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खुद को बेहतर
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"खुद को बेहतर"
ग्रन्थ बेहतर, या ध्यान?
...ग्रन्थ
बेहतर
, या ध्यान?...
इस बंदे को रोक कर दिखाओ || नीम लड्डू
...इस बंदे
को
रोक कर दिखाओ || नीम लड्डू...रुकेगा भी तो, पल-दो-पल
को
रुकेगा, हफ्ते-दो-हफ्ते
को
रुकेगा, महीने-दो-महीने
को
रुकेगा। ...इस बंदे
को
रोक कर दिखाओ नीम लड्डू...
अकेले रह जाना ही बेहतर है || नीम लड्डू
...गाड़ी की संगत की जाती है ताकि गाड़ी तुम्हें मंज़िल पर पहुँचा दे और कोई तुम्हें ऐसी गाड़ी ला कर दे जिसे तुम ही धक्का मार रहे हो तो ऐसी गाड़ी से तो कहीं
बेहतर
है पैदल चलना न? ...अकेले रह जाना ही
बेहतर
है || नीम लड्डू...
केसरी फ़िल्म, कैसे और बेहतर हो सकती थी? || (2019)
... प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, केसरी फ़िल्म के बारे में कुछ कहें। क्या ये फ़िल्म और
बेहतर
हो सकती थी? कैसे? आचार्य प्रशांत: वीरता भी यकायक नहीं आती। ...केसरी फ़िल्म, कैसे और
बेहतर
हो सकती थी? || (2019)...
यहाँ' से बेहतर कोई जगह नहीं || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)
...और जहाँ हो, वो तुम्हें पसंद नहीं है। तो तुम
ख़ुद
तैयारी कर रहे हो फँसने की और फँसे ही रहने की! ...यहाँ' से
बेहतर
कोई जगह नहीं || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)...
गुलामी की लंबी ज़िन्दगी बेहतर, या आज़ादी के कुछ पल?
...मैं नहीं कह रहा हूँ कि आत्महत्या कर लो, कि
खुद
ही मर कटो। देने वाले ने अगर डेढ़-सौ साल जिला दिया तुम्हें, तुम जियो, पर कामना क्यों है कि मैं सौ साल जियूँ, बताओ? ...गुलामी की लंबी ज़िन्दगी
बेहतर
, या आज़ादी के कुछ पल?...
अकेले रहना बेहतर है, या दूसरों के साथ? || आचार्य प्रशांत (2019)
...अकेले रहना
बेहतर
है, या दूसरों के साथ? || आचार्य प्रशांत (2019)... प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, अकेले रहना
बेहतर
है, या दूसरों के साथ? आचार्य प्रशांत: दोनों में कुछ पता चलता है। ...
सत्य के सान्निध्य से बेहतर कोई विधि नहीं || आचार्य प्रशांत (2015)
...तो पहली चीज़ तो यही है कि तुम्हारे भीतर कुछ प्रकाशित हो, फिर अपने प्रकाश में तुम
खुद
अपनी विधियाँ तय कर लोगे।
खुद
जान जाओगे कि तुम्हें अपने लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए। ...सत्य के सान्निध्य से
बेहतर
कोई विधि नहीं || आचार्य प्रशांत (2015)...
घातक है ख़ुद को शरीर मानना, और घातक है ख़ुद को आत्मा मानना || आचार्य प्रशांत (2019)
...घातक है
ख़ुद
को शरीर मानना, और घातक है
ख़ुद
को आत्मा मानना || आचार्य प्रशांत (2019)...
ख़ुद से प्यार करना सीखो || नीम लड्डू
...
ख़ुद
से प्यार करना सीखो || नीम लड्डू...
ब्रेकअप के बाद सच बेहतर समझ आता है || आचार्य प्रशांत (2020)
...गहरी चाहत, पहली कामना, मूल कामना, मदर डिज़ायर । और
ख़ुद
को बचाकर रखने के लिए जो हो सकता है, यथासंभव हमसब करते हैं। ...ब्रेकअप के बाद सच
बेहतर
समझ आता है || आचार्य प्रशांत (2020)...
