Mahabharat

श्रीकृष्ण कब अवतरित होंगे?
श्रीकृष्ण कब अवतरित होंगे?
7 min
जब-जब तुम सच्चाई की ओर नहीं बढ़ते, तब-तब जीवन दुख, दरिद्रता, कष्ट, रोग और बेचैनियों से भर जाता है। अधर्म अपने चरम पर चढ़ जाता है, और विवश होकर तुम्हें आँखें खोलनी पड़ती हैं। तब मानना पड़ता है कि तुम्हारी राह ग़लत थी, और ग़लत राह को छोड़कर तुम्हें सत्य की ओर मुड़ना पड़ता है। अतः जब तुम अंधेरे को पीठ दिखाते हो, तो श्रीकृष्ण को अपने समक्ष पाते हो। यही श्रीकृष्ण का अवतरण है।
हम झूठ के खिलाफ़ विरोध क्यों नहीं करते?
हम झूठ के खिलाफ़ विरोध क्यों नहीं करते?
12 min
हम कभी जीवन के तथ्य को स्वीकार नहीं करते कि हमें सत्य से डर लगता है और हम अपनी क्षुद्रताओं और झूठ पर जीना चाहते हैं। फिर हम बड़ी तिरछी चाल चलते हैं। झूठ को सत्य का नाम दे देते हैं और कहते हैं कि सत्य के समर्थन में हैं। सत्य के खिलाफ़ तो सारा संसार खड़ा है, लेकिन इतनी भी आबरू और हिम्मत नहीं होती कि हम खुलकर कह दें कि हम सत्य के खिलाफ़ हैं। हमने झूठ को ही सत्य का नाम दे रखा है और झूठ का समर्थन कर रहे हैं।
जब गुरु के प्रति कृतज्ञता काम होने लगे || महाभारत पर (2018)
जब गुरु के प्रति कृतज्ञता काम होने लगे || महाभारत पर (2018)
4 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, गुरु के प्रति कृतज्ञता अगर कम होने लगे तो क्या करना चाहिए? कृपया मार्गदर्शन करने की अनुकंपा करें।

आचार्य प्रशांत: अपनी ओर देख लेना चाहिए। गुरु के प्रति यदि कृतज्ञता अगर कम होने लगे तो अपनी हालत को देख लेना चाहिए। जैसे कोई ऊपर से लेकर नीचे

वृत्ति नहीं, विवेक || महाभारत पर
वृत्ति नहीं, विवेक || महाभारत पर
7 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। एकलव्य की कहानी सुनकर बड़ा दुःख होता है कि द्रोणाचार्य जैसा स्वाभिमानी और श्रेष्ठ गुरु भी अपने स्वार्थ और पक्षपात के चलते श्रद्धावान एकलव्य से अन्याय करता है। एकलव्य इस अन्याय के प्रति आदर प्रकट करते हुए अपना अँगूठा देकर भी गुरु के प्रति श्रद्धा से

महाभारत सदा स्वयं से ही लड़ी जाती है
महाभारत सदा स्वयं से ही लड़ी जाती है
19 min

तस्मादसक्त: सततं कार्यं कर्म समाचर ।। असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुष: ।।३.१९।।

इसलिए अनासक्त भाव से सदा शुभ कार्य या कर्तव्य कर्म उत्तम रूप से करते रहो, क्योंकि मनुष्य निष्काम रहकर कर्म का अनुष्ठान करते हुए श्रेष्ठ पद मोक्ष प्राप्त करता है।

~ श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ३, श्लोक १९

आचार्य प्रशांत: हमने

Let Each of Us Have a Hundred Names
Let Each of Us Have a Hundred Names
7 min

Questioner: Hello, sir. I observed that Arjun has been basically called by Krishna by multiple names — Parth, Bharath, and then Kaunteya, that one clicked. So, I was just curious that it is just an ornamental value, or is there any significance to it?

