Saint Nagridas

जीवन - अवसर स्वयं को पाने का || आचार्य प्रशांत, संत नागरी दास पर (2014)
जीवन - अवसर स्वयं को पाने का || आचार्य प्रशांत, संत नागरी दास पर (2014)
12 min

नीकौ हूँ लागत बुरौ, बिन औसर जो होय |प्रात भए फीकी लगे, ज्यौं दीपक की लोय ||-नागरीदास

वक्ता: ‘नीक’ माने अच्छा| जो अच्छा भी है, वो बुरा लगता है, यदि बिना अवसर के हो| ठीक वैसे जैसे की दीपक की लौ भी सुबह हो जाने पर व्यर्थ ही होती है|

Related Articles
Shivling: Understanding Before the Debate
Shivling: Understanding Before the Debate
28 min
Now comes the deeper symbolism of Shivlinga. It says—look, if you have taken birth, then you are there in the body. But even while living in the body, you have to live as if you are without a body. So, the shape of the Yoni that you see in the Shivalinga is actually the world or the body, and this Lingam that you see in the middle of it is the Consciousness—the Consciousness which is located in the body.
When a Guru Eats Meat || Acharya Prashant, on Raman Maharshi and Nisargadatta Maharaj
When a Guru Eats Meat || Acharya Prashant, on Raman Maharshi and Nisargadatta Maharaj
12 min
Liquor consumption or flesh consumption or other kinds of unwise gratifications of the body, merely increase the obstacles that one faces. So, therefore, those kinds of things must not be practiced — even if it is observed that a realized man is practicing them.
आपको ऐसी क्या चीज मोटिवेटेड रखती है?
आपको ऐसी क्या चीज मोटिवेटेड रखती है?
10 min
पूरा तो ज़िन्दगी को ही होना होता है। ज़िन्दगी को आपको पूरा करना है। कभी बिल्कुल आस टूटने लगे, भरोसा मिटने लगे, लगे कि घुटने टेक ही दे और बाकी सब उपाय काम ना आ रहे हो तो एक उपाय ये और कर लीजिएगा याद कर लीजिएगा कि एक व्यक्ति है जो कम से कम अभी घुटने नहीं टेक रहा है।
कैसे जानें कि प्यार सच्चा है या नहीं?
कैसे जानें कि प्यार सच्चा है या नहीं?
31 min
हमें प्रेम से तो कोई मतलब ही नहीं रहा; हमारा ज़्यादा वास्ता अब प्रेम से संबंधित छवियों से हो गया है। कोई मुस्कुरा दिया, तो हमें लगा कि प्यार ही करता है। और किसी ने ज़रा रुखाई से बात कर दी, तो तुरंत हम कह देंगे कि प्यार नहीं करता। प्रेम का अर्थ किसी व्यक्ति के प्रति किसी विशेष प्रकार का व्यवहार नहीं होता। सर्वप्रथम आपको ये देखना होगा कि आपके मन में दूसरे के हित की कामना है या नहीं। सच्चे प्रेम का एक ही लक्षण है — सत्य से मुलाक़ात करवा रहा है या नहीं।
प्रेम होता है, आशिक़ी होती है-पूर्ण ज्ञान जैसी कोई चीज़ नहीं होती
प्रेम होता है, आशिक़ी होती है-पूर्ण ज्ञान जैसी कोई चीज़ नहीं होती
9 min
ज्ञान को टटोलोगे तो मरते दम तक भी यही पाओगे कि ज्ञान अपूर्ण है क्योंकि ज्ञान तो पूर्ण हो ही नहीं सकता।
कबीर साहब: संत भी, सूरमा भी
कबीर साहब: संत भी, सूरमा भी
36 min
सिद्धांत के तल पर ज्ञान देना बहुत आसान है, पर कबीर साहब जब तक उस ज्ञान को ज़िन्दगी बनता नहीं देख लेते, छोड़ते नहीं हैं। पाखंड पर जितनी चोट संत कबीर ने की है, उतनी शायद ही किसी ने की हो। वे संत-शिरोमणि इसीलिए कहे जाते हैं, क्योंकि मजाल है कि उनकी ज़ुबान सच बोलने में काँप गई हो। जानवर की ख़ातिर अपनी जान को दाँव पर लगाने का काम कबीर साहब के अलावा किसी ने नहीं किया है। ये वो जगह है जहाँ पर संत और सूरमा में फ़र्क़ करना मुश्किल हो जाता है।
Fight Hard, Forget About Victory
Fight Hard, Forget About Victory
4 min
The prerequisite is love, and love is an openness. Love is a vulnerability. Without that, all you will have is dry and meaningless and violent argumentation that yields nothing.
Inner growth for high achievers || Pan IIT (2021)
Inner growth for high achievers || Pan IIT (2021)
20 min