खुद को जानने की कोशिश तुम्हें खुद से दूर ही ले जायेगी || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)
...स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं। सत्र देखें:
खुद
को जानने की कोशिश तुम्हें
खुद
से दूर ही ले जायेगी इस विषय पर और लेख पढ़ें: लेख १: मरोगे अकेले ही (Death – a great reminder of aloneness) लेख २: मैं मन का गुलाम क्यों? ...
खुद
को जानने की कोशिश तुम्हें
खुद
से दूर ही ले जायेगी || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)...
बाहर देख ख़ुद को भूल ही जाते हो || (2015)
...आचार्य: जो ऊँचे-से-ऊँचा,
बेहतर
-से-
बेहतर
कह सकता हूँ कह ही रहा हूँ। मैं किससे प्रतिस्पर्धा कर रहा हूँ भाई? ...बाहर देख
ख़ुद
को भूल ही जाते हो || (2015)...
ख़ुद को क्या समझते हो? दुनिया को कितना जानते हो? || (2020)
...जीवन का अर्थ ही है निरंतर आत्म-विकास की यात्रा। अपने आप को लगातार
बेहतर
-से-
बेहतर
बनाना है। अब पशु अगर अपने आप को
बेहतर
-से-
बेहतर
बनाएगा तो क्या करेगा? ...
ख़ुद
को क्या समझते हो? दुनिया को कितना जानते हो? ...
मेहनत करो, खुद कमाओ || आचार्य प्रशांत
...भई, वो जो तुम्हारे घर में तनख़्वाह आयी है, वो पैसा कहीं से तो आया होगा न। सरकार
ख़ुद
तो पैसे बनाती नहीं। सरकार तो इतना ही करती है कि इधर (हाथ से बाईं ओर इशारा करते हुए) का पैसा, इधर (हाथ से दाईं ओर इशारा करते हुए)। ...मेहनत करो,
खुद
कमाओ || आचार्य प्रशांत...
खुद को बचाना है, या प्रेम को पाना है? || आचार्य प्रशांत (2023)
...उनको खिलाती है थोड़ा सा, वो क्या ही खाऍंगे, उसके बाद सारा
ख़ुद
खा जाती है। समझ में आ रही है बात ये? प्रेम को जब शर्तों से प्यार होता है तो उससे पाखंड का जन्म होता है। ...
खुद
को बचाना है, या प्रेम को पाना है? || आचार्य प्रशांत (2023)...
ख़ुद को क्यों नहीं जानता? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...मैं क्यों ऐसे जी रहा हूँ? इसी का नाम है
खुद
को जानना, और कोई तरीका नहीं है
खुद
को जानने का। ...
ख़ुद
को क्यों नहीं जानता? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
खुद को ही क्यों नहीं खा जाते? || आचार्य प्रशांत (2021)
...मैं कह रहा हूँ, पहला जीव तो तुम
खुद
ही हो
खुद
को क्यों नहीं खा जाते?
खुद
को खाकर बोलो "जीव जीवस्य भोजनम्"। ...
खुद
को ही क्यों नहीं खा जाते? || आचार्य प्रशांत (2021)...
जीवन को खुद जानो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...वो भी तुम पता कर सकते हो,
खुद
जानो। विज्ञान का आधार है प्रयोगशाला, वो इसीलिए है कि
खुद
जानो, इसलिए थोड़ी है कि मान लिया। ...जीवन को
खुद
जानो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
जो खुद को जवान कहते हों || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
...जो
खुद
को जवान कहते हों || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू...
अपने बंधन तुम खुद हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...तुम जो हो, वो रहते हुए तुम्हें कभी मुक्ति नहीं मिल सकती क्योंकि तुम
खुद
ही बंधन हो। तुम अपने बारे में जो कुछ सोचते हो, तुम
खुद
ही तो बंधन हो। ...अपने बंधन तुम
खुद
हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
कैसे जानें खुद को? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)
...कैसे जानें
खुद
को? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)...
