इच्छाशक्ति क्या है?

Acharya Prashant

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इच्छाशक्ति क्या है?
विल पावर का मतलब होता है क्लेरिटी। विल पावर अपनेआप में कुछ है ही नहीं। विल पावर का मतलब होता है कि जब कन्फ्यूज़न नहीं है और पूरी क्लेरिटी है, फिर मैं जो भी करता हूँ तो उसे पूरी ताकत से करता हूँ। कन्फ्यूज़न ज़िन्दगी से हटा दो, विल पावर अपनेआप आ जाएगा। यह सारांश प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के स्वयंसेवकों द्वारा बनाया गया है

प्रश्नकर्ता: इच्छाशक्ति क्या है?

आचार्य प्रशांत: इस रूम में मान लो इतने दरवाज़े हैं। आपको बाहर जाना है। आपको ठीक-ठीक दिखाई नहीं पड़ रहा, या मान लो आँखों पर पट्टी बँधी हुई है। और आपको कुछ पता नहीं है, यहाँ का। बाहर निकलना है, कमरे के अन्दर आग लग गयी है, धुँआ-ही-धुँआ है। आप बाहर निकलना चाहते हो, आँखों पर बँधी है पट्टी। आप एक तरफ़ को भागोगे, लेकिन जैसे ही कोई बोल देगा कि दूसरी तरफ़ को जाओ तो आप उसी तरफ़ को चल दोगे क्योंकि आपको खुद कुछ पता नहीं है।

आप दूसरे पर निर्भर हो इसलिए बहुत जल्दी कन्फ्यूज़ हो जा रहे हो। फिर आप इधर की तरफ़ आओगे कोई बोल देगा, ‘नहीं, इस दरवाजे़ से बाहर निकलना भी ठीक नहीं है, ऐसा करो खिड़की तोड़कर कूद जाओ।’ तो आप उधर भी कन्फ्यूज़ हो जाओगे। आप थोड़ी देर को उधर भी चल दोगे। बात समझ रहे हो। आप जो भी कुछ करोगे उसमें कोई मोमेन्टम नहीं होगा, एनर्जी नहीं होगी, सिर्फ़ कन्फ्यूज़न होगा।

विल पावर का मतलब होता है क्लेरिटी। विल पावर अपनेआप में कुछ है ही नहीं। विल पावर का मतलब होता है कि जब कन्फ्यूज़न नहीं है और पूरी क्लेरिटी है, फिर मैं जो भी करता हूँ तो उसे पूरी ताकत से करता हूँ। और मुझे साफ़-साफ़ पता है, पूरी क्लेरिटी है कि मुझे उसी दरवाज़े से बाहर जाना है। तो मैं बाकी सबकी सोचना ही छोड़ दूँगा। मेरा ध्यान ही नहीं जाएगा कि ये दरवाज़ा कैसा है और इस खिड़की से कूद सकता हूँ कि नहीं और इस खिड़की का क्या हो सकता है। तो अब मैं क्या करूँगा?

मैं भाग के जाऊँगा और सिर्फ़ वो दरवाज़ा पकडूँगा और उससे बाहर निकल जाऊँगा। आप कहोगे विल पावर है। मैं कह रहा हूँ ये विल पावर नहीं है, ये मेरी समझ है। ये ऐबसेन्स ऑफ़ कन्फ्यूज़न है। अगर मैं कन्फ्यूज़्ड होता तो मैं ये नहीं कर सकता था। कन्फ्यूज़न ज़िन्दगी से हटा दो, विल पावर अपनेआप आ जाएगा।

जब भी कभी ज़िन्दगी में ऑप्शन्स रहेंगे बहुत सारे, तो विल पावर नहीं आ पाएगा। ज़िन्दगी से ऑपशन्स हटा दो, चॉइसेस हटा दो, कन्फ्यूज़न्स हटा दो, विल पावर आ जाएगा। और वो विल पावर है भी नही। वो सिर्फ़ तुम्हारी अपनी क्लेरिटी है, उसी क्लेरिटी से एक मोमेन्टम बनता है। बात समझ में आ रही है?

