स्टुपिड प्यार || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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स्टुपिड प्यार  || नीम लड्डू

“ओ ले-ले-ले! मेला शोमू कितना स्टुपिड है!" अरे! स्टुपिड (मूर्ख) है तो यह बोलने के लिए भी काहे को रुकी कि शोमू स्टुपिड है? भाग! जान बचाकर भाग। पर शोमू क्यूट ही इसीलिए है क्योंकि वह स्टुपिड है। अजीब बात है! तुमको पता है वह स्टुपिड है पर तुम तब भी उसके साथ गठबंधन कर रहे हो। यह क्या माजरा है! और ग़ौर से देखना कि तुम्हें स्टुपिडिटी (मूर्खता) जितनी पसंद है, इंटेलिजेंस से, बोध से तुम उतना ही घबराते हो।

वह जबतक एकदम महाबेवकूफ़ी बघार रहा है, तब तक तो वो ‘*क्यूटिपाई*’ है और जहाँ उसने दो-चार ढंग की बातें की, तुम्हारे एंटीने खड़े हो जाएँगे (सतर्क हो जाओगे)। कहोगे, "निकला, गया! क्योंकि समझदार हो गया तो मेरे पास काहे को रुकेगा, मेरे पास तो कोई बेवकूफ़ ही आ सकता है।" ऐसा है हमारा प्यार, जो होता ही कमज़ोरियों के तल पर है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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