HIDP है खुद को देखने के लिए || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...HIDP है
खुद
को देखने के लिए || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
विषयों को नहीं, ख़ुद को बदलो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)
... विषयों को नहीं,
ख़ुद
को बदलो प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। आज आपने ये बताया कि प्रकृति कर्ता है, तुम अकर्ता हो। ...विषयों को नहीं,
ख़ुद
को बदलो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)...
कहीं हम खुद को धोखा तो नहीं दे रहे? || आचार्य प्रशांत (2019)
...मेरा सवाल ये था कि हम जब
ख़ुद
के साथ बेईमानी करते हैं, जब
ख़ुद
को धोखे में रखते हैं, जैसे हम ये जानते हैं कि जो छोटी-मोटी बीमारियाँ हैं, जो छोटी-मोटी परेशानियाँ हैं वो—अगर रोज़ हम योग करें या मेडिटेशन (ध्यान) या कुछ ऐसा तो—वो ठीक हो सकती हैं। ...कहीं हम
खुद
को धोखा तो नहीं दे रहे? || आचार्य प्रशांत (2019)...
अपने रास्ते की बाधा तुम खुद हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...तुम अपनी कोशिश छोड़ दो तो सारे काम हो जाएंगे। तुम
खुद
बीच में खड़े हुए हो। मैं
खुद
काम शुरू क्यों नहीं कर पाता? ...अपने रास्ते की बाधा तुम
खुद
हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
खुद को सज़ा देना सीखो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
...
खुद
को सज़ा देना सीखो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू...
आपको वहीं भेजता हूँ जहाँ खुद गया हूँ || आचार्य प्रशांत (2019)
...आपको वहीं भेजता हूँ जहाँ
खुद
गया हूँ || आचार्य प्रशांत (2019)...
खुद को हराना सीखो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)
...और तुम
खुद
प्रसन्न हो जाते हो, वाह! वाह! क्या बात है अमेरिका घूम रहे हैं। ...
खुद
को हराना सीखो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)...
आदर्श बनाने की जगह खुद को देखो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...के अनुसार चलना है या अपनी ज़िन्दगी
खुद
जीनी है, या टीवी के अंदर घुस के जीना है। तो इतनी जल्दी किसी के कहने पर यकीन न करिये। ...आदर्श बनाने की जगह
खुद
को देखो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
खुद को जानने के लिये दूसरे की मदद क्यों लूँ? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)
...इसीलिए शुरू में ऐसा हो सकता है कि तुमको किसी के शब्दों पर ध्यान देना पड़े, *टू नो योरसेल्फ़, टू नो लाइफ़ (स्वयं को जानना, जीवन को जानना) पर जैसे-जैसे समय बढ़ेगा तुम ये देखोगे कि किसी के शब्दों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है जीवन
ख़ुद
एक खुली किताब है। ऑब्ज़र्व लाइफ़ एंड यू विल कम टू नो एवरीथिंग, जस्ट ऑब्ज़र्व योर डेली रुटीन, फ्रॉम द मॉर्निंग टिल द नाइट जस्ट ऑब्ज़र्व योर डेली रुटीन, देन यू विल नॉट इवन नीड अ बुक, आर यू गेटिंग इट? ...
खुद
को जानने के लिये दूसरे की मदद क्यों लूँ? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)...
खुद जग जाओ, नहीं तो ज़िंदगी पीट कर जगाएगी || आचार्य प्रशांत (2019)
...तो कुल मिलाकर के ये दो विकल्प हैं, जो कि — या तो अपनी चेतना के साथ ईमानदारी बरतो और उठ जाओ, या फिर किसी दैवीय अनुकम्पा की प्रतीक्षा करो। इन दोनों में से
बेहतर
विकल्प कौन-सा है? भैया,
ख़ुद
ही उठ जाओ! नहीं तो कहते हैं न - "
ख़ुदा
की लाठी बे-आवाज़ होती है, पर पड़ती बहुत ज़ोर की है।...
खुद
जग जाओ, नहीं तो ज़िंदगी पीट कर जगाएगी || आचार्य प्रशांत (2019)...
भगवान नहीं करेंगे, खुद करो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)
...ये बड़ा पलायनवादी सूत्र है। ये
खुद
को सान्त्वना देने का बेईमान बहाना है। गलत दिशा में चलो। ...भगवान नहीं करेंगे,
खुद
करो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)...
