मृत्यु बहुत भिन्न नहीं || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2020)
प्रेम और मृत्यु बहुत भिन्न नहीं || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2020)
12 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आप कह रहे हैं कि व्यक्ति में ख़ुद के प्रति प्रेम होना चाहिए। आपके अनुसार हमें अपने आन्तरिक कष्ट से मुक्ति की कोशिश करनी चाहिए। एक तरीक़े से यह स्वार्थ तो गहन अहंकार हुआ।

आचार्य प्रशांत: हाँ, तो वो गहन अहंकार चाहिए। गहन माने गहरा। गहरा अहंकार

जब किसी को खोना पड़े || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
जब किसी को खोना पड़े || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
22 min

प्रश्नकर्ता: नमस्ते गुरुजी। मेरा नाम चिराग है। मैं इक्कीस साल का हूँ। दिल्ली शहर का निवासी हूँ और बहुत सौभाग्यशाली ख़ुद को महसूस कर रहा हूँ, आपको अपने सामने देखकर और आपकी मेरे जीवन में क्या भूमिका रही है, इसका मेरा यहाँ जीवित खड़ा होना स्वयं प्रमाण है। मैं ऐसा

कर्मफल और पुनर्जन्म: क्या कहता है वेदांत || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2020)
कर्मफल और पुनर्जन्म: क्या कहता है वेदांत || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2020)
17 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आज आपसे मैं पुनर्जन्म के बारे में बातचीत करना चाहता हूँ। मेरे मन में इसको लेकर कुछ सवाल हैं और जिनसे मैं बातचीत करता हूँ, उनके मन में तो काफ़ी हैं। तो कुछ प्रश्न हैं मेरे, वो मैं आपके सामने रखूँगा।

जब मैं बात करता हूँ पुनर्जन्म

जन्म देखो तो अपना देखो, मृत्यु देखो तो अपनी देखो || आचार्य प्रशांत (2015)
जन्म देखो तो अपना देखो, मृत्यु देखो तो अपनी देखो || आचार्य प्रशांत (2015)
3 min

आचार्य प्रशांत: ठीक है, तुम्हें ये दिख रहा है कि आज एक बच्चा पैदा होता है तो उसके घर पर उत्सव हो रहा है — ये बात तुम्हें दिख रही है — पर जब ये देखो तो ईमानदारी से स्वीकार करो कि तुम भी ऐसे ही पैदा हुए थे। आज

दिलेरी से जिओ, मौत नहीं डराएगी || आचार्य प्रशांत (2018)
दिलेरी से जिओ, मौत नहीं डराएगी || आचार्य प्रशांत (2018)
8 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मुझे मृत्यु से बहुत डर लगता है। स्वयं को मृत्यु के लिए कैसे तैयार करूँ?

आचार्य प्रशांत: मृत्यु का यही मतलब होता है न, कि कल नहीं आएगा? कल अब नहीं आएगा। मृत्यु का मतलब होता है भविष्य की मृत्यु; समय नहीं बचा न अब। जब और

बुढ़ापे में अध्यात्म का फ़ायदा? || आचार्य प्रशांत (2020)
बुढ़ापे में अध्यात्म का फ़ायदा? || आचार्य प्रशांत (2020)
5 min

आचार्य प्रशांत: (प्रश्नकर्ता का परिचय देते हुए) ये थोड़े उम्रदराज़ लग रहे हैं। सवाल बताता है कि या तो वृद्ध हैं या कम-से-कम अधेड़ उम्र के हैं। कह रहे हैं, ‘अगर किसी का पूरा जीवन ही झूठ में और मोह में और भ्रम में बीता हो तो जीवन के अंतिम

ऐसे देखो अपनी हस्ती का सच || आचार्य प्रशांत (2019)
ऐसे देखो अपनी हस्ती का सच || आचार्य प्रशांत (2019)
11 min

प्रश्नकर्ता : ऐसा, मतलब जैसे की न इस चीज़ को हम याद रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमेशा नहीं याद होता है हम नश्वर हैं। मतलब हमेशा नहीं याद रहता है कि दिन में हर पल याद रहता है, ऐसा नहीं है, लेकिन दो-तीन बार हम याद करने की

श्राद्ध आदि प्रथाएँ: अर्थ और महत्व || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव आइ.आइ.एस.सी(IISc)बेंगलुरु(2022)
श्राद्ध आदि प्रथाएँ: अर्थ और महत्व || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव आइ.आइ.एस.सी(IISc)बेंगलुरु(2022)
10 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मैं राजस्थान से हूँ और यहाँ बेंगलुरु में पढ़ाई करता हूँ। अभी एमबीबीएस की पढ़ाई चल रही है। दरअसल मेरे पिताजी का देहान्त लगभग दो साल पहले हो गया था। तो अभी उनका पहला श्राद्ध होने वाला है।

लगभग आठ-नौ महीने पहले मैं वीगन (विशुद्ध शाकाहारी)

शमशान डरावना क्यों लगता है? || आचार्य प्रशांत (2018)
शमशान डरावना क्यों लगता है? || आचार्य प्रशांत (2018)
12 min

आचार्य प्रशांत: यहाँ पास में ही एक कॉलेज है। वहाँ के छात्रों को अक्सर मैं यहाँ लाता रहा हूँ, दसों बार। ये अपनेआप में एक मूक सत्र रहता है कि बस देखो, मुझे बहुत ज़्यादा बोलने की ज़रूरत नहीं पड़ती। आप लोगों ने तो फिर भी यहाँ कम समय बिताया,

मृत्यु का आध्यात्मिक अर्थ || आचार्य प्रशांत (2018)
मृत्यु का आध्यात्मिक अर्थ || आचार्य प्रशांत (2018)
8 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपने एक सत्र में कहा था कि कमज़ोर आदमी ख़ुद को नहीं मार सकता, आत्महत्या बहादुर ही कर सकता है।

आचार्य प्रशांत: याद नहीं है कब कहा था पर आत्महत्या की बात मैंने अहंकार की अर्थ में करी होगी। ख़ुद को मारना मतलब अपनी वृत्तियों के विरोध

मृत्यु क्या है? || आचार्य प्रशांत (2016)
मृत्यु क्या है? || आचार्य प्रशांत (2016)
14 min

आचार्य प्रशांत: जन्म से पूर्व भी कोई दिखायी नहीं देता, कोई अनुभव नहीं होता उसका। मृत्यु के पश्चात भी कोई दिखायी नहीं देता, कोई अनुभव नहीं होता उसका। ये बीच में अचानक कुछ आ जाता है, जिसको हम जीवन बोलते हैं। तो कृष्ण अर्जुन से कह रहें हैं, ‘अगर कोई

गीता मृत्यु के समय ही काम आती है? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
गीता मृत्यु के समय ही काम आती है? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
10 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मेरा एक प्रश्न है श्रीमद्भगवद्गीता से संबंधित। श्रीकृष्ण अर्जुन को बोल रहे हैं कि धर्म की स्थापना करो और बल दे रहे हैं कि कर्म करो। पीछे मत हटो, कर्म करो और धर्म की स्थापना करो।

लेकिन टीवी पर जो भागवत कथा सुनाते हैं, उनकी शुरुआत