पिंकिया-तोतिया-चिरैया-छोटिया - सबै के ब्याह हुइ गबा || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)

Acharya Prashant

14 min
43 reads
पिंकिया-तोतिया-चिरैया-छोटिया - सबै के ब्याह हुइ गबा || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)

प्रश्नकर्ता : प्रणाम, आचार्य जी। हम झारखण्ड से हैं और अभी जस्ट(अभी-अभी) मेरा बी.टेक कंप्लीट(पूरा) हुआ है दो महीने पहले। आपको सुन 2018 से रहे हैं, कुछ-कुछ चीज़ सीखे हैं, जो इम्प्लिमेंट(लागू) भी किये है और बहुत कुछ अभी सीखना भी है।

थोड़ा जिद्दू कृष्णमूर्ति को भी पढ़े हैं, थोड़ा ओशो को भी, ज़्यादा नहीं थोड़ा ही और तो अभी जस्ट(अभी-अभी) मेरा बी.टेक कंप्लीट(पूरा) हुआ है, ठीक है, और हम एक मिडिल क्लास फ़ैमिली (मध्यम वर्गीय परिवार) से बिलॉन्ग (संबंध या सरोकार) करते हैं।

तो मतलब शुरू में तो यही टारगेट(लक्ष्य) था की फाइनैन्शल इंडिपेंडेंट (वित्तीय स्वतंत्र) होना है, क्योंकि एक लोअर मिडल क्लास फ़ैमिली (निम्न मध्यम वर्गीय परिवार) से बिलॉन्ग(संबंध या सरोकार) करते हैं, उसमें भी लड़की, तो सिचूएशन (स्थिति) बहुत ख़राब तो पता था कि अगरफाइनैन्शल इंडिपेंडेंट(वित्तीय स्वतंत्र) नहीं होते है तो, मतलब और बदतर सिचूएशन (स्थिति) में जाएंगे, तो फिर अभी ठीक है अभी छह-नौ महीने से हम एक कंपनी में काम कर रहें है।

मतलब छह महीने इंटर्नशिप (प्रशिक्षण) और दो, तीन महीने से जॉब। तो फिर शुरू में क्या था की जब हम 12th में थे न, तभी से ही पेरेन्ट्स (माता-पिता) का प्रेशर(दबाव) था की शादी करवा देंगे तुम्हारा, ऐसा था। और उसके बाद क्या हुआ? किसी तरह हम ज़िद करके बी.टेक में एडमिशन (दाख़िला) लिए तो और, और उनसे बोले की, उनका कहना था कि तुम करो बी.टेक हम इधर देखते है लड़का तुम्हारे लिए अगर, अगर लड़का चुन लिए तो तुमको बुला लेंगे, शादी करवा देंगे। हम बोले हाँ ठीक है, देख लेंगे। जितना मिल रहा है टाइम (समय) वो लेते हैं, बाकी देखा जाएगा।

फिर उनका क्या हुआ की जैसे मेरा अभी बी.टेक कंप्लीट (पूरा) हुआ है। तो अब मतलब मेरा टारगेट(लक्ष्य) था की प्लेसमेंट(नौकरी दिलाना) ऐसा लेना है की उनके अपने पूरे ख़ानदान नज़र में कोई ऐसा लड़का ही ना हो जिसका उतना सैलरी हो। और बाइ गाड्स ग्रेस (भगवान की कृपा से) और थोड़ा बहुत मेहनत करना पड़ा तोप्लेसमेंट (नौकरी दिलाना) ऐसा हुआ की अभी उनके नज़र में कोई नहीं है, जो मेरे लेवल (स्तर) पर हो।

मतलब ठीक है वो बट (लेकिन) अब उनका कहना है पैसा सेव (बचा) करो तुम्हारे दहेज़ के लिए हम लड़का ढूंढ रहे हैं।मतलब पहले वो सेव (बचा) कर रहे थे अब वो बोल रहे है की यू हैव टू सेव (आपको बचाना है) कि देखेंगे हम खोजे खोजना है, तो और मतलब बहुत सारे चीज़ अभी भी आ रहा है काफ़ी कम हो गया है उनका पकड़ मेरे उपर बहुत कम हो गया है। बट स्टिल (फिर भी) मतलब कुछ है जो थोड़ा-थोड़ा है, ठीक है।

