महिलाएँ श्मशान क्यों नहीं जातीं? || नीम लड्डू

Acharya Prashant

1 min
242 reads
महिलाएँ श्मशान क्यों नहीं जातीं? || नीम लड्डू

हिंदुस्तान में अभी भी दो जगह हैं जहाँ पर लडकियाँ बहुत कम पायी जाती हैं – लड़कियाँ, स्त्रियाँ सब – एक, श्मशान घाट, दूसरा, सत्संग। दोनों ही जगहों पर सच दिख जाता है न, और दोनों ही जगहों पर देह की नश्वरता दिख जाती है न। समाज नहीं चाहता है कि किसी को भी सच पता चले और विशेषकर स्त्रियों को तो बिलकुल नहीं पता चलना चाहिए। तो स्त्री को बाज़ार जाना बिलकुल मान्य है। “हाँ, बाज़ार जाओ, गहने खरीदो, चूड़ियाँ खरीदो, शादियों में जाओ, मौत पर मत चली जाना।“

समझ में आ रहा है न कि समाज ने, पुरुषों ने स्त्रियों के साथ क्या करा है? कि रोशनी से, सच्चाई से उनको वंचित रखा और जितना तुम उन्हें रोशनी से और सच्चाई से वंचित रखोगे उतना ही वो सबके लिए, अपने लिए भी और तुम्हारे लिए भी, समस्या का कारण बनेंगी क्योंकि जिसको तुम अंधेरे में रखोगे वो रोशनी को बहुत पसंद तो नहीं करेगा।

GET UPDATES
Receive handpicked articles, quotes and videos of Acharya Prashant regularly.
OR
Subscribe
View All Articles