तुम ही सुख-दुःख हो || आचार्य प्रशांत, संत दादू दयाल पर (2014)
*जिसकी सुरती जहाँ रहे, तिसका तहाँ विश्रामभावै माया मोह में, भावै आतम राम – संत दादू दयाल*
वक्ता : क्या कहते हैं कबीर भी?
“जल में बसे कुमुदनी, चंदा बसे आकाश जैसी जाकी भावना, सो ताही के पास”
यह बिल्कुल वही है जो अभी दादू न कहा । तुम… read_more