विल पावर ये नहीं होता कि समझा नहीं है, जाना नहीं है, और बैठे हैं कि यस आइ विल डू इट। कोई आपको मोटिवेट कर रहा हो और आप यस, यस, कर रहे हो। विल पावर कोई टूल और टेक्नीक नहीं है। विल पावर कोई डेवेलप करने वाली चीज़ भी नहीं है कि हाउ टू डेवेलप विल पावर इन सेवेन डेज़। और विल पावर कोई ऐसी भी चीज़ नहीं है कि किसी की किताब उठा रहे हो और पढ़ रहे हो, यू कैन विन , और उससे आपके लिए विलिंगनेस पैदा हुई आपने विनिंग की।

विल पावर है आपकी अपनी क्लेरिटी। बात समझ में आयी? जब मुझे पता ही है कि मुझे क्या करना है तो मैं वो पूरी जान से करता हूँ। इसका नाम है विल पावर। जब मुझे साफ़-साफ़ पता होता है कि मुझे क्या करना है तो मैं उसको अपनी पूरी जान से करता हूँ। इसका नाम है विल पावर। और जब मैं कन्फ्यूज़्ड होता हूँ, जब मेरे सामने दस आप्शन्स होते हैं, चॉइसेस होती हैं तो मैं कुछ भी ठीक से नहीं करता। इसका नाम है - लैक ऑफ विल पावर। समझ में आयी बात?

अपनी ज़िन्दगी से कन्फ्यूज़न्स हटा दो। जब इतनी सारी चॉइसेस चलती रहती है न कि कोई भी आता है और तुम्हें नई चॉइस देकर चला जाता है, वो हटा दो। अपनेआप को जान जाओ। अपने दिमाग को समझ जाओ। उसको समझने से तुम्हारा सारा एफर्ट एक ही डायरेक्शन में फ्लो करेगा, और उस फ़्लो में बड़ी ताकत होती है, बहुत ताकत होती है, बहुत ताकत होती है।

प्रश्नकर्ता: ऐसा नहीं हो पाता है। हमें पता है कि यहीं करूँगा, यही करना है लेकिन फिर भी ..... ?

आचार्य प्रशांत: नहीं। अगर तुम्हें पता होता है कि यही करना है तो तुम्हें कोई रोक नहीं सकता था। फिर तो वो एक कान्संटेन्ट आवाज़ बन जाती, एक पुकार बन जाती है, जो लगातार तुम्हें आती ही रहती। तुम्हें पता नहीं है।

प्रश्नकर्ता: वो बाहर से आती है।

आचार्य प्रशांत: तुमने सोच रखा है कि ये करना है। तुम जिस चीज़ के लिए विल पावर इकट्ठा कर रहे हो तुम्हें उसकी कोई समझ नहीं है, तुम अपने उसे प्यार से नहीं कर रहे हो। भई! कोई काम तुम्हें ऐसा करना पड़ता है, जो करने की तुम्हारी इच्छा नहीं है, जो ज़बरदस्ती कर रहे हो, तो उसमें विल पावर चाहिए होता है। क्योंकि मन तो कहीं और भाग रहा है। और तुम्हें विल पावर किसलिए चाहिए? ताकि वो काम कर सको। वो काम करने की तुम्हारी इच्छा नहीं है, मन तो कहीं और भाग रहा है, पर तुम करना चाहते हो इसलिए तुम विल पावर इकट्ठा करते हो।

अब ये विल पावर क्या कोई मदद कर पाएगा? और करेगा भी तो कितनी देर तक? कुछ देर तब तुम वो काम कर लोगे, उसके बाद क्या होगा? मन फिर भाग जाएगा। कुछ देर तक तो तुम वो काम कर लोगे, उसके बाद क्या होगा? मन फिर भाग जाएगा। बात समझ में आ रही है?

मन अगर भागे बार-बार तो इसका मतलब ही यही है कि तुम जो कर रहे हो वो अपनी समझ से कर ही नहीं रहे। वो तो तुमने एक डिसीजन ले रखा है, रिज़ॉल्यूशन ले रखा है इसके कारण कर रहे हो। वो तुम्हारी अपनी क्लेरिटी से नहीं निकल रहा। तुमने लिखा था न, अण्डरस्टैन्डिंग डिज़ायर और डिज़ायर।

जब भी कभी तुम पाओ कि तुम्हारा मोटिवेशन बार-बार कम हो जाता है तो समझ लेना कि डिज़ायर की अण्डरस्टैन्डिंग नहीं है। अण्डरस्टैन्डिंग में तुम्हारा मोटिवेशन कभी कम नहीं हो पाएगा। हाँ, डिज़ायर के पीछे मोटिवेशन कभी बढ़ेगा कभी घटेगा क्योंकि डिज़ायर एक नहीं हज़ारों हैं। एक के पीछे भाग रहे थे तभी दूसरी डिज़ायर आ गयी तो पहली डिज़ायर से मोटिवेशन क्या हुआ? क्या हुआ? कम हो गया। फिर तुम कहोगे अरे! विल पावर की कमी हो गयी। विल पावर की कमी नहीं है, तुममें क्लेरिटी ही नहीं थी।

तुम पढ़ने बैठते हो तभी कोई आता है, तुमसे कहता है चल घूमकर आते हैं। तुम घूमने चल देते हो। और फिर घूमकर आते हो तो कहते हो कि मुझमें विल पावर की कमी है, मुझे पढ़ना था, मैं पढ़ नहीं पाया। अगर तुम्हें पढ़ाई से प्रेम होता तो तुम उसके साथ उठकर चले जाते? मैं तुमसे पूछ रहा हूँ कि ये विल पावर की कमी है या प्रेम की कमी है? ईमानदारी से बताओ। ये ऐबसेन्स ऑफ़ लव है, ऐबसेन्स ऑफ़ क्लेरिटी है। अगर तुम्हें साफ़-साफ़ पता ही हो कि मुझे पढ़ना ही है और पढ़ने में ही मेरा जॉय है तो क्या तुम उठकर चले जाते? पर तुम काहेगे क्या? तुम कहोगे कि नहीं, मुझमें विल पावर की कमी है। विल पावर कुछ होता ही नहीं भाई।

मुझे अगर तुमसे बात करना अच्छा न लग रहा हो और मैं यहाँ बैठा हूँ तुमसे बात कर रहा हूँ, तो मुझे बहुत सारा विल पावर चाहिए। चाहिए कि नहीं चाहिए? क्योंकि मन तो मेरा ये कर रहा है कि क्या अरे! क्या ये क्या मेरा, दिन खराब हो रहा है, इनको कुछ समझ में तो कुछ आता नहीं है, मैं बोलकर चला जाऊँगा, इन्हें फिर अपने पुराने ढर्रे पर चला जाना है। मैं अपना टाइम ही खराब कर रहा हूँ।

तो मुझे बहुत सारा विल पावर चाहिए होगा। हर क्षण मेरा मन कर रहा होगा कि मैं उठकर यहाँ से भाग जाऊँ। पर मैं किसी तरह यहाँ बैठा हूँ कि नहीं दो घंटे काटने हैं, काटो। तो विल पावर चाहिए। लेकिन अगर मुझे तुमसे बात करने में मज़ा आ रहा है तो क्या मुझे विल पावर चाहिए? विल पावर उनको ही चाहिए होता है जो अपने मज़े के लिए, अपनी समझ से काम नहीं कर रहे होते। वरना कोई विल पावर नहीं चाहिए। समझे बेटा? अभी विल पावर इकट्ठा कर-करके बैठे हो यहाँ पर?

प्रश्नकर्ता: नहीं, समझकर।

आचार्य प्रशांत: तो फिर कैसे समझोगे? विल पावर इकट्ठा करके बैठने का मतलब ये है कि मन कर रहा है भागो। अच्छा, अभी सुन रहे थे तो विल पावर इकट्ठा करके सुन रहे थे?

प्रश्नकर्ता: नहीं।

आचार्य प्रशांत: अभी नहीं न। क्योंकि तुम्हारा सवाल था। यही है वो गलती। जब अपना सवाल था तो खुद ही सुन रहे थे बड़े ध्यान से। किसी भी पावर की ज़रूरत नहीं पड़ी न। खुद सुना। और उससे पहले पड़ रही थी ज़रूरत। क्योंकि कभी ये पूछ रहा है कभी वो पूछ रही है, कभी ये पूछ रहा है। तो जब दूसरों के सवाल हैं तो अपने को लगता है, टाइम क्या हुआ यार? सामने वाले ने कान में कुछ बोला। अरे! तू सुन रहा है क्या, मैं भी। पका दिया, झेल गये, चट गये। ये बात समझ में आ रही है? विल पावर की तलाश मत करो, क्लेरिटी की तलाश करो। फिर अपनेआप बहुत खूब एनर्जी आ जाएगी। उसमें कमी नहीं रहेगी।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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