अब आगे क्या करना है?

Acharya Prashant

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अब आगे क्या करना है?

जब भी कभी मन में यह प्रश्न आए, “क्या करूँ?” – कोई भी मुद्दा, कोई भी किस्सा हो सकता है, उस किस्से के अंत में अगर प्रश्न है कि, “क्या करूँ?” तो क्या करना है? यह सब अच्छे से समझ लीजिए, जो कर रहे हैं उस पर ग़ौर करना है; कुछ नया नहीं करना है।

तो जब भी कहो कि, “कोई समस्या है”, और प्रश्न आए, “अब क्या करें?” तो क्या करना है? कुछ नया नहीं करना है, क्योंकि अभी हम नया कर ही नहीं सकते! वह लगेगा नया; होगा नहीं। हमें क्या करना है? हमें रुक जाना है, हमें पूछना है कि, “अभी मैं क्या कर रहा हूँ? अभी मैं ठोकरें खा रहा हूँ! फ़िलहाल मैं अभी क्या कर रहा हूँ? ठोकरें खा रहा हूँ।“ उस पर ग़ौर करना है, “यह ठोकरें खा क्यों रहा हूँ?” अब कोई नया कर्म हो पाएगा, ठोकरें खाना बंद हो जाएगा।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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