तुम पुरुष हो, प्रकृति से ख़ुद को अलग जानो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)
...आचार्य: अच्छा, अपने हाथ को
ख़ुद
ही देख भी पा रहे हो? प्र: जी। आचार्य: तो तुम प्रकृति हो या पुरुष हो? ...तुम पुरुष हो, प्रकृति से
ख़ुद
को अलग जानो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)...
मन को बदलने दो, बाहरी माहौल खुद ही बदल जाएगा || आचार्य प्रशांत (2017)
...आचार्य प्रशांत: ऐसा ही है लेकिन ये भी तय है कि अगर भीतर का माहौल बदलता है तो आदमी
खुद
ही बाहर का माहौल बदल देता है। आदमी
खुद
ही ऐसे चुनाव करता है जो बाहर का माहौल बदल देंगे। ...मन को बदलने दो, बाहरी माहौल
खुद
ही बदल जाएगा || आचार्य प्रशांत (2017)...
दूसरों के ख़िलाफ़ जाना आसान है, अपने ख़िलाफ़ जाना मुश्किल || आचार्य प्रशांत (2019)
...दूसरों
को
तो बहुत होता है न, कि जता आते हो कि हम बड़े आदमी हैं, हम बड़े सच्चे आदमी हैं, हम
बेहतर
, बढ़िया आदमी हैं। ...
खुद को बदलने का एक अचूक तरीका (ज़िद्दी आदतें छूट जाएँगी) || आचार्य प्रशांत (2023)
...' अगले दिन से बिस्किट बन्द हो गया। अब वो
ख़ुद
ही कुछ ले आता है पपड़ी जैसा कि लो ये चबा लो अपनी चाय के साथ। ...
खुद
को बदलने का एक अचूक तरीका (ज़िद्दी आदतें छूट जाएँगी) || आचार्य प्रशांत (2023)...
आज हर इंसान, हर वर्ग, खुद को शोषित क्यों कहता है? || आचार्य प्रशांत (2020)
...ऐसा मान लेने से हमें लगता है कि जैसे हमने
खुद
को समझा लिया, जैसे हमें बात स्पष्ट हो गयी, जैसे हम जान गये कि हमारे दुखों का कारण कौन है। ...आज हर इंसान, हर वर्ग,
खुद
को शोषित क्यों कहता है? || आचार्य प्रशांत (2020)...
यारों से सावधान! || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
...वो ये नहीं कहता कि बदलो, बल्कि आप अगर बदलना चाहते हो,
बेहतर
होना चाहते हो तो वो आपको खींच और लेता है टाँग पकड़कर नीचे से कि
बेहतर
हो मत जाना कहीं तुम! ...
All fear is the product of ego || Acharya Prashant, with youth (2013)
...इगो(Ego), मोहम्मद, इसी छवि का नाम है। कि मैं
खुद
को
जानता नहीं साफ़-साफ़। दूसरों ने मुझे कुछ दे दिया है, और मैंने उसी
को
पकड़ लिया है। ...
इतना धोखा खुद को क्यों देते हैं हम? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
...तो अगर कोई व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए, मार्केटिंग (प्रचार) के उद्देश्य से कहीं दान देता है और वो
ख़ुद
भी उसको दान नहीं मानता;
ख़ुद
भी उसे पता है कि इससे कोई मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी, तो क्या ये भी उसके लिए एक बंधन का कारण बन सकता है? ...इतना धोखा
खुद
को क्यों देते हैं हम? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)...
प्रकृति बची रहेगी, ख़त्म इंसान होगा || आचार्य प्रशांत, आइ.आइ.टी दिल्ली में (2020)
...हम बार-बार बोलते हैं, ‘देखो, इंसान पागल है, प्रकृति
को
नष्ट कर रहा है।‘ ये बात बल्कि पागलपन
को
सिद्ध करती है कि इंसान सोच रहा है कि वो प्रकृति
को
नष्ट कर सकता है। ...