और उनका है की बीच में एक ऐसा टाइम (समय) आया था जब उनका वो मतलब ऐसा उनको देख के लगा कि जैसे उनका कंट्रोल (नियंत्रण) छिन रहा हो और फ़ैमिली (परिवार) ऐसा ही है, उधर का झारखंड का मोस्टली(अधिकतर), कि जहाँ पर कंट्रोल फीमेल मेंबर्स (महिला सदस्य नियंत्रण) पर बहुत ज़्यादा होता है कि उनको बाहर नहीं जाना, ये नहीं वो नहीं कुछ नहीं, आप कहीं नहीं जा सकते हो।

तो अब उनको जैसे अचानक से सिर्फ़ अपने पेरेन्ट्स (माता-पिता) को नहीं बोलेंगे। पूरे मेरे फ़ैमिली(परिवार) है, जो पूरा कुनबा है उनको जैसे ही पता चला कंट्रोल (नियंत्रण) छिन रहा है तो वो और कंट्रोल (नियंत्रण) लेने के ये में आ गये कि मतलब इसको पकड़ना है किसी तरह वरना। तो मतलब ऐसा था और बेसिकली (ख़ास तौर पर) मतलब उनको कैसे बताए? कि दैट आई ऐम नॉट रिस्पॉन्सिबल फॉर देयर ऑनर एंड प्रेस्टीश़ (कि मैं उनके सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ) जो उनका बना बनाया है।सो हाउ टू टेल देम (ऐसे में उन्हें कैसे बताएं)?

कुछ-कुछ चीज़े तोक्लियर (साफ़) हो गयी है मतलब अपनेआप ज़रूरत नहीं पड़ा। कुछ-कुछ चीजें अपनेआप क्लियर(साफ़) है, कुछ-कुछ चीजें अपनेआप छूटता गया। जैसे ही मतलब बीच में क्या हुआ था जब लॉकडाउन हुआ था। ताकि हम को अपनेपेरेन्ट्स (माता-पिता) से पैसा ना लेना पड़े फॉर माय रूम रेंट ऐंड मेस (मेरे कमरे के किराये और भोजन के लिए) हम दो इंटर्नशिप (प्रशिक्षण) साथ में कर रहे थे।अलॉन्ग विथ माय कॉलेज करिक्यूलम (मेरे कॉलेज के पाठ्यक्रम के साथ) तो बस उनसे माँगना ना पड़े, ऐसा नहीं कि वो दे नहीं सकते थे, देते भी थे, बट (लेकिन) माँगना ना पड़े और मतलब कोई भी चीज़ के लिए इजाज़त नहीं लेना पड़े, इसके लिए।

तो मतलब राइट नाउ द सिचूएशन इज (अभी स्थिति है) कि अभी भी उनको लगता है की दो चीज़े पहला चीज़ की दे वांट मी टू सेव मनी सो दैट दे कैन गिव द डाउरी (वे चाहते हैं कि मैं पैसे बचाऊँ ताकि मैं दहेज़ दे सकूँ) दूसरा चीज़ की हाउ टू टेल देम दैट आई ऐम नॉट रिस्पांसिबल फॉर देयर ओनर एंड प्रेस्टीश़ (उन्हें कैसे बताएँ कि मैं उनके सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ) ये दो चीज़ है।

आचार्य प्रशांत: डोंट टेल देम (मत बताओ उन्हें), हाउ टू (कैसे करें) की बात ही नहीं है, कोई ज़रूरत ही नहीं है।

प्र: पूरी तरह से डिस्कनेक्ट (अलग) नहीं हो सकते है ना, अपने माता-पिता से पांच मिनट ही बात होता है हर दिन।

आचार्य: कनेक्शन (संबंध) का ये तरीक़ा कि बोल दो की आई ऐम नॉट रिस्पॉन्सिबल फॉर योर ओनर एंड प्रेस्टीश़ (मैं आपके सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ)। ये कोई कनेक्शन नहीं है। कहाँ जॉब कर रहे हो शहर?

