तुम्हारे सामने पहलवान खड़ा हो लड़ाई के लिए, और तुम उस वक़्त कहो कि, “मैं अब ज़रा दंड-बैठक करता हूँ, शरीर बनाता हूँ”, तो तुम पिटोगे ही नहीं, बहुत बुरी तरह पिटोगे!
एक सज्जन थे, उन्हें सलाह दी गई थी कि, ‘साहब! आपका कॉलेस्ट्रॉल बहुत बढ़ गया है, तो आप ज़रा दौड़ा-भागा करें। वज़न घटाएँ, नहीं तो दिल का दौरा पड़ेगा!’
उन्हें दिल का दौरा पड़ा तो वो दिल पर हाथ रखकर दौड़ने लगे, सलाह मान रहे हैं चिकित्सक की! उसी ने तो कहा था कि दौड़ा-भागा करो फ़ायदा होगा; ऐसी हमारी ज़िन्दगी है।
हम बस वही बात पूछने आते हैं जिस बात में विस्फोट शामिल हो, कि, “दिल का दौरा पड़ा है, बताइए क्या करें?” अरे! अब क्या करोगे? "दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोए" जब खुश रहते हो उस समय चेतो! तुम्हारी खुशी में तुम्हारा नर्क है।