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तुम सत्य को नहीं, सत्य तुम्हें चुनता है || महाभारत पर (2018)

Acharya Prashant

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तुम सत्य को नहीं, सत्य तुम्हें चुनता है || महाभारत पर (2018)

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैंने एक बार आपको कहते हुए सुना था कि, "तुम जो भी कुछ चुनोगे, ग़लत ही होगा", तो क्या सत्य का मार्ग चुनना भी ग़लत है? कृपया समझाएँ।

आचार्य प्रशांत: सत्य चुना नहीं जाता। सत्य की जब कृपा होती है, तो तुम झूठ को नहीं चुनते। सत्य को चुनना असंभव है, क्योंकि सत्य कोई वस्तु नहीं, कोई पदार्थ नहीं, कोई छोटी चीज़ नहीं जिसकी ओर उँगली करके तुम कह सको कि, "मैंने इसको चुना!"

सत्य तो आशीर्वाद देता है। वह बहुत बड़ा है। और जब वह आशीर्वाद देता है तो तुम जितने भी ग़लत चुनाव कर रहे थे ज़िंदगी में, तुम उन चुनावों से बाज आते हो।

अकसर कहा जाता है कि विवेक का अर्थ होता है सही और ग़लत के बीच में सही को चुनना। वास्तव में स्थिति थोड़ी भिन्न है, कुछ अलग होता है। सही को चुनना असंभव है। हाँ, अगर सही ने तुम्हें चुन रखा है, तो तुम ग़लत को नहीं चुनोगे।

तुम परमात्मा को चुनो, यह बड़ा मुश्किल है। तुम परमात्मा से प्रार्थना कर सकते हो। अगर तुम परमात्मा को चुनने निकल पड़े, तो तुम तो ग्राहक हो गए। ग्राहक दस तरह का माल देखता है, फिर कुछ चुनता है। ग्राहक माल से ज़्यादा बड़ा होता है न? और ग्राहक जिस माल को चुन रहा है, वह उस माल के समक्ष विनीत नहीं हो जाता, समर्पित नहीं हो जाता। और ग्राहक जिस माल को चुन रहा है, वह उस माल को ना चुनने की भी मालकियत बचाकर रखता है।

तुम अगर चुनोगे सत्य को, तो तुमने ये हक़ तो बचाकर रख ही लिया कि, "आज चुना है, कल नहीं भी चुनूँगा।" दुकानदार से आज माल खरीद कर गए हो, कल लौटाने भी पहुँच सकते हो। “माल पसंद नहीं आया, भाई। यह सफ़ेद वाला ले गए थे। अब ज़रा काला वाला देना, अब उस पर दिल आ गया है।”

प्रार्थी होने में, समर्पित हो जाने में, विगलित हो जाने में, मिट जाने में, फ़ना हो जाने में और चुनाव करने में ज़मीन-आसमान का अंतर है। इतना बड़ा मत मान लेना अपने-आपको कि तुम सत्य का चुनाव करने लग जाओगे। तुम तो झुककर बस इतना कहना कि, "परमात्मा, वह आँख दे कि झूठ को झूठ की तरह देख पाऊँ। और अगर झूठ को झूठ की तरह देख लिया, तो निश्चित रूप से सत्य की कृपा है मेरे ऊपर।" बस इतनी-सी बात है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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