जन्म देखो तो अपना देखो, मृत्यु देखो तो अपनी देखो || आचार्य प्रशांत (2015)

Acharya Prashant

3 min
70 reads
जन्म देखो तो अपना देखो, मृत्यु देखो तो अपनी देखो || आचार्य प्रशांत (2015)

आचार्य प्रशांत: ठीक है, तुम्हें ये दिख रहा है कि आज एक बच्चा पैदा होता है तो उसके घर पर उत्सव हो रहा है — ये बात तुम्हें दिख रही है — पर जब ये देखो तो ईमानदारी से स्वीकार करो कि तुम भी ऐसे ही पैदा हुए थे। आज जो बच्चा पैदा हो रहा है उसी भर के माँ-बाप नहीं अनाड़ी हैं; माँ-बाप होते ही अनाड़ी हैं। नहीं तो बच्चा कहाँ से आ जाएगा?

ठीक है, तुम्हें अच्छा लगता है कबीर को भजना — "झूठे के घर झूठा आया।" पर आज ही नहीं आया। और पड़ोसी के ही घर नहीं आया, तुम्हारे भी घर आया; तुम ही वो झूठे हो।

किसी को मरते देखो तो आँसू भर बहाकर काम मत चला लेना कि बड़ा बुरा हुआ, किसी के घर में मौत हो गई। किसी को मरते देखो तो इतना ही कहकर रोष मत प्रगट कर लेना कि इंसान जब तक जीता है तो कितनी सुविधाओं में जीता है, बदन पर खरोंच भी नहीं लगने देता और अंततः उसको एक साधारण से, कई बार गंदे घाट पर जाकर जला दिया जाता है। उसकी राख कुछ मिट्टी में मिलती है, कुछ पानी में जाती है, कुछ उड़ती है। और कई बार जानवरों के पाँव के नीचे आती है।

वो कोई और नहीं है जो मरा है; तुम अपनी ही मृत्यु देखकर के आए हो। इतनी ईमानदारी रखना! सबकी (मृत्यु) एक सी होती है, तुम कोई बिरले नहीं पैदा हुए हो। पर धोखा हम सबको यही है, 'हम विशिष्ट हैं। जो दुनिया के साथ हो रहा है वो हमारे साथ थोड़े ही होगा।'

कहीं-न-कहीं हम सबको ये भी उम्मीद है कि हम मरेंगें ही नहीं; अपनेआप से पूछकर देख लो।

मूर्खता की हद है, एक ओर तो दिन-रात मृत्यु का भय है और दूसरी ओर उस भय के मध्य जीने के लिए एक हल्की सी आशा की किरण है कि मेरी तो अभी नहीं आ रही।

और ये (जीवन) अभी खिंचता जाए, खिंचता जाए, अनन्तकाल तक खिंचता जाए।

जन्म देखो तो अपना देखो, मृत्यु देखो तो अपनी देखो। दुनिया को प्रेम में झूमता देखो तो अपने चित्त का ध्यान करो। और दुनिया में कलह और क्लेश देखो, तो भी अपना ही ध्यान करो।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories