तुम ग़लत राहें ठुकरा कर तो देखो || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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तुम ग़लत राहें ठुकरा कर तो देखो || नीम लड्डू

तुम ग़लत राहों को ठुकरा कर तो देखो, सही राह खुलती है कि नहीं खुलती। और यह घटिया और झूठा तर्क बिलकुल मत दे दो कि, “मुझे सही राह मिली नहीं मैं इसलिए ग़लत राह चल पड़ा।“ बात यह नहीं है, सही राह हमेशा खुली होती है और उपलब्ध होती है। वो तुम्हें इसलिए नहीं मिल रही क्योंकि तुम्हें मन में झूठी राह चलने का आकर्षण बहुत है। झूठी राह तुम छोड़ ही नहीं पा रहे और झूठी राह पर चलने को वैध ठहराने के लिए, जस्टिफाई करने के लिए तुम कह देते हो, “मैं करूँ क्या, मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं था, मुझे कोई मिला ही नहीं सच्ची राह दिखाने वाला। तो इसीलिए मुझे जो भी मिली राह उसी पर चल गया झूठी-झाठी।“

यह झूठा, बेईमान तर्क है, मत दो। तुम्हें रुकना होगा पहले और रुक करके देखो कि सही राह खुलती है या नहीं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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