कैसे पता कि जान गए? || आचार्य प्रशांत (2020)
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, हम आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ते हैं। कैसे पता चले कि हम उनका अर्थ जान गये कि नहीं?
आचार्य प्रशांत: “जे जानत ते कहत नहिं, कहत ते जानत नाहिं।” ये बहुत विचित्र बात है। श्वेताश्वतर उपनिषद् पर अभी जो पिछला ही सत्र था, तो ऋषि यही कह रहे थे।… read_more