अपनी कमज़ोरियों को कैसे जानें? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

Acharya Prashant

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अपनी कमज़ोरियों को कैसे जानें? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

वक्ता: विवेक का सवाल है कि हम अपनी कमजोरियों को कैसे जान सकते हैं| कैसे पता कि कुछ कमज़ोरी है? कैसे पता कि कुछ कमी है ही तुममें?

तुम एक ऐसे देश में पैदा हुए जिसके मन से अभी भी अंग्रेजों कि ग़ुलामी गयी नहीं है| तो यहाँ पर अभी भी तुम कितनी फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलते हो, इस पर बड़ा ज़ोर दिया जाता है| तुम्हारी अंग्रेज़ी बहुत फर्राटेदार नहीं है तो तुमसे कह दिया गया कि ये तुम्हारी…

कई श्रोता (एक स्वर में) : कमज़ोरी है|

वक्ता: हाँ| ये तुम्हारी कमज़ोरी है, या तुम्हारे समाज की मानसिकता है?

कई श्रोता (एक स्वर में): मानसिकता|

वक्ता: तुम एक ऐसे देश में पैदा हुए हो जहाँ पर गोरी चमड़ी पर बड़ा ज़ोर है| और तुम पैदा हुए हो सांवले| तुमसे कह दिया गया कि ये तुम्हारी…

कई श्रोता (एक स्वर में): कमज़ोरी है|

वक्ता: ख़ासतौर पर अगर तुम एक लड़की हो, तब तो ये बहुत बड़ी कमी है|

ये तुम्हारी कमज़ोरी नहीं, तुम्हारे समाज की मानसिकता है| इसका तुमसे क्या लेना-देना है? ये समाज ऐसा है कि उसे एक ठप्पा लगाना है कमज़ोरी का|

तुम एक ऐसे घर में पैदा हुए हो जो ‘प्रोफेशनल बद्तमीजों’ का घर है| होते हैं ऐसे, प्रोफेशनली बद्तमीज़, फूहड़| उसके अलावा उन्होंने कुछ जाना नहीं| बच्चा पैदा होने वाला है और माँ बाद में बोल रहा है, ‘माँ की’ पहले बोल रहा है|

(सब हँसते हैं)

वक्ता: और उसके चचा, ताऊ सब खुश हो गये| ‘यही धुरंधर, यही पैदा हुआ सै| यू रोशन करेगा हमारा नाम’| दस गांवों में उन्होंने मिठाईयाँ बटवायीं क्योंकि पैदा होते ही उसने ….

(सब और ज़ोर से हँसते हैं)

वक्ता: वो मान रहे हैं कि ये क्या है उसकी?

कई श्रोता (एक स्वर में): ताकत है|

वक्ता: और वो इस बात पर उसको बड़ा ही प्रोत्साहित करेंगे कि तू ऐसे ही रहना| चार साल का होगा नहीं कि उसे कट्टा दिला देंगे और ये उसकी ताकत मानी जायेगी| दबंगई| ये उसकी ताकत है या उसके परिवार वालों की मानसिकता?

सभी श्रोता (एक स्वर में): परिवार वालों की मानसिकता|

वक्ता: तुमने क्यों मान लिया अगर किसी ने तुमसे कह दिया कि ये तुम्हारी ताकत है या कमज़ोरी है? क्यों मान लिया? किसने कह दिया कि मान लो?

(सभी खामोश हैं)

वक्ता: तुम जो हो सो हो| उस पर एक ठप्पा लगाने की ज़रूरत क्या है? ताकतवर या कमज़ोर, ये या वो? अपनी नज़र से अपने आप को देखो| आज पहला ही सवाल था ना कि अहंकार अच्छी है या बुरी है? तो हमने क्या कहा था? कि अहंकार क्या बना देता है तुमको?

सभी श्रोता (एक स्वर में): दूसरे पर निर्भर|

वक्ता: ये ताकत और कमज़ोरी, अहंकार कि निशानी हैं| तुम दूसरों पर निर्भर हो गये हो| कोई आकर तुमसे बोल देता है कि ये तुम्हारी ताकत है या कमज़ोरी है, और तुम बिल्कुल मान ही लेते हो| बिल्कुल मान ही लेते हो| लगातार तुम्हारे मन में ये इच्छा रहती है किसी और से प्रमाणपत्र लेने की| कोई प्रमाण दे दे कि हम ठीक हैं| रहती है ना?

सभी श्रोता (एक स्वर में): जी, सर|

वक्ता: सिर्फ एक ही चीज़ ठीक है, और वो है तुम्हारी अपनी चेतना| अपनी आँख| अपनी आँख से देखो तो ही ठीक है सब| बाकि कुछ नहीं ठीक है| आ रही है बात समझ में?

कमज़ोरी यह नहीं है जो तुम्हें बोल दिया गया| कमज़ोरी बस एक ही होती है| तुम जहाँ पर हो, वहाँ पर बस एक कमज़ोरी हो सकती है, कि तुम्हें अपने पाँवों पर चलना नहीं आता, अपनी आँखों से देखना नहीं आता और अपने दिमाग से सोचना नहीं आता| और इसके अलावा कोई कमज़ोरी नहीं हो सकती| कोई और कमज़ोरी है ही नहीं|

इसी को हटा सकते हो तो हटाओ, और कुछ मत हटाओ|

ठीक है?

सभी श्रोता (एक स्वर में): जी, सर|

-‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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