Questioner (Q): The theme of today’s interaction is inner growth. Usually when we talk of growth, we talk of external growth. For example, for an individual growth usually means job promotions, better income, or more comforts, etc. For a company, growth may mean growing in profits. For an institution, it

बकरीद: कुछ आँकड़े, और एक आग्रह || आचार्य प्रशांत (2023)
बकरीद: कुछ आँकड़े, और एक आग्रह || आचार्य प्रशांत (2023)
79 min

प्रश्नकर्ता१: नमस्ते सर। सर, बकरीद आने वाली है तो कल ही मेरे दोस्तों से मेरी बात हो रही थी व्हाट्सएप पर। तो उन्हें मैंने बोला कि भई इस बकरीद पर आप बकरा मत काटना — वो हर बकरीद पर काटते हैं।

तो उन्होंने मुझे सीधा ये बोला कि भाई, हम

Is Religion Merely Superstition?
Is Religion Merely Superstition?
11 min
Religion concerns itself with ‘Ego and its liberation!’ That’s all. In the name of religion, if you are talking about planets and stars, about fruits and vegetables, wear this, don’t wear that, eat this, don’t eat that, the house should face this direction, and a thousand other things that you associate with it, then all that is some kind of tribal superstition. Religion has nothing to do with these things.
आप अपना ध्यान क्यों नहीं रखते हैं?
आप अपना ध्यान क्यों नहीं रखते हैं?
11 min
जितना हो सकता है, उतना रखता ही हूँ। और उसके आगे मेरे हाथ में नहीं है, उसके आगे आपके हाथ में है। जैसी स्थितियाँ हैं, उनमें जितना ख़ुद को देखा जा सकता है, देख लेता हूँ। बाकी, मेरे नियंत्रण की बात होती, तो मैं आपको आश्वासन दे भी देता। वो चीज़ मेरे हाथ में है ही नहीं ना।
हिम्मत की राह चलने वालों को दीनता शोभा नहीं देती
हिम्मत की राह चलने वालों को दीनता शोभा नहीं देती
23 min
अगर हम जानते हैं कि हम अब जिस जगह पर आ गए हैं, वो काम ऐसा है कि वो ज़ुनून मुझे सोने नहीं देता, और मैं अपने आप को उसमें पूरी तरह झोंक सकता हूँ — तो बस, यही प्रमाण है। जिस मुक़ाम को पीछे छोड़ आए हैं, उसकी अभी चर्चा हम क्यों करें? छोड़ा आए तो छोड़ आए। हम जहाँ पर हैं, वो हमारी जिज्ञासा की विषयवस्तु होनी चाहिए न। या फिर जिज्ञासा इस बारे में होनी चाहिए कि, जिस जगह को छोड़ आए हैं — उसको लेकर के भी अभी इतनी जिज्ञासा क्यों है?
देसी युवा, इज़राइल और हमास - जलवे धर्म के
देसी युवा, इज़राइल और हमास - जलवे धर्म के
18 min
धर्म का अर्थ होता है गहरी, अथक, निर्मम जिज्ञासा। सत्य से पहले कहीं भी ना रुकने का नाम धर्म है। भारत को ही नहीं पूरे विश्व को आज सच्चे धर्म की अध्यात्म की बहुत-बहुत जरूरत है। हम जहाँ खड़े हुए हैं वहाँ पर धर्म के अलावा अब पूरे विश्व को कोई नहीं बचा सकता।
कृष्णमूर्ति, फ्रायड, न्यूटन: इनमें कुछ समानता है क्या?
कृष्णमूर्ति, फ्रायड, न्यूटन: इनमें कुछ समानता है क्या?
7 min
वैज्ञानिक का काम है — मलहम तैयार करना, तरह-तरह के रसायनों का इस्तेमाल करके। लेकिन विज्ञान अपने आप में ये नहीं कहेगा कि इस मलहम को अब ले जाओ और लोगों को लगाओ। विज्ञान कहेगा: “ये मलहम तैयार है।” अब इसके बाद कोई चाहिए — जिसको मुक्ति की या करुणा की क़द्र हो और वो उसको ले जाकर के लोगों को मलहम लगा दे।
स्पिरिचुअलिटी अपने आप में अलग कोई फील्ड थोड़ी होता है
स्पिरिचुअलिटी अपने आप में अलग कोई फील्ड थोड़ी होता है
8 min
