प्रश्न: सर इंटरव्यू में एक सवाल अक्सर पूछा जाता है की आप ४-५ साल बाद अपने आप को कहाँ देखते हो, तो इसका क्या जवाब होना चाहिये? आपने कहा कि हम भविष्य की जो कल्पना करते हैं वो अतीत से निकलती है, उसमें नया कुछ नहीं होता। तो इस प्रश्न का अपने अतीत में से ही जवाब दें या कुछ नया बताने की कोशिश करें?
वक्ता: इंटरव्यू में कोई शास्त्रार्थ तो होता है नहीं, वहां कोई ज्ञान-चर्चा करने वाले लोग तो बैठते नहीं, और जो तुमसे ये सवाल पूछे की ५ साल बाद क्या करना चाहते हो, वो वैसे भी कोई बहुत होशियार आदमी तो हो नहीं सकता। उसने भी कहीं से रट लिया है कि इंटरव्यू में ऐसा सवाल पूछना चाहिए, फैशन है, ढर्रा है। तो जैसे वो पूछ रहा है, वैसा जवाब दे दो। अगर वो सच जानने को उत्सुक नहीं है तो तुम सच परोसने को उत्सुक क्यों हो? मैंने कहा था कि तुम जानो, मैंने ये थोड़ी कहा था कि दूसरों को जाकर बताओ।
मैं तुम्हें कुछ बता रहा हूँ इसलिए थोड़े ही बता रहा हूँ कि तुम माइक लगा कर उसकी घोषणा करोगे। मेरी बताई बातें यदि तुमने इंटरव्यू में बोल दीं, तो कभी नहीं चुने जाओगे। मेरी बताई बातें अगर तुमने किसी को बोल दीं तो दो ही काम होंगे, या तो वो तुम्हे मार कर भगा देगा, या तुम्हारा भक्त बन जाएगा। ये बातें मार्किट में खपाने की नहीं हैं, की यहाँ सुनी और इंटरव्यू में जाकर बोल दी। ये बात तुम्हारे लिए है ताकि तुम जानो।
– ‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।