दुनिया के सामने इंसान की तरह खड़े होना सीखो भाई! केचुए की तरह थोड़े ही है कि किसी भी के भी पाँव के नीचे आ गए। इस चेहरे पर तेज होना चाहिए, ऑंखों में ताक़त झलकनी चाहिए! कुछ बोलो तो उसमें साहस हो और संकल्प हो! आवाज़ काँपे नहीं, थरथराए नहीं। एक ज़िंदगी है, उसको बेबसी में नहीं गुज़ारना है! जहाँ कहीं तुम्हें दिख रहा है कि झूठ है, दबाव है, भीड़ जाओ! ज़रा भी डरो नहीं! याद रहेगा?