अध्यात्म रोशनी है। उसको कभी नहीं देखा जाता। वो अपने आप में कोई फील्ड नहीं होती। होता है। पर उसकी मौजूदगी में जो कुछ देख रहे होते हैं वो साफ दिखाई देता है। कोई यहां बैठ के यह नहीं कहेगा कि वह रोशनी को देखने आया है। पर रोशनी ना हो तो कुछ नहीं दिखाई देगा। अध्यात्म वो चीज है। आइदर ऑर थोड़ी होगा कि नहीं रोशनी को नहीं वक्ता को देखना है या वक्ता को देखना है तो रोशनी को नहीं देखना है। ऐसे ही समझ लो कि अध्यात्म बुनियाद की तरह होता है। फाउंडेशन की तरह नीव।
'कूल' कैसे दिखें?
'कूल' कैसे दिखें?
19 min
फटी हुई जींस पहनने, और बाल रंगवाने से कोई कूल नहीं हो जाता। कूलनेस बहुत अच्छी चीज़ है, परंतु कूल हो नहीं, और ख़ुद को कूल कहो — यह समस्या है। कूल होना आध्यात्मिक बात है। कूल होने का असली मतलब है कि तुम श्रीकृष्ण का ज्ञान जानो। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा — तू विगत-ज्वर हो जा। जिसे ज्वर न चढ़े, जो आवेश और आवेग से मुक्त हो, वही वास्तव में कूल है।
दूसरों से प्यार क्यों नहीं मिलता?
दूसरों से प्यार क्यों नहीं मिलता?
28 min
दूसरों से प्रेम पाने की इच्छा सबसे ज़्यादा उन्हीं में देखी जाती है, जो स्वयं को प्रेम नहीं कर सकते। अगर जीवन में सच्चाई और ऊँचाई नहीं है, तो आप अपने आप को प्रेम नहीं कर पाएँगे। दूसरे आपके दिल के कटोरे में कितना भी प्यार डाल दें, वो कटोरा खाली ही रह जाना है। आप ज़िन्दगी भर यही कहते रह जाओगे कि प्यार नहीं मिला। प्रेम मत माँगो, पात्रता पैदा करो। पात्रता पैदा कर लोगे, तो अपने ही इश्क़ में पड़ जाओगे। ऐसों को फिर बाहर भी बहुत आशिक़ मिल जाते हैं, लेकिन उन्हें उनकी ज़रूरत नहीं रह जाती।
वो नकली चेहरे दिखा रहे? हमें बहका रहे या खुद को गिरा रहे?
वो नकली चेहरे दिखा रहे? हमें बहका रहे या खुद को गिरा रहे?
38 min
जल्दी बड़े फैसले मत लो। जल्दी-जल्दी चीज़ों के पीछे मत भागो, जल्दी से कहीं भी जाकर के ग्राहक बनके या गुलाम बनकर मत खड़े हो जाओ। रुको, थमो। इसमें मत रहो कि अरे दूसरा उसको तो फलानी जगह इंटर्नशिप मिल गई, मैं ही पीछे रह गया। तुम 2 साल बात कर लेना यार, कोई देर नहीं हो गई। फिर होगा जॉब लग गई, फिर होगा उसका दूसरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन हो गया, मैं ही रह गया। उसके बाद आएगा कि शादी हो गई, उसके बाद हो गया बच्चे हो गए। ये जितनी चीज़ें हैं इनमें सबसे आगे वो रहेगा जो सबसे पीछे रहेगा। ये जितनी चीज़ें हैं इनमें सबसे सफल वो रहेगा, जो सबसे विलंब से रहेगा।
‘धर्मो रक्षति रक्षितः' यदि सच है, तो इतने महापुरुष मारे क्यों गए?
‘धर्मो रक्षति रक्षितः' यदि सच है, तो इतने महापुरुष मारे क्यों गए?
32 min
धर्म आपके शरीर की रक्षा थोड़ी करेगा। रक्षा शब्द की जब बात आती है तो ये समझना पड़ेगा कि आपको बड़ा ख़तरा क्या होता है। ख़तरे के संदर्भ में ही रक्षा शब्द का कुछ अर्थ है ना। ख़तरा हो तभी रक्षा की बात होती है। ख़तरा ही नहीं तो रक्षा शब्द अर्थहीन है। हाँ तो सबसे पहले तो ये जानना पड़ेगा कि हमें ख़तरा क्या है? एक मनुष्य को सबसे बड़ा ख़तरा क्या है? क्या मृत्यु? क्या किसी इंसान को सबसे बड़ा ख़तरा ये होता है कि उसका शरीर गिर जाएगा, मृत्यु हो जाएगी — ये होता है? किसी इंसान को सबसे बड़ा ख़तरा ये होता है कि मृत्यु आने से पहले वो मुक्त नहीं हो पाएगा। ये होता है ख़तरा।
ChatGPT, GitaGPT and GuruGPT || Acharya Prashant, at IIT-Guwahati (2023)
ChatGPT, GitaGPT and GuruGPT || Acharya Prashant, at IIT-Guwahati (2023)
8 min

