वासना निर्बल और निराधार क्यों? || आचार्य प्रशांत, रवीन्द्रनाथ टैगोर पर (2018)
तुम मुझे रोज़मर्रा की निर्बल और निराधार वासना से बचते रहने की शक्ति देते रहो।
~ गीतांजलि
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, वासना को निर्बल और निराधार क्यों कह रहे हैं?
आचार्य प्रशांत: वासना को रवीन्द्रनाथ निर्बल इसीलिए कह रहे हैं, क्योंकि वासना में बल होता तो वासना उसको पा… read_more