प्र: पुणे।

आचार्य: पुणे, और झारखंड के रहने वाले हो।

प्र: हाँ सर।

आचार्य: बारह सौ किलोमीटर या चौदह सौ, पुणे से घर। बारह या चौदह सौ किलोमीटर से कम नहीं है। चौदह सौ किलोमीटर पर्याप्त है और किसी चीज़ की फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है।

प्र: ये एग्ज़ैक्ट्ली (सही-सही, बिलकुल) हमको लगा।

आचार्य: बस हो गया है पूरा।

प्र: मतलब उनका कहना था ना की जब तक वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) है यहीं रहो यहाँ पर रेंट (किराया) झारखंड का कम है। पच्चीस सौ में रूम मिलता है, दो हज़ार में खाना मिलता है, पाँच-छः हज़ार में तुम्हारा पूरा हो जाता, पूरा पैसा बचा लोगी तुम, लेकिन मेरे को नहीं बचाना था। मतलब इसीलिए हम वहाँ से आये यहाँ पर।

आचार्य: देखो दो चार बातें बता देते है चूँकि अब पता है की ये है कि कोई ख़तरा तो है नहीं। न आपको न हमको। तो आप जैसे जितने भी नवयुवक, नवयुवती हैं उनके लिए दो-चार बातें। पहली बात चौदह सौ किलोमीटर की दूरी ठीक होती है, इससे कम कि मत रखना।

दूसरी बात, तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम एक रिस्पान्सबल जॉब (उत्तरदायी कार्य) कर रहे हो, जिसमें कम से कम तुम्हारे सोलह-अट्ठारह घंटे लगते हैं, लगते है न तो तुम कॉल्स रिसीव नहीं कर सकते।

प्र: हम कॉल ही नहीं प्राप्त करते।

आचार्य: तुम कर सकते ही नहीं हो।

प्र: हम कहते है उनको की हम नहीं करेंगे, क्योंकि थोड़ा टाइम (समय) होता है, बट स्टिल (फिर भी) हम नहीं रिसीव (प्राप्त) करते।

आचार्य: तुम्हारी शिफ्ट्स है, ठीक है। और तुम बात करने के लिए उपलब्ध होते हो मात्र रात में एक बजे से सुबह चार बजे तक।

प्र: नहीं नहीं, बोले हम ग्यारह बजे बोले है।

आचार्य: और तुम्हारे घर वाले तुमसे इतना भी प्यार नहीं करते उनको तो ताना पड़ना चाहिए। तुम मुझसे बात करने के लिए रात में एक से चार तक जग भी नहीं सकते। तुम मुझसे प्यार नहीं करते, तुम अपनी बेटी को भूल रहे हो। मैं रात में दो बजे इंतज़ार कर रही थी, तुम्हारा कॉल नहीं आया।

तीसरी बात, ठीक वैसे जैसे वो आतुर है आप के ब्याह के लिए वैसे ही ब्याह पर ब्याह होते रहते हैं। ख़ासतौर पर अगर उधर आपका सम्मिलित परिवार है, संयुक्त परिवार है, और रिश्तेदारियाँ है, ठीक है। एक के बाद एक ब्याह होते रहेंगे। उन ब्याहों में शामिल होने चली मत जाना।

प्र: कभी नहीं। आठ साल से है हम कॉलेज में, स्कूल में, कॉलेज, ट्यूशन।

आचार्य: और बार बार कहा जाएगा कि आ जाओ, अब वो पिंकीया की भी हो रही है।

प्र सेमेस्टर चल रहा है जब चल ही नहीं रहा था।

आचार्य: सेमेस्टर चल रहा है, अरे! चल रहा है।

प्र: हम बोले सेमेस्टर चल रहा है नहीं आ सकते फेल कर देंगे ये लोग नहीं गए।

आचार्य: और पुणे में नहीं हो, अभी चेन्नई में हो, चेन्नई में भी नहीं हो, बैंकॉक में, बैंकॉक में भी नहीं, शिकागो में हो, कैसे आ जायें शादी में? ऐसे थोड़ी आ सकते हैं झारखंड आने के लिए भारत सरकार ने विशेष वीजा रखा है। नहीं आ सकते। ठीक है, बस ये दो तीन चीज़। अगली बात बैंक अकाउंट(खाता) अपना है ना? पासवर्ड तो नहीं दे दी।

प्र: नहीं।

आचार्य: तो बस हो गया। जो कुछ भी है बचत करो, ये करो वो करो, हाँ करी थी बचत ठीक है, करी थी, फिर खर्च हो गई, कुछ हो गया, हम क्या करें? तो सीटीसी पता है न, ये थोड़ी पता है कि बच कितना रहा है। हाँ, ये भी नहीं पता किराया कितना है? पुणे महंगी जगह है तुम नहीं जानती हो? तुमने चालीस लाख की कार ख़रीदी है, तुमने चालीस लाख की कार ख़रीदी है, तुमने एक करोड़ का फ्लैट ख़रीदा है ठीक है। और फ्लैट नहीं भी ख़रीदा है तुम, तुम जहाँ रहती हो पुणे महंगी जगह है भाई झारखंड थोड़े ही है।