Question: Sir, an Indian origin developer from Google recently released a version of ChatGPT called GeetaGPT, where the AI (Artificial Intelligence) basically acts like a God. And you could ask questions based on spirituality or philosophy, and it would answer as if it’s coming from Shri Kṛṣṇa himself. So, my

प्रेम किसे कहते हैं?
प्रेम किसे कहते हैं?
12 min
प्रेम किसी घटना का, किसी अफ़साने का, किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। "प्यार तो सिर्फ़ एक एहसास होता है न, एक भीतर की भावना; तो हमें भी हो गया है" — नहीं, ऐसा नहीं है। प्रेम तुम्हारी चेतना की मूल तड़प का नाम है। जिस रास्ते पर चलकर तुम ज़िन्दगी की ऊँचाइयाँ हासिल कर सको, तुम्हारी चेतना साफ़-से-साफ़ और ऊँची-से-ऊँची जगह पर पहुँच सके, 'प्रेम कहावे सोय,' — उसको प्रेम कहते हैं।
Small Leaders, Big Egos, Bigger Wars, Biggest Wipeout
Small Leaders, Big Egos, Bigger Wars, Biggest Wipeout
24 min
And those who have reason and logic on their side —they very respectfully retreat when faced with an unreasonable kind of animal. Why this respect? “No, we don’t want to hurt somebody’s feelings.” It's not about feelings. It's about facts. Facts must always prevail over feelings.
Strive for Freedom, for Purity, for Sacredness.
Strive for Freedom, for Purity, for Sacredness.
19 min
It's human nature to strive for freedom, for purity, for sacredness. So you would not be alone in this. Unknown to you, in some other place, somebody else is doing the same thing. And if your circles keep expanding, one day the two circles will come into contact. And then something great will result.
हिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन? || (2021)
हिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन? || (2021)
38 min

का जाति:। जातिरिति च। न चर्मणो न रक्तस्य न मांसस्य न चास्थिनः। न जातिरात्मनो जातिर्व्यवहारप्रकल्पिता॥१०॥

शरीर (त्वचा, रक्त, हड्डी आदि) की कोई जाति नहीं होती। आत्मा की भी कोई जाति नहीं होती। जाति तो व्यवहार में प्रयुक्त कल्पना मात्र है।