Acharya Prashant: I think that's a

देश दुर्दशा में है - भारत में रहूँ, या छोड़ दूँ?
देश दुर्दशा में है - भारत में रहूँ, या छोड़ दूँ?
25 min

प्रश्नकर्ताः धन्यवाद, सभा में उपस्थित सभी लोगों का अभिनन्दन! मैं डा. कुमार मनोज, मैं आधुनिक चिकित्सा में यूरोप से प्रशिक्षित एक चिकित्सक हूँ। और फिलहाल मैं दिल्ली के एक शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में मनोरोग विभाग में कार्यरत हूँ। मैं जब भारत वापस आया तो मैं अपने भारतीय समाज की सेवा

जो जीवन को मृत्यु जाने, वो मृत्यु के पार हुआ || आचार्य प्रशांत, आजगर गीता पर (2020)
जो जीवन को मृत्यु जाने, वो मृत्यु के पार हुआ || आचार्य प्रशांत, आजगर गीता पर (2020)
16 min

अन्तरिक्षचयाणां च दानवोत्तम पक्षिणाम्। उत्तिष्ठते यथाकालं मृत्युर्बलवतामपि।।

दानवश्रेष्ठ! आकाश में विचरणे वाले बलवान पक्षियों के समक्ष भी यथासमय मृत्यु आ पहुँचती है। ~ आजगर गीता, श्लोक १६

दिवि सञ्चरमाणानि ह्नस्वानि च महन्ति च। ज्योतींष्यपि यथाकालं पतमानानि लक्षये।।

आकाश में जो छोटे-बड़े ज्योतिर्मय नक्षत्र विचर रहे हैं, उन्हें भी मैं यथासमय

Conscious behaviour is not the solution to compulsive behaviour || Acharya Prashant (2019)
Conscious behaviour is not the solution to compulsive behaviour || Acharya Prashant (2019)
15 min

Questioner (Q): Acharya Ji, my hormonal imbalance overpowers my ability to continue with conscious behaviour and forces me to continue with compulsive behaviour. How to be more conscious of my actions?

Acharya Prashant (AP): So, there is the type of behaviour that we call as ‘compulsive behaviour’, and she’s rightly

Why does Krishna say that the Kauravs are already dead? || Acharya Prashant, on Bhagavad Gita (2020)
Why does Krishna say that the Kauravs are already dead? || Acharya Prashant, on Bhagavad Gita (2020)
10 min

दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानि दृष्ट्वैव कालानलसन्निभानि ।

दिशो न जाने न लभे च शर्म प्रसीद देवेश जगन्निवास ।। 11.25 ।।

danṣhṭrā-karālāni cha te mukhāni dṛiṣhṭvaiva kālānala-sannibhāni

diśho na jāne na labhe cha śharma prasīda deveśha jagan-nivāsa

Having seen the mouths, fearful with tusks, blazing like Pralaya-fires, I know not the

रामायण, महाभारत को ऐसे मत देखो || आचार्य प्रशांत, आइ.आइ.टी दिल्ली में (2022)
रामायण, महाभारत को ऐसे मत देखो || आचार्य प्रशांत, आइ.आइ.टी दिल्ली में (2022)
13 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। मेरा प्रश्न युग के बारे में है। जैसे हम पढ़ते हैं, चार युग होते हैं– सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। और जो एक युग होता है उसको लगभग लाखों वर्षों का मानते हैं। जबकि एस्ट्रोफिजिक्स (खगोल भौतिकी) के अनुसार जो स्टार्स (तारों) की पोजीशन (स्थिति) है,

इन्होंने विश्वगुरु बनाया भारत को || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
इन्होंने विश्वगुरु बनाया भारत को || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
12 min

आचार्य प्रशांत: जिन लोगों को भारतीय संस्कृति की चिंता हो, उन्हें वेदान्त के पास निश्चितरूप से जाना ही पड़ेगा। और अगर तुम नहीं जाओगे वेदान्त के पास, तो जिसको तुम भारतीय संस्कृति कहते हो, इसका भविष्य कोई बहुत उजला नहीं दिख रहा है। नई पीढ़ी बस नाम की भारतीय या

जड़ बेहोश लोगों को न कोई द्वंद उठता है न दुविधा || आचार्य प्रशांत (2020)
जड़ बेहोश लोगों को न कोई द्वंद उठता है न दुविधा || आचार्य प्रशांत (2020)
14 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। महाभारत में हम देखते हैं कि युद्ध से पूर्व अर्जुन को आत्यन्तिक पीड़ा होती है अपने सगे-सम्बन्धियों के विरुद्ध युद्ध करने में। उनका मन शोक से भर जाता है, वो नहीं चाहते हैं युद्ध करना। वहीं उनके दूसरे भाई — युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव — तैयार

श्रीकृष्ण के सिवा और कोई मित्र नहीं || (2020)
श्रीकृष्ण के सिवा और कोई मित्र नहीं || (2020)
10 min

सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु। साधुष्वपि च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते।।

सुहृद् (दिल का अच्छा), मित्र और वैरी के प्रति उदासीन (अर्थात् निष्पक्ष, पक्षपातरहित), मध्यस्थ (द्वैत के दोनों सिरों में से कहीं भी स्थापित नहीं), द्वेष्य और बन्धुगणों में (शत्रुओं और मित्रों में), धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव रखने वाला अत्यंत श्रेष्ठ है।

न किसी काम में दिल लगता, न कोई काम पूरा होता (युवा हूँ, क्या करूँ?) || आचार्य प्रशांत (2023)
न किसी काम में दिल लगता, न कोई काम पूरा होता (युवा हूँ, क्या करूँ?) || आचार्य प्रशांत (2023)
31 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मेरा रेगुलर वर्क (नियमित कार्य) ही नहीं ख़त्म हो पाता है। मैं अपना काम समय से पूरा नहीं कर पाती हूँ। आप कहते हैं कि गीता सत्र सुनो पर वो भी नहीं सुन पाती हूँ, नियमित काम ही चलता रहता है। मैं न स्पोर्ट्स जा पाती हूँ

घर के आगे भी जहान है || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2022)
घर के आगे भी जहान है || आचार्य प्रशांत, बातचीत (2022)
30 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, एक सवाल बहुत सारे जो वीगनवाद (करुण शाकाहारी) का समर्थन करते हैं, ये वीगन शब्द या वीगनिज़्म बोलते हुए डर जाते हैं, शरमा जाते हैं, उसको कुछ और तरीक़े से बोलते हैं। सो ये लोग जो हैं जिसको शायद कप केक, कप केक वीगन्स जो कहते हैं

आओ, अपने दर्द से बात करें || आचार्य प्रशांत (2020)
आओ, अपने दर्द से बात करें || आचार्य प्रशांत (2020)
8 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, जैसे आपने बताया कि पहले आप मूल दर्द से आँखें चार कीजिए। तो मैं समझता हूँ कि जो अपूर्ण अहम् है, आप उसकी ओर इशारा कर रहे थे। तो वो दिखता ही कुछ संयोगवश परिस्थितियों में है, वैसे दिखता नहीं है। तो ऐसा क्या किया जाए कि

क्या ध्यान करना आवश्यक है? || आचार्य प्रशांत (2018)
क्या ध्यान करना आवश्यक है? || आचार्य प्रशांत (2018)
11 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, जीवन में क्या ध्यान करना आवश्यक है?