वहाँ पर किराया ही लगता है सत्तर हज़ार रुपये, पैसा कैसे बचेगा? नहीं बच रहा है पैसा। देखो, समझाया भी तभी जा सकता है जब सामने जिससे बात की जा रही हो वो समझने के लिए तैयार भी हो। ये सब बातें मैं कर पा रहा हूँ, क्योंकि आप यहाँ स्वेच्छा से बैठे है। और आप यहाँ पर कष्ट उठाकर, श्रम करके, समय निकाल करके, दूर से आ करके और आर्थिक योगदान कर के बैठे हैं;नहीं तो मैं इतनी बातें नहीं करूँगा। ये सब कुछ करके आपने प्रमाणित कर दिया है कि आप में सुनने की पात्रता है।

चूँकि आपने अपनी पात्रता पहले साबित करी है, इसलिए मैं अपना दिल खोलकर आपके सामने रख सकता हूँ; नहीं तो मैं नहीं बोलूँगा। सबसे नहीं बोला जाता जो जिस तल पर व्यवहार करना चाहता हो, अगर वो अड़ा ही हुआ है, अपने तल पर रहने को तो उससे उसी के तल पर आकर बात करनी पड़ेगी।

आज सुबह-सुबह गीता का वीडियो प्रकाशित हुआ है। शीर्षक क्या है उसका? (कोई नहीं देखता।) “अर्जुन के तल पर उतरे कृष्ण” अर्जुन नहीं उठने को तैयार है। अर्जुन का अपना तल है। तलों में भेद है लेकिन अर्जुन की फिर भी इच्छा है कि मैं जानना चाहता हूँ, समझना चाहता हूँ, भाग नहीं रहे हैं और अपनेआप को समर्पित करे हुए है तो फिर कृष्ण उनको समझा रहें है। सुनने कोई ही कोई ना तैयार हो फिर?

बहुत सारी बातें ऐसी होती हैं देखो, जिनको सीधे मुँह पर बोल दोगे तो झगड़ा हो जाएगा। उन चीजों को वक्त पर छोड़ दो, अपनेआप समझ जाएंगे। मुँह पर बोलोगे कि मुझे नहीं करना है ब्याह आपके, आपकी इज्ज़त और आपके संस्कारों और मर्यादा के लिए मैं नहीं कर रही तो बड़ा भारी तुम वहाँ पर विवाद खड़ा कर दोगी। क्या करना है? अपनी ऊर्जा इन चीजों में लगाकर।

प्र: अच्छा मैंने इग्नोर (उपेक्षा) किया अपने साइड से किया यही सब झगड़ा ना हो, क्योंकि ऑलरेडी (पहले से ही) बहुत कुछ था एग्ज़ाम (परीक्षा) वगैरह सब कुछ तो फिर भी बट (लेकिन) मतलब उनका है की वो कुछ ना कुछ ऐसा बोल देंगे फिर ख़ुद ही।

आचार्य: तुम रात में एक से चार ही तो उपलब्ध होती हो।

प्र: ये तो अभी पता चला ना की एक से चार ही उपलब्ध हूँ।

आचार्य: आज कल के घरवालों को बच्चों से कुछ माया ममता ही नहीं है। बच्चे कह रहे हैं हमें फ़ोन करो, फ़ोन करो दो बजे हम ख़ाली हुए हैं, रात में हमें फ़ोन करो, माँ बाप फ़ोन ही नहीं कर रहे हैं उनको।

प्र: एग्ज़ैक्ट्ली सेम (बिल्कुल वैसा) चीज़ हम करके रखे हैं बस थोड़ा सा लोअर लेवल (निचले स्तर) पर हम ग्यारह बजे।

आचार्य: ग्यारह तो, एक से चार और रोज़ तुम आतुरता से प्रतीक्षा करती होगी कब? मेरे घर से कॉल आएगी, आती ही नहीं। ये क्या है? ये क्या है, ये कौन से संबंध होते हैं जिसमें आप अपना किरदार यही समझते हो कि बेटी को उठा करके किसी के घर में बांध दो। और उसके बाद जो होगा; उसकी ज़िम्मेदारी उठाओगे? नहीं ज़िम्मेदारी उठा सकते तो उसका ब्याह करने को इतने आतुर क्यों हो?

