लड़का-लड़की पंद्रह साल के हुए नहीं कि माँ-बाप बन सकते हैं, फिर? बहुत अक्ल आ जाएगी उनमें? और फिर जो बच्चा पैदा हो उसको सिखाएँ कि, “यह देवी-देवता हैं, हमने पैदा किया है।“ वह देवी-देवता ने नहीं पैदा किया है, वह पैदा इसलिए हो गया था क्योंकि देवी जी बहकी हुई थीं और देवता जी ठरके हुए थे। तुम्हें क्या लगता है, दुनिया की पिचयानवें प्रतिशत आबादी परमात्मा से की गई प्रार्थनाओं का नतीजा है?
हवस के एक क्षण की पैदाइश हैं सब। बीस में से उन्नीस लोग। बिरले होते हैं वह माँ-बाप जो वास्तव में माँ-बाप कहलाने के योग्य हों। असली माँ-बाप वह हैं जो लड़के को सिर्फ़ देह ना दें, उसे यह भी समझा दें कि वह देह नहीं है। आपने बच्चा पैदा किया, आपने देह पैदा कर दी। और आप दिन-रात उसमें देह-भाव ही भरे जा रहे हो। असली माँ-बाप वह हैं जो बच्चे को देह दें और फिर उसे देह-भाव से मुक्ति भी दें। ऐसे माँ-बाप करोड़ों में एक होते हैं। उस रिश्ते को प्रेमपूर्ण कहते हैं। वह असली माँ-बाप हैं, और फिर उनका बच्चा असली बच्चा है। बाकी सब मामला नकली है।