सच एक है, पर व्यक्तियों के चुनाव अलग-अलग हैं || आचार्य प्रशांत, परमहंस गीता पर (2020)
आचार्य प्रशांत: परमहंस गीता, दूसरा अध्याय, तेरहवाँ श्लोक–
क्षेत्रज्ञा आत्मा पुरुषः पुराणः साक्षात्स्वयंज्योतिरजः परेशः।
नारायणो भगवान् वासुदेवायः स्वमाययात्मन्यवधीयमानः।।
ये क्षेत्रज्ञ परमात्मा सर्वव्यापक, जगत का आदिकारण, परिपूर्ण, अपरोक्ष, स्वयंप्रकाश, अजन्मा, ब्रह्मादि का भी नियन्ता और अपने अधीन रहने वाली माया के द्वारा सबके अन्तःकरणों में रहकर जीवों को प्रेरित करने वाला… read_more