किसी को ये हक़ मत दे देना || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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किसी को ये हक़ मत दे देना || नीम लड्डू

कोई नहीं किसी पर चिल्ला सकता, कोई नहीं किसी पर हक़ जमा सकता, कोई नहीं किसी पर हाथ उठा सकता, आप ने कभी-न-कभी अधिकार उसको दिया है, और अधिकार तो हमेशा खरीदा ही जाता है। उसने अधिकार खरीदा है आपसे कुछ आपको दे करके। कुछ अधिकार ऐसे होते हैं जो सब औंगों-पौंगो को नहीं बेचना चाहिए।

आपको डाँट सके यह हक़ बस किसी बहुत हक़दार आदमी को ही देना चाहिए। आपको दो बातें सुना सके, आपको अनुशासित कर सके, आपको सीख दे सके। इसका अधिकारी जो हो उसको ही हक़ दें, योग्यता देख करके। यह सूत्र याद रहेगा?

कोई छा नहीं सकता आपके ऊपर जब तक आपने उसे इजाज़त ना दी हो। और जल्दी से यह मत कह दीजिएगा कि, “नहीं हमने तो इजाज़त दी नहीं और वह फिर भी छा रहा है।“ आपने छुपी-छुपी दे दी होगी।

हर किसी की बात नहीं सुन लेते, कोई भी लल्लू-पंजू आया डाँट कर चला गया, ऐसे कैसे, हो कौन तुम?

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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