~ निरालंब उपनिषद (श्लोक क्रमांक १०)

आचार्य प्रशांत: आज जो

क्या गेमिंग इंडस्ट्री रोज़गार पैदा करेगी?
क्या गेमिंग इंडस्ट्री रोज़गार पैदा करेगी?
12 min
Gaming Industry का अपना एक बहुत बड़ा आकार है, और भारत में अधिकांश लोग employable उम्र के हैं। कुछ युवाओं को निश्चित रूप से रोज़गार मिल जाएगा, पर भारतीय युवा Gaming Industry के दम पर रोज़गार पा जाएगा—यह बहुत बड़ी अतिशयोक्ति है। Agriculture और Allied Industries: Manufacturing, Transportation—यहाँ पर रोज़गार निकलते हैं, Services में नहीं।
Vidya and Avidya
Vidya and Avidya
14 min
There is one kind of education that just deals with sustaining the body, including earning money, shelter, etc. It is important to have both Avidya (knowledge of the world) and Vidya (knowledge about the self). The second kind of education, which is completely missing, is the awakening of the intelligence and the finding of oneself. If you do not give attention to this education, you will find yourself rejected by life itself — you will find that you are just living a degraded life.
बच्चों का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं?
बच्चों का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं?
8 min
प्यार, स्पष्टता, आज़ादी, जिज्ञासा—ये सब एक साथ चलते हैं। कोई भी चैप्टर शुरू होने से पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह क्यों पढ़ाया जा रहा है। आप इतिहास क्यों पढ़ा रहे हो, शेक्सपियर क्यों पढ़ा रहे हो—बच्चों को यह बता दो, तो फिर वे ज़्यादा मज़े में पढ़ेंगे। अगर उसे यह बात नहीं पता चल रही है, तो चीज़ें उसके लिए उबाऊ हो जाती हैं। जिसे उद्देश्य पता होगा, वह आगे बढ़कर डूबकर पढ़ेगा, नए-नए तरीकों से सीखेगा।
इस्लाम और आतंकवाद: समस्या और समाधान
इस्लाम और आतंकवाद: समस्या और समाधान
37 min
पुरानी कबीलाई रवायतें और इस्लामिक दर्शन — ये दोनों बातें आपस में गुथ गई हैं। बहुत सारी चीज़ें, जिनको आम मुसलमान मज़हब समझता है, वो वास्तव में बस अरब की प्रथाएँ हैं। धर्म के नाम पर जो चल रहा है, वो हज़ारों-लाखों लोगों की मौत बन रहा है। इसके प्रतिरोध में पूरी दुनिया कट्टर होती जा रही है। संसद, न्यायालय, कार्यालय, शैक्षिक संस्थाएँ — हर जगह से मुसलमान नदारद है। इस पिछड़ेपन का कारण अशिक्षा और ग़रीबी है। इसे दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश चाहिए — विज्ञान, इतिहास, तर्क में शिक्षा चाहिए।
Are You Ready For True Love?
Are You Ready For True Love?
11 min
The wise ones say, “Love arrives only when the right, clean, and honoured space has been prepared for it.” So, you can never find love — you can only rid yourself of all that blocks it; all that is needlessly and coincidentally present in your mental space. And you can’t predict how love will arrive, but you can do your homework to clear the inner clutter.
नशे के बाद के खास अनुभव
नशे के बाद के खास अनुभव
8 min

प्रश्नकर्ता: टेर्रेंस मकेना करके एक अमेरिकन काफ़ी कल्ट (पन्थ) फिगर थे जो मेरे ख्याल में उन्नीस सौ अस्सी में गुज़र गए, उससे पहले बहुत कल्ट फोल्लोविंग (अनुगामी) थी, आई थिंक ही हैज़ बीन द इंटेलेकचुअल पोस्टरबॉय ऑफ द रेव कल्चर (मुझे लगता है वो एक बौद्धिक पोस्टर बॉय रहे हैं

माँ का वास्तविक अर्थ क्या है?
माँ का वास्तविक अर्थ क्या है?
14 min
‘माँ’ शब्द के दो अर्थ हो सकते हैं। एक अर्थ निकलता है नासमझी से और दूसरा अर्थ निकलता है समझ से। पहली माँ के पास मात्र ममता होती है, दूसरी माँ के पास मातृभाव होता है। ममता तो पशुओं में भी होती है, पर मातृभाव कोई-कोई माँ ही जानती है। मातृभाव का अर्थ है - वास्तविक रूप से जन्म देना - एक जन्म शरीर का और दूसरा जन्म ज्ञान का। ममता में प्रेम नहीं होता; इसमें मात्र हॉर्मोन्स होते हैं। वास्तविक माँ वो जो प्रेम जाने। उसके लिए माँ को स्वयं बोधयुक्त होना पड़ेगा।
Why Are We in an Age of Extremism?
Why Are We in an Age of Extremism?
9 min
Man is taking extreme measures in the external world due to his extreme inner hollowness. This hollowness comes from a philosophy of endless consumption and from technology that is capable of producing endlessly. But the purpose of our life is the spiritual urge to be liberated. And when we don't find this purpose, we indulge in stupid things like religious extremism and extreme merrymaking.
धर्म — उन्नति का मार्ग या विनाश का हथियार?
धर्म — उन्नति का मार्ग या विनाश का हथियार?
22 min
धर्म की दिशा सबसे पहले भीतरी होती है। दूसरों को काफ़िर कहकर मार देना धर्म की दिशा नहीं है। धर्म जब गलत दिशा ले लेता है, तो ऐसी व्यापक तबाही करता है जिसकी कोई इंतहा नहीं होती। धर्म दोधारी तलवार है — अगर सही से समझा गया, तो ऊँचाइयों पर ले जाएगा; और नहीं समझा गया, तो ऐसा गिराएगा कि उठना असंभव हो जाएगा।
इस्लाम में सुधार
इस्लाम में सुधार
12 min
पर एक साधारण सी बात है कि दूसरों की गंदगी बताने से पहले अपनी गंदगी तो साफ करूँ और मेरी गंदगी साफ होगी। उसके बाद कोई आकर के मुझसे बात करना चाहेगा उसके घर की गंदगी के बारे में। तो मैं प्रस्तुत हूँ। भई आखिरकार तो आप इंसान हो और हर इंसान से आपका सरोकार है। बात पंथ, मज़हब, संप्रदाय की तो नहीं होती है। कोई भी आकर आपसे बात करेगा और वो साफ होना चाहता है। बेहतर होना चाहता है तो आप बिल्कुल खुलकर बात करोगे। उसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सबसे पहले तो आप अपनी बात करोगे ना। अपना भीतर झाँक कर देखोगे।
Love Versus Desire
Love Versus Desire
9 min
Love is always dedicated to the purpose of liberation, whereas desire forgets the highest and remembers only the object. If, in the process of love, desire, or attraction, you find that you have never lost sight of the Truth — rest assured, you are loving. But if the object becomes so dominant that you have totally forgotten the Truth, know that this is not love.
प्रेम हिंसा में क्यों बदल जाता है?
प्रेम हिंसा में क्यों बदल जाता है?
13 min
दूसरों से दो ही तरह के संबंध हो सकते हैं — या तो प्रेम के, या फिर कामना के। कामना के रिश्ते उम्मीदों पर बनते हैं, जिनके पूरे न होने पर क्रोध आता है, और वही क्रोध फिर हिंसा बनता है। तुम्हारे भीतर यह गहराई से बैठा दिया गया है कि जीवन का अर्थ भोग है; और जिस रिश्ते की बुनियाद भोग हो, वहाँ प्रेम नहीं — हिंसा होती है। प्रेम में न कुछ चाहिए होता है, न भोगना होता है। प्रेम तब है जब बिना वजह, निःस्वार्थ, यूँ ही जुड़ जाते हो। अपने में जो पूरा है — सिर्फ वही प्रेम में स्वस्थ संबंध बना सकता है।
'धर्म हिंसा तथैव च' शास्त्रों में लिखा है?
'धर्म हिंसा तथैव च' शास्त्रों में लिखा है?
14 min
महाभारत में एक दर्जन जगह आया होगा 'अहिंसा परमो धर्म:,’ लेकिन उसमें साथ में आगे कहीं भी नहीं लिखा है कि 'धर्म हिंसा तथैव च।' 'धर्म हिंसा तथैव च' — अहिंसा तो परम धर्म है लेकिन हिंसा भी धर्म है; किसी भी ग्रंथ में कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ है। इससे आपके रोंगटे खड़े हो जाने चाहिए कि ये कौन लोग हैं और ये कौन-सी सेंट्रलाइज़्ड जगहें हैं, जहाँ इस तरह की साज़िशें की जा रही हैं। जो उन्होंने जोड़ा है इसी से उनके मंसूबे पढ़िए — वो हिंसा करना चाहते हैं। यहाँ सीधे-सीधे धर्मग्रंथ के साथ पूरी खिलवाड़ ही कर दी गई है।
ख़ुद को बेच देना कितना आसान है, और आज़ाद जीना कितना मुश्किल
ख़ुद को बेच देना कितना आसान है, और आज़ाद जीना कितना मुश्किल
33 min
सही विकल्प चुनने और उसका परिणाम या प्रमाण पाने में एक फेज लैग होता है। उसको संयम या धैर्य बोलते हैं। सही विकल्प चलो, गलत विकल्प चलो। दोनों ही विकल्पों में तत्काल कोई परिणाम नहीं मिलना है।उतने समय तक चुपचाप सही काम बस करना होता है। और दुनिया में ऐसा कोई नहीं होता जिसको बिल्कुल ना पता हो अपनी जिंदगी में कि अगर मेरे पास यह पांच विकल्प हैं किसी भी क्षेत्र में तो इन पांचों में थोड़ा ऊपर कौन सा है? हमेशा आपको जो रिलेटिवली राइट है वो चुनना होता है।
Religion and Violence
Religion and Violence
17 min
Religious violence is not about a handful of terrorists; it's an entire ecosystem of passive toxicity supported by lakhs of people. When toxicity is beamed to you on TV and social media, you don't resist. And one day, it explodes into active violence. This is because we're still animals who live without understanding ourselves — this is called ignorance. Therefore, we need wisdom literature to help us transcend our animal disposition.
धर्म के नाम पर आतंकवाद
धर्म के नाम पर आतंकवाद
9 min
लोकधर्म हमेशा मान्यताओं पर चलता है। एक आतंकवादी अपनी मान्यता के लिए किसी को मार रहा है, क्योंकि जो उसकी मान्यता, उसकी कहानी में विश्वास नहीं करेगा, वो गंदा आदमी है। बहुत सारे बुद्धिजीवी यही कहते हैं कि रिलीजन इज़ वन ऑफ़ द फॉरमोस्ट सोर्सेज ऑफ़ स्ट्राइफ़ एंड कॉन्फ्लिक्ट। धर्म एकता का स्रोत सिर्फ़ तब हो सकता है, जब वो व्यक्ति को सब विभाजनों से दूर कर दे। वेदांत ही शायद एक अकेला है जो ‘ग्रेट यूनिफ़ायर’ है, बाक़ी तो सब तोड़-फोड़ के अड्डे हैं।
सच्चे प्रेम की पहचान
सच्चे प्रेम की पहचान
28 min
सच्चा प्रेमी ज़िंदगी में चुनौती बनकर आता है। वो आपको बेहतर होते देखना चाहेगा—बढ़ते, बदलते। उससे असुविधा होगी, मन में आएगा कि ये ज़िंदगी में आया ही क्यों? ये परेशान करता है, मेहनत करवाता है, चुनौती देता है। पर हम तो उन प्रेमियों को ढूंढ़ते हैं, जो बस सुख दें, झूठी तसल्ली दें, तारीफ़ें करें। तो परखना है कि प्रेम सच्चा है या नहीं—तो देखो, वो तुम्हें दे क्या रहा है? सुख या होश?
To Understand The Quran, Go To It With A Clean Mind
To Understand The Quran, Go To It With A Clean Mind
7 min
Before you go to the Quran, you must first be in a condition to understand what it is saying. The center of the Quran is Tauheed – Oneness. The Quran can be understood only when you, as the ego-mind, are connected to the same source that blessed the Prophet. Otherwise, you will misinterpret it. You are so full of ego that you want to remain what you are. By remaining what you are, if you apply your intellect to the scriptures, you will obviously distort them.
क्या लव एट फर्स्ट साइट होता है?
क्या लव एट फर्स्ट साइट होता है?
32 min
लव एट फर्स्ट साइट सबसे सशक्त प्रमाण होता है कि तुम गिरने जा रहे हो। इसीलिए उसके बाद होता है फॉलिंग इन लव। वास्तविक प्रेम होने में बहुत समय लगता है। सही व्यक्ति जब ज़िंदगी में आता है, तो कुछ भीतर चिढ़ेगा, और कुछ भीतर धीरे-धीरे प्रेम में पड़ता जाएगा। तुम अपने आप को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहो। एक दिन पाओगे, सही दिशा में चलता हुआ कोई हमसफ़र मिल गया है।
The economics of spirituality || On Vedanta (2021)
The economics of spirituality || On Vedanta (2021)
10 min

Questioner (Q): The right action dictated by spirituality is what the world requires, but if the world economy was to be structured around it, then wouldn’t that make most of the prevalent jobs and business models obsolete? If everybody becomes spiritual, won’t the world’s economic system collapse? If the economy

Grandpa Gave You the Best He Could, Stop Blaming Him
Grandpa Gave You the Best He Could, Stop Blaming Him
14 min
We have to accept responsibility for our lives, our times. At the center of our lives lies nobody else but the liver, the individual, the person. If you are the living entity, then your life is your responsibility. Philosophies from the past, knowledge from the past, traditions from the past, myths from the past — they are at best resources available to you in the form of knowledge, ammunition. But whose responsibility is it to utilize the knowledge, to load the ammunition, and fire it? Yours.
Why Do We Prefer Morality Over Spirituality?
Why Do We Prefer Morality Over Spirituality?
7 min
There is a deep fear that keeps us terrified—the fear that things can go wrong at any time. And there is an inner laziness that makes us unwilling to figure out our own direction. So, we choose morality that comes with a ready-made action plan. 99% of what goes around in the name of religion or spirituality is just stale morality.
Delayed Decisions: Balancing Productivity and Pleasure
Delayed Decisions: Balancing Productivity and Pleasure
13 min
Had there really been love, you would have completed it well ahead of time and submitted it already. This means you need the deadline. This means that it is just an imaginative fancy that you would complete it even in absence of deadline. You remove the deadline, and you find you will do nothing at all. Or maybe you will do one thing, claiming that one thing is your true love, whereas the fact is that you need to know five other things as well. Maybe without knowing those five other things, you cannot even know that one thing you claim to be in love with.
Cruelty originates from Religion?
Cruelty originates from Religion?
9 min
So the opposite of cruelty is not compassion. The opposite of cruelty is often either attachment or possessiveness or taking care of those who are related to you by way of self-interest. So that's the domain of duality. So yes, it is true that the mind wanders about in duality and then there is hope and there is hopelessness and then there is friendship and then there is enmity. So all these are aspects of duality but compassion does not sit anywhere in the dualistic framework.
मैं आपको गीता ही नहीं, ज़िन्दगी की लड़ाई सिखा रहा हूँ
मैं आपको गीता ही नहीं, ज़िन्दगी की लड़ाई सिखा रहा हूँ
23 min
मैं सिर्फ तुमको वही थोड़ी सिखा रहा हूं जो यहां दो घंटे सत्रों में बोलता हूं। यह जो पूरी संस्था है और इसका जो पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर है, इसके पूरे जो कार्यकलाप है और इसका जो पूरा प्रबंधन है वो मैं नहीं सिखा रहा हूं क्या आपको? कहीं से कोई बड़ी फंडिंग नहीं। हमारे पीछे ना परंपरा की कोई ताकत, ना कोई आश्रम, ना कोई सेठ ना कोई राजनेता उसके बाद भी इतना बड़ा यह हमने अभियान खड़ा कर दिया यह आप हमसे नहीं सीखोगे या बस यही सीखोगे कि आचार्य जी तो बस गीता जानते हैं।