ब्याह के बाद जो कुछ होता है; उसमें तो कह देते हो बेटी अब तू ख़ुद झेल— वो तेरा घर है— नाउ डील विद इट (अब इसका सामना करो), कैसे? डील विद इट (इससे निपटो) तुम उस को वहाँ फेंक कर के आ गए हो वो क्या करे वहाँ पर अब? और पति पत्नी का रिश्ता कैसा होता है, तुम नहीं जानते क्या, ख़ुद भी तो शादीशुदा हो बच्ची पैदा कर रही है?

तुम जाओगे, उसके शयन कक्ष में, उसके साथ, उसके बिस्तर पर। और किस-किस तरीक़े के हैवान होते हैं, दुनिया में नहीं जानते हो, वो ऊपर से थोड़ी बताएगा। वो ऊपर से बता देगा कि मैं भी संस्कारी बालक हूँ। एक लड़का किसी लड़की में क्या तलाश रहा है; वो जानना है तो इंस्टाग्राम खोल लो। और लगे हुए हो की बिटिया जा तू जा, किसी के घर घुस जा और उसकी हवस बहुत परेशान हो रही है, कुछ मिल नहीं रहा, जा।

दो चीज़ हमने बोली थी न, कंचन कामिनी, तो कामिनी भी उसको मिल जाएगी— बेटी उठाकर दे दी कि उसकी देह नोच और कंचन के रूप में कही रहे हैं— दहेज़ तैयार कर लो। और कह रहे हैं हम बाप हैं; बाप ऐसा होता है। ये, ये बाप के लक्षण हैं।

फ़ख़्र होना चाहिए कि उस प्रांत से, उस घर से, लड़की निकल के आयी है, कोई ढंग का काम कर रही है, पुणे में है। उसकी जगह उसको परेशान करना कहना बार-बार तू घर आ, घर आ, ब्याह कर। घरवाले हैं, दुश्मन हैं, क्या हैं? तुम कुछ मत बोलो। तुम अभी कहाँ हो? तुम शिकागो में हो।

प्र: मतलब उनको पता ही नहीं है कि मतलब एक तो झारखंड का कॉलेज इतना घटिया स्थिति, वहाँ से ऑफ कैंपस प्लेसमेंट (नौकरी दिलाना) लेना है क्या मेहनत लगता है?

आचार्य: उनको किसी चीज़ की क़द्र नहीं है। उनको सिर्फ़ और सिर्फ़ झूठी परंपरा की और खोखले आत्मसम्मान की क़द्र कि हमारी बिरादरी में कोई ना बोल दें कि— “फ़लाने की बिटिया अरे! इतनी उम्र की हो गयी है, ब्याही नहीं अभी तक, का कर रही है पुणे में? जानित नहीं है बड़े शहर आई हैं, उम्हे कुछ हूँ हो सकत थ। देख लेयी अपना हम जानित नहीं हम तो। बस बताईल लाग ह। देखि हमार ऐसा कौन मंशा नहीं आये। बस सुनेन त वर्मा जी। उनके रही एक ठी बिटिया अब वू त गई रही। कहा ना जानित नहीं जाने गुड़गांव, जाने बैंगलोर ऐसे कोई, बड़ा भारी शहर। गयीं रहीं कार में आई समाचार में।“

प्र: यही सारा विडियोज़ वो भेजते हैं व्हाट्सएप पर।

आचार्य: “हमार त हम बताईल लागे बहुत दिल धड़कत है। रात में ससुरा आवे कि टीवी में बतावा थे सनसनी। हम देखे थे हम का लागत है की हमरै आयी बिटिया न जाने का होये कल बप्पा कल। लगावा हो, घुमावा फ़ोन। का रानी? प्राण लेके मनबू, न अउबु घर? पिंकीया, चिरैया, मैना, तोतिया सबके विदाई हुई गई। हम हिन अभागें हैं।“

अब बिटिया पितृ मोह में लगी हैं;अश्रु बहाने, जल्दी से फ्लाइट बुक कराईं, चलीं गयीं। रिटर्न(वापस) टिकट नहीं कराया था।

जान्यु, धरअ बैइठा। (समझें, बैठ जाइए)

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories