डिप्रेशन (अवसाद) क्यों होता है? || आचार्य प्रशांत (2019)

Acharya Prashant

2 min
32 reads
डिप्रेशन (अवसाद) क्यों होता है? || आचार्य प्रशांत (2019)

आचार्य प्रशांत डिप्रेशन तब तक नहीं हो सकता जब तक अपनेआप को बहुत मजबूर अनुभव न करो। और मजबूर हम नहीं होते, मजबूर हमें हमारी अन्धी कामनाएँ बनाती हैं। अन्यथा कोई मजबूर नहीं है। कामनाओं में भी कोई दिक्क़त नहीं है, अगर वो अन्धी न हों। जो कामना आपको अन्धेरे से रोशनी की ओर ले जाती हो, शुभ है वो कामना।

कुछ ऐसा माँग रहे हो किसी जगह पर जो मिल सकता ही नहीं, फिर जब पाओ कि वो मिल नहीं रहा है तो डिप्रेस्ड (अवसादग्रस्त) हो जाओ, ये कहाँ की समझदारी है? बताओ।

डिप्रेशन कोई चोट तो होती नहीं कि बाहर से किसी ने आकर हाथ पर मार दिया, तुम कहो ये डिप्रेशन है। डिप्रेशन तो एक मानसिक घटना होती है न, उस घटना के केन्द्र पर बैठा होता है अज्ञान और अज्ञान जनित कामना। तुम कुछ ऐसा चाह रहे होते हो जो हो सकता ही नहीं है। तुम आधी रात में सूरज की माँग कर रहे होते हो, तुम शराब पीकर होश चाह रहे होते हो, वो हो नहीं सकता, फिर जब वो होता नहीं है तो बुरा लगता है, बार-बार बुरा लगता है तो उस स्थिति को तुम नाम दे देते हो अवसाद का।

कुछ अगर सही है तो उस पर डटे रहो, कुछ अगर झूठा और भ्रामक है तो छोड़कर आगे बढ़ो। ये अवसाद बीच में कहाँ से आ गया? तुम्हारी कामना, तुम्हारा लक्ष्य, जो भी जीवन में तुम चाह रहे हो, अगर वो असली है और सुन्दर है, और तुम्हें सच्चाई और मुक्ति की ओर ले जाता है तो बढ़ा चल नौजवान। और जिन चीज़ों से अटके हुए हो, अगर वो मूर्खतापूर्ण हैं तो तुम्हारे हित में यही है कि स्वीकार लो वो मूर्खतापूर्ण हैं, कम-से-कम कामना करना तो छोड़ो। या तो इतना दम दिखाओ कि बेवकूफ़ी की चीज़ों से अटका हुआ हूँ तो आगे बढ़ जाऊँगा। आगे नहीं बढ़ सकते मान लो अटक ही गये हो तो अटके रहो, पर ये उम्मीद तो छोड़ दो कि यहाँ तुम्हें कुछ बहुत ऊँचा मिल जाना है।

जहाँ पर कामना नहीं है, वहाँ विषाद नहीं हो सकता है।

डिजायर (इच्छा) के बिना फ्रस्ट्रेशन (निराशा) कैसा?

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
Comments
LIVE Sessions
Experience Transformation Everyday from the Convenience of your Home
Live Bhagavad Gita Sessions with Acharya Prashant
Categories