आचार्य प्रशांत: अगर अभी ध्यान न हो तो सुनोगे कैसे कि मैं क्या कह रहा हूँ? और मैं ध्यान न दूँ, तो मैं उत्तर कैसे दूँगा? प्रश्न ही नहीं जान पाऊँगा।

देखिए, अभी आप कैसे स्थिर बैठे हैं, आँखें मेरे

जो अतीत में फँसे हुए हैं || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2021)
जो अतीत में फँसे हुए हैं || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2021)
9 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा प्रश्न है कि हमारे सामने जब कोई परिस्थिति आती है तो हम उसके तथ्य को देखने के बजाय, उसे उसके अतीत से जोड़कर देखते हैं। इसका कारण क्या है? जैसे कि कभी हम कोई लड़ाई हार जाते हैं तो आगे की लड़ाइयों में संशय और

रामायण-महाभारत की घटनाओं को सच मानें कि नहीं?
रामायण-महाभारत की घटनाओं को सच मानें कि नहीं?
11 min

प्रश्नकर्ता: सर नमस्कार! रामायण और महाभारत में जो कहानियाँ हैं, क्या वो सत्य घटनाओं पर आधारित हैं?

आचार्य प्रशांत: घटनाएँ सत्य या असत्य नहीं होतीं, घटनाएँ तथ्य कहलाती हैं। ठीक है?

उदाहरण के लिए - कोई एक घर से निकला और सड़क का इस्तेमाल करके आधे किलोमीटर दूर किसी दूसरे

कर्ण के कवच का रहस्य || नीम लड्डू
कर्ण के कवच का रहस्य || नीम लड्डू
1 min

प्रेम कोमलता की बात है? नहीं, प्रेम के लिए तो लोहा चाहिए! “जो ज़रा मुलायम दिल के लोग होते हैं, प्रेम तो उनकी बात है।” – नहीं! जो ये कोमल और मुलायम होते हैं यह तो बचेंगे ही नहीं कहीं प्रेम में, एकदम नष्ट हो जाएँगे।

प्रेम उनके बूते की,

परिवार से मोह || महाभारत पर (2018)
परिवार से मोह || महाभारत पर (2018)
44 min

प्रश्नकर्ता: नमन, आचार्य जी। मुझे समस्या आती है वैराग्य को अपने पारिवारिक जीवन के साथ जीने में। जैसे भीष्म और गुरु द्रोणाचार्य ने ज्ञानी होकर भी कुछ ग़लत निर्णय लिये, वैसे ही मैं भी स्वार्थी और असमर्थ हो जाता हूँ परिवार के सामने। परिवार के सामने सारा ज्ञान विलुप्त हो

जीवन के हर मुद्दे को समस्या मत बना लेना || महाभारत पर (2018)
जीवन के हर मुद्दे को समस्या मत बना लेना || महाभारत पर (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। मुझे कई बार अजीब-सी स्थिति अनुभव होती है, उस समय मन में कोई हलचल या बेचैनी इत्यादि नहीं होती है, साँस भी तब बहुत स्थिर और लयबद्ध हो जाती है, दिल की धड़कनें स्पष्ट अनुभव होती हैं और उस समय बस पड़े रहना अच्छा लगता है।

ऋण चुकाने में ही जीवन बिताना है? || महाभारत पर (2018)
ऋण चुकाने में ही जीवन बिताना है? || महाभारत पर (2018)
7 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपने कहा था कि पहले अपने सारे ऋण चुका लो, फिर मेरे पास आना। पर ऋण चुकाने के प्रयास में मैं सांसारिक चीज़ों में उलझ करके समय व्यतीत कर रहा हूँ। परिस्थितियाँ मेरी बड़ी जटिल हैं, मेरे भीतर एक चिड़चिड़ापन है। मैं इस चक्रव्यूह से कैसे निजात

वर्णन तो हमेशा असत्य का ही होगा || महाभारत पर (2018)
वर्णन तो हमेशा असत्य का ही होगा || महाभारत पर (2018)
4 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी। यह सवाल मुझे बहुत परेशान करता है कि अगर चेतना ख़ुद को नहीं देख सकती, तो जानने वालों ने किसको जाना? कहते हैं कि सत्य को जाना नहीं जा सकता, शून्यता को ही परमसत्य कहा गया है। वहाँ ना कोई बोलने वाला है, ना कोई सुनने

कृष्ण तो कर्ण को भी उपलब्ध थे || महाभारत पर (2018)
कृष्ण तो कर्ण को भी उपलब्ध थे || महाभारत पर (2018)
11 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। कर्ण जैसी ही भावनाएँ मेरे मन में भी चलती रहती हैं, लगता है कि अर्जुन से ऊपर चले जाएँ, अर्जुन बन जाएँ, अर्जुन से जीत जाएँ। इस हालत में श्रीकृष्ण जैसे सारथी या मित्र की ज़रूरत महसूस होती है, लेकिन मिल जाते हैं शल्य या दुर्योधन

जीव हो, तो डर तो लगेगा ही || महाभारत पर (2018)
जीव हो, तो डर तो लगेगा ही || महाभारत पर (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, जब कोई बुरी घटना होती है, जैसे कि किसी की मौत, तो फिर उससे सम्बंधित विचार मुझे बार-बार सताता रहता है, रात को नींद भी नहीं आती है। उसे कैसे भूल सकते हैं, और वो क्यों आते हैं?

आचार्य प्रशांत: बेटा, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम

मन को केवल सत्य की ग़ुलामी भाएगी || महाभारत पर (2018)
मन को केवल सत्य की ग़ुलामी भाएगी || महाभारत पर (2018)
4 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, ग़ुलामी क्या है? और ग़ुलामी में ही जीना अच्छा है, कि अपनी मर्ज़ी से जीना भी अच्छा है?

आचार्य प्रशांत: एक तो वो ग़ुलामी है जिससे तुम परिचित ही हो। वो ग़ुलामी है कि जब कोई दूसरा तुम पर दबाव बनाए इत्यादि। अभी उस दिन तुम कह

स्वयं सुधरो, दुनिया अपनेआप सुधर जाएगी || महाभारत पर (2018)
स्वयं सुधरो, दुनिया अपनेआप सुधर जाएगी || महाभारत पर (2018)
3 min

प्रश्नकर्ता: जब मेरा बुरा वक़्त था, तो मेरे साथ किसी ने बहुत अभद्र व्यवहार किया और मेरी तकलीफ़ बढ़ाई। और आज भी जब मेरी ज़िंदगी आगे बढ़ रही है, तो वह मुझे अप्रत्यक्ष रूप से ताना मार रहा है। दूसरों के सामने वह स्वयं को बहुत अच्छा दर्शाता है और

व्यर्थ का छूटना और सार्थक का बढ़ना सदा समानांतर होते हैं || महाभारत पर (2018)
व्यर्थ का छूटना और सार्थक का बढ़ना सदा समानांतर होते हैं || महाभारत पर (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, बेफ़िक्री और कामचोरी में क्या अंतर है? आपके सानिध्य के साथ बेफ़िक्री बढ़ी है, पर ऐसा लगता है कि कहीं कामचोरी भी तो नहीं बढ़ रही। कृपया स्पष्टता प्रदान करें।

आचार्य प्रशांत: जब सही काम चुन लिया जाता है तो मूर्खताओं को, दुनिया भर के तमाम झंझटों

माया को हराने का तरीका क्या है? || महाभारत पर (2018)
माया को हराने का तरीका क्या है? || महाभारत पर (2018)
10 min

प्रश्नकर्ता: कुंती ने अपने पुत्र कर्ण को पैदा होते ही नदी में क्यों बहा दिया?

आचार्य प्रशांत: क्योंकि हम सब बड़े डरपोक लोग होते हैं, प्यार भी करते हैं तो छुप-छुपकर। हमारा सब कुछ सामाजिक होता है; हमारा प्रेम भी सामाजिक होता है। वह समाज से अनुमोदन माँगता है। वह

संतुष्ट जीवन का राज़ || महाभारत पर (2018)
संतुष्ट जीवन का राज़ || महाभारत पर (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। पिछले सत्र में आपने ऐसी निर्ममता से चीर-फाड़ की कि मेरे सारे नक़ाब अस्त-व्यस्त हुए जा रहे हैं।

आज से दो साल पहले की बात है। मैंने किसी से पूछा, “यह अहंकार क्या होता है?” मुझे लगता था कि मुझमें तो अहंकार रत्ती भर भी नहीं

अर्जुन को कृष्ण मिले, हमें क्यों नहीं? || महाभारत पर (2018)
अर्जुन को कृष्ण मिले, हमें क्यों नहीं? || महाभारत पर (2018)
5 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। आप कहते हैं कि जीवन सुधारो। जो अभी है जीवन में, मैं उसे छोड़ना चाहती हूँ, जैसे अहंकार, क्रोध इत्यादि। ये सब तो छूट ही नहीं रहा है। जब समझ में आता है कि अहंकार है, तो भी क्रोध आ जाता है किसी बात पर। जब

तुम सत्य को नहीं, सत्य तुम्हें चुनता है || महाभारत पर (2018)
तुम सत्य को नहीं, सत्य तुम्हें चुनता है || महाभारत पर (2018)
3 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैंने एक बार आपको कहते हुए सुना था कि, "तुम जो भी कुछ चुनोगे, ग़लत ही होगा", तो क्या सत्य का मार्ग चुनना भी ग़लत है? कृपया समझाएँ।

आचार्य प्रशांत: सत्य चुना नहीं जाता। सत्य की जब कृपा होती है, तो तुम झूठ को नहीं चुनते। सत्य

बेबसी का रोना मत रोओ, अपने स्वार्थ तलाशो || महाभारत पर (2018)
बेबसी का रोना मत रोओ, अपने स्वार्थ तलाशो || महाभारत पर (2018)
9 min

प्रश्नकर्ता: गुरु द्रोण की स्थिति और विवशता को मैं अपने जीवन से जोड़कर देख रहा हूँ। वे जानते हैं कि सच क्या है, फिर भी व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं अन्य लोभों के कारण कौरवों के साथ हैं। युद्ध के समय जब दुर्योधन बार-बार उन्हें जली-कटी सुनाकर उकसाता है तो

पछतावा नहीं, प्रायश्चित || महाभारत पर (2018)
पछतावा नहीं, प्रायश्चित || महाभारत पर (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी। धृतराष्ट्र जब युद्ध में अपने पुत्रों की दुर्गति देखते हैं तो कहते हैं कि "काश! पांडवों को पाँच गाँव दे ही दिए जाते, पितामह और कृष्ण की बात मान ही ली जाती।" ऐसी ही स्थिति हमारी ही होती है जब हम अपने कर्मों का कुफल भुगतते

श्री कृष्ण के ह्रदय में अर्जुन के लिए इतना स्नेह क्यों? || महाभारत पर (2018)
श्री कृष्ण के ह्रदय में अर्जुन के लिए इतना स्नेह क्यों? || महाभारत पर (2018)
8 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, प्रणाम। श्रीकृष्ण को अर्जुन से विशेष प्रेम था। अर्जुन के लिए श्रीकृष्ण ने भीष्म के विरुद्ध भी अस्त्र उठा लिये थे, तब जबकि उन्होंने युद्ध में अस्त्र न उठाने का वचन दिया था। सूर्य को सुदर्शन चक्र से छुपाकर कुछ देर के लिए सूर्यास्त जैसा वातावरण भी

दुर्योधन और कर्ण की दूषित मित्रता || महाभारत पर (2018)
दुर्योधन और कर्ण की दूषित मित्रता || महाभारत पर (2018)
10 min

प्रश्नकर्ता: दुर्योधन ने कर्ण को युद्ध में घसीटा था। क्या दुर्योधन कर्ता था जिसने कर्ण को युद्ध में घसीट लिया, क्या दुर्योधन केंद्रीय था? या फिर कर्ण की वजह से दुर्योधन युद्ध में गया था, कर्ण के भरोसे पर? तो क्या कर्ण केंद्रीय था?

आचार्य प्रशांत: सवाल समझ पा रहे

मन के विकारों के विरुद्ध कैसे लड़ें? || महाभारत पर (2018)
मन के विकारों के विरुद्ध कैसे लड़ें? || महाभारत पर (2018)
4 min

प्रश्नकर्ता: मन के विकार दिखते तो हैं कि झूठे हैं, पर मैं उनके प्रति हथियार नहीं उठा पाता। मेरे भीतर तो विकार, इच्छाएँ और डर भी सगे-संबंधी बनकर आते हैं।

आचार्य प्रशांत: क्या सेवा करूँ तुम्हारी? तुम्हारा युद्ध मैं लड़ूँ?

जब जान गए हो इतना कुछ, तो फिर अटक क्यों

जिसके दर्शन हो जाएँ वो कृष्ण नहीं || महाभारत पर (2018)
जिसके दर्शन हो जाएँ वो कृष्ण नहीं || महाभारत पर (2018)
6 min

प्रश्नकर्ता: परिवार में, नौकरी में, आदतों में, हर जगह मैं अर्जुन की तरह अपने-आपको दुविधाग्रस्त पाता हूँ। सत्य कई बार दिख भी रहा होता है, पर किसी मूर्खतावश उस पर चलने का साहस नहीं कर पाता। मेरी अपने भीतर बैठे कृष्ण तक पहुँच नहीं है, और आपकी कही युक्तियों पर

कृष्ण का वक्तव्य कृष्ण से ही सुनो || महाभारत पर (2018)
कृष्ण का वक्तव्य कृष्ण से ही सुनो || महाभारत पर (2018)
10 min

प्रश्नकर्ता: मेरा प्रश्न है कि युद्ध के मैदान में अर्जुन अपनों को सामने पाकर मोहवश उदास होता है, कहता है कि, "मैं अपने सगे-संबंधियों को कैसे मार सकता हूँ! यह उचित नहीं।" तो श्रीकृष्ण उससे कहते हैं कि जब सिद्धांतों की लड़ाई होती है, तब केवल कर्तव्यों का ही ध्यान

भीष्म का धर्म || महाभारत पर (2018)
भीष्म का धर्म || महाभारत पर (2018)
14 min

प्रश्नकर्ता: प्रतिज्ञा क्या है? अधर्म का साथ क्यों दे दिया? क्या प्रतिज्ञा पर आबद्ध होना अहंकार है? इच्छामृत्यु क्या है?

आचार्य प्रशांत: अपनी दृष्टि में अधार्मिक कोई नहीं होता। अपनी दृष्टि में धार्मिक सब होते हैं, बस लोगों का धर्म व्यक्तिगत होता है, पूर्ण नहीं होता, निरपेक्ष नहीं होता, निर्वैयक्तिक

गुरु क्या चाहता है शिष्य से? || महाभारत पर (2018)
गुरु क्या चाहता है शिष्य से? || महाभारत पर (2018)
3 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, बहुत दिनों से आपको सुन रहा हूँ। आपके बताए गए उपाय भी मालूम हैं, पर फिर भी मन सत्य से दूर भागता है, गुरु से मुँह चुराता है। कोई उपाय बताएँ कि सत्य और गुरु से प्यार हो जाए।

आचार्य प्रशांत: ये वो लोग हैं जो प्यार

कृष्ण - अर्जुन के गुरु भी, सखा भी || महाभारत पर (2018)
कृष्ण - अर्जुन के गुरु भी, सखा भी || महाभारत पर (2018)
10 min

प्रश्नकर्ता: विद्यार्थी ही हूँ, या शिष्य हो गया हूँ?

