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डौगी डार्लिंग || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू

Acharya Prashant

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डौगी डार्लिंग || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू

आचार्य प्रशांत: अभी-अभी, सुबह, हम जा रहे थे तो एक मकान के सामने रुके, वहाँ एक आदमी था, उसे अपने कुत्ते से बहुत प्यार था, तो हम जिसको प्यार करते हैं उसके साथ क्या करते हैं?

श्रोता: बाँध देते हैं।

आचार्य: उसके गले में पट्टा बांध देते हैं। आपको जिससे जितना प्यार होगा आपने उसको उतना बड़ा कुत्ता बनाया होगा। और कुत्ते से मेरा अर्थ वो कुत्ता नहीं, कुत्ते से अर्थ है जो हम उसे बना देते हैं—इसके गले में पट्टा डालो, चेन डालो, बाँध दो। मैंने उससे पहला सवाल यही पूछा, मैंने कहा, “ऐसे ही बंधा रहता है?” बोला, “हाँ।”

पत्नियों से पूछो, “पति क्या ऐसे ही बांधकर रखती हो?” “हाँ।” माँओं से पूछो, “बेटी?” “हाँ।”

तो आदमी के प्रेम का मतलब क्या है? भगवान बचाए आपके प्रेम से! आपके पास कोई आए और बोले, “तुमसे नफ़रत है”, तो कहिएगा, “ठीक है, झेल लेंगे, खुदा हमारे साथ है।” पर आपके पास कोई आए और कहे, “प्यार हो गया है तुमसे,” सिर पर पाँव रखकर भागिएगा और मुड़कर मत देखिएगा। मुड़कर मत देखिएगा! उसके पास पट्टा और ज़ंजीर है। तो मत कहिए कि आदमी को जब जानवरों से प्यार हो जाए—हमारा तो प्यार बड़ा ही बदबूदार प्यार है।

तोप की मार में, तीर में न तलवार में, सारे वार सह लिए, मारे गए प्यार में।

ये सब जो सूरमा फिरते रहते हैं मुँह लटकाए, उनसे पूछो कि पूरी दुनिया से तो लड़े रहते हो, मारे कहाँ गए हो? वो बता देंगे।

तोप की मार में, बड़े-बड़े हथियार में, ऐसे भागे थे हम, मारे गए प्यार में।

देखो, दुनिया में एक ही बीमारी है जो अभी भी लाइलाज है, उसका कोई इलाज नहीं है, और वो—प्यार से फैलती है। उसी को तो प्यार बोलते हो तुम, और क्या बोलते हो?

जैसे अभी बहुत बड़ी गाड़ी हो और उसका भोपु, हॉर्न तो उसको तुम बोलो प्यार है इसका। जब हॉर्नी हो गई तो प्यार है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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