इंसान जल्द ही 200 साल जिएगा, और ये होगा अंजाम || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
...समझ में आ रही है बात? अध्यात्म
को
छोड़ दीजिए, विज्ञान
को
अध्यात्म में मत लाइए और अध्यात्म
को
वैज्ञानिक बनाने का प्रयास मत करिए। ...
असली प्रेम की क्या पहचान? || आचार्य प्रशांत (2017)
...आप जान चुके हैं इन बातों
को
। आप कॉलरा
को
, आप डायबिटीज़ (मधुमेह)
को
, आप मलेरिया (दुर्वात)
को
, आप टीबी (क्षयरोग)
को
समझ चुके हैं। ...
बच्चियों की परवरिश में एक ज़रूरी बात || आचार्य प्रशांत (2022)
...तो खोज की प्रक्रिया में अपनेआप
को
ही चुनौती देनी पड़ती है, अपने अहंकार
को
तोड़ना पड़ता है; ये सिखाइए बच्चियों
को
। ...
आत्मा माने क्या? शुद्ध धर्म कैसा? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
... प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा प्रश्न है कि भगवान महावीर आत्मा
को
मानते हैं और भगवान बुद्ध आत्मा
को
अस्वीकार करते हैं। ...
पुनर्जन्म तो होता है, पर आपका नहीं होगा || आचार्य प्रशांत कार्यशाला (2023)
...वो कहते हैं, 'तुम बेकार ही इन दोनों
को
अलग समझते हो – जड़ और चेतन
को
'। जिसको तुम जड़ कह रहे हो चेतना उसी में छुपी रहती है। ...
ख़ुद से ये पूछा करो || नीम लड्डू
...कुल मिला कर जो उन्होंने बोला है, वो एक वाक्य में कहा जा सकता है; आपने जीवन के छः घंटे दिए हैं अभी-अभी इस टीवी
को
, क्यों दिए हैं भाई? जो करते हो उसपर ग़ौर करो। ...
Who is an honorable man?
...आदर आचरण की बात है – बाहरी बाहरी। जैसे किसी
को
सलाम कर लिया या पाँव छू लिए। सम्मान गहरी बात है- वास्तव में जानना । ...
Wisdom through songs || Acharya Prashant, on All India Radio (2022)
...गहरा ये भेद कोई मुझको बताए किसने किया है मुझपर अन्याय जिसका ही दीप वो बुझ नहीं पाए ज्योति दिये की दूजे घर
को
सजाए रात और दिन...
खुद
नहीं जानूँ ढूँढे किसको नज़र कौन दिशा है मन की डगर कितना अजब है ये दिल का सफ़र जियरा में आए जैसे कोई लहर रात और दिन... ...
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"खुद को बेहतर"
ग्रन्थ बेहतर, या ध्यान?
...ग्रन्थ
बेहतर
, या ध्यान?...
इस बंदे को रोक कर दिखाओ || नीम लड्डू
...इस बंदे
को
रोक कर दिखाओ || नीम लड्डू...रुकेगा भी तो, पल-दो-पल
को
रुकेगा, हफ्ते-दो-हफ्ते
को
रुकेगा, महीने-दो-महीने
को
रुकेगा। ...इस बंदे
को
रोक कर दिखाओ नीम लड्डू...
अकेले रह जाना ही बेहतर है || नीम लड्डू
...गाड़ी की संगत की जाती है ताकि गाड़ी तुम्हें मंज़िल पर पहुँचा दे और कोई तुम्हें ऐसी गाड़ी ला कर दे जिसे तुम ही धक्का मार रहे हो तो ऐसी गाड़ी से तो कहीं
बेहतर
है पैदल चलना न? ...अकेले रह जाना ही
बेहतर
है || नीम लड्डू...
केसरी फ़िल्म, कैसे और बेहतर हो सकती थी? || (2019)
... प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, केसरी फ़िल्म के बारे में कुछ कहें। क्या ये फ़िल्म और
बेहतर
हो सकती थी? कैसे? आचार्य प्रशांत: वीरता भी यकायक नहीं आती। ...केसरी फ़िल्म, कैसे और
बेहतर
हो सकती थी? || (2019)...
यहाँ' से बेहतर कोई जगह नहीं || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)
...और जहाँ हो, वो तुम्हें पसंद नहीं है। तो तुम
ख़ुद
तैयारी कर रहे हो फँसने की और फँसे ही रहने की! ...यहाँ' से
बेहतर
कोई जगह नहीं || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)...
गुलामी की लंबी ज़िन्दगी बेहतर, या आज़ादी के कुछ पल?
...मैं नहीं कह रहा हूँ कि आत्महत्या कर लो, कि
खुद
ही मर कटो। देने वाले ने अगर डेढ़-सौ साल जिला दिया तुम्हें, तुम जियो, पर कामना क्यों है कि मैं सौ साल जियूँ, बताओ? ...गुलामी की लंबी ज़िन्दगी
बेहतर
, या आज़ादी के कुछ पल?...
अकेले रहना बेहतर है, या दूसरों के साथ? || आचार्य प्रशांत (2019)
...अकेले रहना
बेहतर
है, या दूसरों के साथ? || आचार्य प्रशांत (2019)... प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, अकेले रहना
बेहतर
है, या दूसरों के साथ? आचार्य प्रशांत: दोनों में कुछ पता चलता है। ...
सत्य के सान्निध्य से बेहतर कोई विधि नहीं || आचार्य प्रशांत (2015)
...तो पहली चीज़ तो यही है कि तुम्हारे भीतर कुछ प्रकाशित हो, फिर अपने प्रकाश में तुम
खुद
अपनी विधियाँ तय कर लोगे।
खुद
जान जाओगे कि तुम्हें अपने लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए। ...सत्य के सान्निध्य से
बेहतर
कोई विधि नहीं || आचार्य प्रशांत (2015)...
घातक है ख़ुद को शरीर मानना, और घातक है ख़ुद को आत्मा मानना || आचार्य प्रशांत (2019)
...घातक है
ख़ुद
को शरीर मानना, और घातक है
ख़ुद
को आत्मा मानना || आचार्य प्रशांत (2019)...
ख़ुद से प्यार करना सीखो || नीम लड्डू
...
ख़ुद
से प्यार करना सीखो || नीम लड्डू...
ब्रेकअप के बाद सच बेहतर समझ आता है || आचार्य प्रशांत (2020)
...गहरी चाहत, पहली कामना, मूल कामना, मदर डिज़ायर । और
ख़ुद
को बचाकर रखने के लिए जो हो सकता है, यथासंभव हमसब करते हैं। ...ब्रेकअप के बाद सच
बेहतर
समझ आता है || आचार्य प्रशांत (2020)...
खुद को जानने की कोशिश तुम्हें खुद से दूर ही ले जायेगी || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)
...स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं। सत्र देखें:
खुद
को जानने की कोशिश तुम्हें
खुद
से दूर ही ले जायेगी इस विषय पर और लेख पढ़ें: लेख १: मरोगे अकेले ही (Death – a great reminder of aloneness) लेख २: मैं मन का गुलाम क्यों? ...
खुद
को जानने की कोशिश तुम्हें
खुद
से दूर ही ले जायेगी || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)...
बाहर देख ख़ुद को भूल ही जाते हो || (2015)
...आचार्य: जो ऊँचे-से-ऊँचा,
बेहतर
-से-
बेहतर
कह सकता हूँ कह ही रहा हूँ। मैं किससे प्रतिस्पर्धा कर रहा हूँ भाई? ...बाहर देख
ख़ुद
को भूल ही जाते हो || (2015)...
ख़ुद को क्या समझते हो? दुनिया को कितना जानते हो? || (2020)
...जीवन का अर्थ ही है निरंतर आत्म-विकास की यात्रा। अपने आप को लगातार
बेहतर
-से-
बेहतर
बनाना है। अब पशु अगर अपने आप को
बेहतर
-से-
बेहतर
बनाएगा तो क्या करेगा? ...
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को क्या समझते हो? दुनिया को कितना जानते हो? ...
मेहनत करो, खुद कमाओ || आचार्य प्रशांत
...भई, वो जो तुम्हारे घर में तनख़्वाह आयी है, वो पैसा कहीं से तो आया होगा न। सरकार
ख़ुद
तो पैसे बनाती नहीं। सरकार तो इतना ही करती है कि इधर (हाथ से बाईं ओर इशारा करते हुए) का पैसा, इधर (हाथ से दाईं ओर इशारा करते हुए)। ...मेहनत करो,
खुद
कमाओ || आचार्य प्रशांत...
खुद को बचाना है, या प्रेम को पाना है? || आचार्य प्रशांत (2023)
...उनको खिलाती है थोड़ा सा, वो क्या ही खाऍंगे, उसके बाद सारा
ख़ुद
खा जाती है। समझ में आ रही है बात ये? प्रेम को जब शर्तों से प्यार होता है तो उससे पाखंड का जन्म होता है। ...
खुद
को बचाना है, या प्रेम को पाना है? || आचार्य प्रशांत (2023)...
ख़ुद को क्यों नहीं जानता? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...मैं क्यों ऐसे जी रहा हूँ? इसी का नाम है
खुद
को जानना, और कोई तरीका नहीं है
खुद
को जानने का। ...
ख़ुद
को क्यों नहीं जानता? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
खुद को ही क्यों नहीं खा जाते? || आचार्य प्रशांत (2021)
...मैं कह रहा हूँ, पहला जीव तो तुम
खुद
ही हो
खुद
को क्यों नहीं खा जाते?
खुद
को खाकर बोलो "जीव जीवस्य भोजनम्"। ...
खुद
को ही क्यों नहीं खा जाते? || आचार्य प्रशांत (2021)...
जीवन को खुद जानो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...वो भी तुम पता कर सकते हो,
खुद
जानो। विज्ञान का आधार है प्रयोगशाला, वो इसीलिए है कि
खुद
जानो, इसलिए थोड़ी है कि मान लिया। ...जीवन को
खुद
जानो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
जो खुद को जवान कहते हों || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
...जो
खुद
को जवान कहते हों || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू...
अपने बंधन तुम खुद हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...तुम जो हो, वो रहते हुए तुम्हें कभी मुक्ति नहीं मिल सकती क्योंकि तुम
खुद
ही बंधन हो। तुम अपने बारे में जो कुछ सोचते हो, तुम
खुद
ही तो बंधन हो। ...अपने बंधन तुम
खुद
हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
कैसे जानें खुद को? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)
...कैसे जानें
खुद
को? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)...
HIDP है खुद को देखने के लिए || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...HIDP है
खुद
को देखने के लिए || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
विषयों को नहीं, ख़ुद को बदलो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)
... विषयों को नहीं,
ख़ुद
को बदलो प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। आज आपने ये बताया कि प्रकृति कर्ता है, तुम अकर्ता हो। ...विषयों को नहीं,
ख़ुद
को बदलो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)...
कहीं हम खुद को धोखा तो नहीं दे रहे? || आचार्य प्रशांत (2019)
...मेरा सवाल ये था कि हम जब
ख़ुद
के साथ बेईमानी करते हैं, जब
ख़ुद
को धोखे में रखते हैं, जैसे हम ये जानते हैं कि जो छोटी-मोटी बीमारियाँ हैं, जो छोटी-मोटी परेशानियाँ हैं वो—अगर रोज़ हम योग करें या मेडिटेशन (ध्यान) या कुछ ऐसा तो—वो ठीक हो सकती हैं। ...कहीं हम
खुद
को धोखा तो नहीं दे रहे? || आचार्य प्रशांत (2019)...
अपने रास्ते की बाधा तुम खुद हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...तुम अपनी कोशिश छोड़ दो तो सारे काम हो जाएंगे। तुम
खुद
बीच में खड़े हुए हो। मैं
खुद
काम शुरू क्यों नहीं कर पाता? ...अपने रास्ते की बाधा तुम
खुद
हो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
खुद को सज़ा देना सीखो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू
...
खुद
को सज़ा देना सीखो || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू...
आपको वहीं भेजता हूँ जहाँ खुद गया हूँ || आचार्य प्रशांत (2019)
...आपको वहीं भेजता हूँ जहाँ
खुद
गया हूँ || आचार्य प्रशांत (2019)...