आचार्य प्रशांत: विद्यार्थी से शायद इनका तात्पर्य है ज्ञानार्थी, जो ज्ञान का इच्छुक हो और शिष्य से इनका अर्थ है शायद वो जो समर्पित हो गया हो।

तो पूछ रहे हैं कि “आचार्य जी, मैं अभी विद्यार्थी, ज्ञानार्थी ही हूँ, या

अद्वैत में कैसे जीएँ? || महाभारत पर (2018)
अद्वैत में कैसे जीएँ? || महाभारत पर (2018)
4 min

प्रश्नकर्ता: लगातार अद्वैत में कैसे जिया जाए? कैसे ख़ुद से ख़ुद की दूरी तय करें?

आचार्य प्रशांत: अद्वैत में जीने के लिए अद्वैत को भूल जाइए। जो आपको याद है, वो अद्वैत नहीं हो सकता। जब तक आप हैं और आपकी याद है, तब तक द्वैत-ही-द्वैत है।

अद्वैत से बड़ा

श्राप और वरदान का वास्तविक अर्थ || महाभारत पर (2018)
श्राप और वरदान का वास्तविक अर्थ || महाभारत पर (2018)
4 min

प्रश्नकर्ता: उर्वशी ने अर्जुन को श्राप दिया था कि तुम नपुंसक हो जाओगे।

श्राप क्या है? श्राप किस-किसको लग सकता है, और क्या श्राप से कुछ भी बिगड़ता नहीं है?

आचार्य प्रशांत: कुछ नहीं बिगड़ता। कोई दूसरा श्राप नहीं देता तुम्हें, किसी दूसरे को कोई ज़रूरत ही नहीं है तुम्हारा

महाभारत पढ़ने का सही तरीका || महाभारत पर (2018)
महाभारत पढ़ने का सही तरीका || महाभारत पर (2018)
5 min

प्रश्नकर्ता: मेरा सवाल यह है कि गंगा तो नदी हैं, शांतनु ने उससे शादी कैसे कर ली?

आचार्य प्रशांत: ये असली सवाल है। बेटा, उस समय पर ऐसा चलता था। ऐसा ये नहीं चलता था कि लोग नदियों से शादी करते थे, चलता ये था कि जो वानरों की पूजा

भीष्म ने प्रतिज्ञा क्यों की? || महाभारत पर (2018)
भीष्म ने प्रतिज्ञा क्यों की? || महाभारत पर (2018)
5 min

प्रश्नकर्ता: मुझे दिखाई पड़ रहा है कि सत्यवती के पिता का लालच एक भयानक युद्ध का बीज था। भीष्म एक कुशल राजनेता और विद्वान होते हुए भी ये देख क्यों न सके? क्या उनका अपना भी कोई लालच था? हमारे जीवन में जब लालच बीज रूप में ही हो तो

एकलव्य नहीं, द्रोण हैं दया के पात्र || महाभारत पर (2018)
एकलव्य नहीं, द्रोण हैं दया के पात्र || महाभारत पर (2018)
3 min

प्रश्नकर्ता: एकलव्य ने द्रोण की माँग मानी, ये कैसी दक्षिणा कि अपना अँगूठा ही दे दिया?

आचार्य प्रशांत: हमें लगता है कि बड़ा अन्याय हो गया। अरे! अन्याय कुछ नहीं हो गया, समझो एकलव्य को। द्रोण ने थोड़े ही दीक्षित किया था एकलव्य को—द्रोण माने शारीरिक गुरु—शरीर का तो कोई

जब शारीरिक दुर्बलताएँ परेशान करें || महाभारत पर (2018)
जब शारीरिक दुर्बलताएँ परेशान करें || महाभारत पर (2018)
12 min

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, बड़ों से मिली सीख का बच्चों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। हमारे बड़े, या स्पष्ट कहूँ तो माँ-बाप द्वारा दी गई सीख संतान अपने जीवन में उपयोग करते हैं। अगर माता-पिता ग़लत हों, तो उनके द्वारा दी गई सीख भी ग़लत ही होती है, फिर वो