सुबह साढ़े तीन बजे कुछ खास होता है? || आचार्य प्रशांत (2019)

Acharya Prashant

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सुबह साढ़े तीन बजे कुछ खास होता है? || आचार्य प्रशांत (2019)

आचार्य प्रशांत: एक सज्जन आये, बोले, ‘वो तीन बजकर तीस मिनट पर कुछ ख़ास होता है, हम उस समय उठते हैं।’ मैंने कहा, ‘ठीक, किस टाइम ज़ोन (समय क्षेत्र) में? काहे कि तीन बजकर तीस मिनट जो हिन्दुस्तान के लिए है वो पाकिस्तान के लिए नहीं है, ईरान के लिए नहीं है, अमेरिका के लिए नहीं है, तो ये तीन-तीस का मतलब क्या है?'

दूसरी बात आप जिसको तीन-तीस बोलते हो, अगर आप थोड़ा पढ़े-लिखे होओगे तो आपको पता होगा वो इलाहाबाद का टाइम है बस। वापस जाइएगा दसवीं की ज्योग्राफी (भूगोल) पर। अक्सर जो आध्यात्मिक लोग होते हैं उनके गुरु होते हैं, वो ज़रा कम — ख़ासतौर पर गुरुजन ज़रा कम — पढ़े-लिखे होते हैं।

भारत में कितने टाइम ज़ोन हैं? एक ही चलता है। वो जो एक टाइम है, जब आप कहते हो कि बारह बजा है, तो वास्तव में बारह सिर्फ़ इलाहाबाद में बजा है और देशभर में कहीं नहीं बजा है। एक एप्रोक्सीमेशन (समीपता) कर दिया जाता है — चलो, इलाहाबाद में बजा है तो पूरे देश का मान लेंगे। इलाहाबाद की वजह से पूरे देश का क्यों मान लेते हैं? क्योंकि इलाहाबाद देश में क़रीब-क़रीब बीचोंबीच है। और बारह बजने का मतलब होता है, वो समय जब सूरज ठीक आपके सिर के ऊपर हो। जब आप बोलते भी हो न कि बारह बजा है; तो बारह दिल्ली में नहीं बजा है, इलाहाबाद में बजा है — दिल्ली अभी बारह बजने से थोड़ा सा पीछे है।

अब ये साढ़े तीन बजे वाला चक्कर ज़रा अमेरिका में लगाकर देखो या रूस में लगाकर देखो। वहाँ कितने टाइम ज़ोन हैं? बहुत सारे हैं। एक जगह पाँच हैं, एक जगह ग्यारह हैं। वो कहे, ‘मुझे साढ़े तीन बज़े उठना है अपने टाइम ज़ोन के साढ़े तीन बज़े।’ और मैं टाइम ज़ोन ही दूसरी तरह से निर्धारित कर दूँ तो?

डेलाइट सेविंग जानते हो क्या होता है? जो लोग अमेरिका, यूरोप गये हैं जानते होंगे। डेलाइट सेविंग का क्या कॉन्सेप्ट (अवधारणा) है? एक दिन आता है जब सर्दियाँ शुरू हो रही होती हैं तो वो घड़ी की सुइयाँ…।

श्रोतागण: एक घंटा आगे बढ़ा देते हैं।

आचार्य: हाँ। तो ये लो साढ़े तीन का साढ़े चार बजा दिया। किसने बजा दिया? आदमी ने बजा दिया। उसमें दैवीयता क्या है, उसमें सत्य क्या है? उसमें परमात्मा का लिखा हुआ क्या है? तुम जब चाहते हो उसको मान लेते हो कि साढ़े तीन बजा है। और एक दिन ठंडू लगने लगती है, तो तुम बोलने लगते हो कि आज से ये जो साढ़े तीन है, हम इसको ढाई मानेंगे या साढ़े चार मानेंगे।

साढ़े तीन से अगर तुम्हारा बड़ा अब्सेशन (जुनून) है, तो ये तुम्हारा फिर अपने टाइम ज़ोन से अब्सेशन है; जो कि मानव द्वारा परिभाषित है किसी देवता द्वारा नहीं।

YouTube Link: https://www.youtube.com/watch?v=w38NsRYG1UU

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