जो जीवन को मृत्यु जाने, वो मृत्यु के पार हुआ || आचार्य प्रशांत, आजगर गीता पर (2020)
अन्तरिक्षचयाणां च दानवोत्तम पक्षिणाम्।
उत्तिष्ठते यथाकालं मृत्युर्बलवतामपि।।
दानवश्रेष्ठ! आकाश में विचरणे वाले बलवान पक्षियों के समक्ष भी यथासमय मृत्यु आ पहुँचती है।
~ आजगर गीता, श्लोक १६
दिवि सञ्चरमाणानि ह्नस्वानि च महन्ति च।
ज्योतींष्यपि यथाकालं पतमानानि लक्षये।।
आकाश में जो छोटे-बड़े ज्योतिर्मय नक्षत्र विचर रहे हैं, उन्हें भी मैं यथासमय … read_more