छात्र से पहले शिक्षक हो जागृत || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

Acharya Prashant

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छात्र से पहले शिक्षक हो जागृत || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

प्रश्न: अच्छा शिक्षक बनने के लिये हम क्या कर सकते हैं?

वक्ता: हम ये कर सकते हैं कि सबसे पहले कि मन से ये धारणा ही हटा दें कि शिक्षा, शिक्षक से पृथक है। बात समझियेगा। हमारे मन में ये बात बहुत गहरी बैठी हुई है कि हम क्या हैं? हमारी शिक्षा क्या है, हम कक्षा में कैसा पढ़ाते हैं, ये दोनों पृथक चीज़ें हें। हमने विभाजित कर रखा है। पहला काम ये करिये कि अपने पढ़ाने वाले विषयों पर जितना ध्यान देते हैं, उसका कम से कम तिहाई ध्यान अपने जीवन पर देना शुरू कर दीजिये। बात बहुत सीधी-सी लगेगी। आप कहेंगे कि इसमें क्या रखा है।

अपने ऊपर तो हर कोई ध्यान देता है, ये तो स्वार्थ ही है अपना। पर हम ठीक से स्वार्थी भी नहीं हैं। जितना ध्यान आप पढ़ाने पर देते हैं, उससे तिहाई ध्यान अपने जीवन को देना शुरू कर दीजिये। जितना ध्यान आप इस बात पर देते होंगे कि आपके छात्रों का परिणाम कैसा आ रहा है, उसका तिहाई ध्यान इस पर देना शुरू कर दीजिये कि जब आप अपने कक्ष में बैठते हैं, जब आप घर में हैं, जब आप किसी मॉल में शॉपिंग कर रहे हैं, जब आप कोई मूवी देख रहे हैं, तब आप कैसे हैं।

बात सुनने में बहुत छोटी लगेगी, पर जब आप एक छात्र से बात कर रहे हैं, तब उस समय क्या आप एक अधिकारी बन रहे हैं या गुरु? ठीक-ठीक सम्बन्ध क्या है अपने छात्रों से हमारा? इस पर थोड़ा ध्यान देना शुरू कर दीजिये, और उसके बाद देखिये कि ये चीज़ कैसे अपने आप में बिल्कल अद्भुत होकर सामने आती है। मेरे लिये बहुत आसान होगा कि आपके सामने मैं एक रास्ता सुझा दूँ , एक आचार-संहिता(कोड ऑफ़ कंडक्ट) बता दूँ, और आप भी बड़े खुश होकर, बड़े संतुष्ट होकर जायेंगे कि ये घुट्टी मिल गयी। पर वो घुट्टी कभी काम नहीं आएगी, वो घुट्टी हम सालों से पी रहे हैं और पूरे समाज ने पी रखी है सालों से, और किसी के काम नहीं आ रही है। कुछ नया ही करना होगा।

-‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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