खुद को हराना सीखो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)
...और तुम
खुद
प्रसन्न हो जाते हो, वाह! वाह! क्या बात है अमेरिका घूम रहे हैं। ...
खुद
को हराना सीखो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)...
आदर्श बनाने की जगह खुद को देखो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
...के अनुसार चलना है या अपनी ज़िन्दगी
खुद
जीनी है, या टीवी के अंदर घुस के जीना है। तो इतनी जल्दी किसी के कहने पर यकीन न करिये। ...आदर्श बनाने की जगह
खुद
को देखो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)...
खुद को जानने के लिये दूसरे की मदद क्यों लूँ? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)
...इसीलिए शुरू में ऐसा हो सकता है कि तुमको किसी के शब्दों पर ध्यान देना पड़े, *टू नो योरसेल्फ़, टू नो लाइफ़ (स्वयं को जानना, जीवन को जानना) पर जैसे-जैसे समय बढ़ेगा तुम ये देखोगे कि किसी के शब्दों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है जीवन
ख़ुद
एक खुली किताब है। ऑब्ज़र्व लाइफ़ एंड यू विल कम टू नो एवरीथिंग, जस्ट ऑब्ज़र्व योर डेली रुटीन, फ्रॉम द मॉर्निंग टिल द नाइट जस्ट ऑब्ज़र्व योर डेली रुटीन, देन यू विल नॉट इवन नीड अ बुक, आर यू गेटिंग इट? ...
खुद
को जानने के लिये दूसरे की मदद क्यों लूँ? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)...
खुद जग जाओ, नहीं तो ज़िंदगी पीट कर जगाएगी || आचार्य प्रशांत (2019)
...तो कुल मिलाकर के ये दो विकल्प हैं, जो कि — या तो अपनी चेतना के साथ ईमानदारी बरतो और उठ जाओ, या फिर किसी दैवीय अनुकम्पा की प्रतीक्षा करो। इन दोनों में से
बेहतर
विकल्प कौन-सा है? भैया,
ख़ुद
ही उठ जाओ! नहीं तो कहते हैं न - "
ख़ुदा
की लाठी बे-आवाज़ होती है, पर पड़ती बहुत ज़ोर की है।...
खुद
जग जाओ, नहीं तो ज़िंदगी पीट कर जगाएगी || आचार्य प्रशांत (2019)...
भगवान नहीं करेंगे, खुद करो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)
...ये बड़ा पलायनवादी सूत्र है। ये
खुद
को सान्त्वना देने का बेईमान बहाना है। गलत दिशा में चलो। ...भगवान नहीं करेंगे,
खुद
करो || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2022)...
तुम पुरुष हो, प्रकृति से ख़ुद को अलग जानो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)
...आचार्य: अच्छा, अपने हाथ को
ख़ुद
ही देख भी पा रहे हो? प्र: जी। आचार्य: तो तुम प्रकृति हो या पुरुष हो? ...तुम पुरुष हो, प्रकृति से
ख़ुद
को अलग जानो || आचार्य प्रशांत, श्रीमद्भगवद्गीता पर (2022)...
मन को बदलने दो, बाहरी माहौल खुद ही बदल जाएगा || आचार्य प्रशांत (2017)
...आचार्य प्रशांत: ऐसा ही है लेकिन ये भी तय है कि अगर भीतर का माहौल बदलता है तो आदमी
खुद
ही बाहर का माहौल बदल देता है। आदमी
खुद
ही ऐसे चुनाव करता है जो बाहर का माहौल बदल देंगे। ...मन को बदलने दो, बाहरी माहौल
खुद
ही बदल जाएगा || आचार्य प्रशांत (2017)...
दूसरों के ख़िलाफ़ जाना आसान है, अपने ख़िलाफ़ जाना मुश्किल || आचार्य प्रशांत (2019)
...दूसरों
को
तो बहुत होता है न, कि जता आते हो कि हम बड़े आदमी हैं, हम बड़े सच्चे आदमी हैं, हम
बेहतर
, बढ़िया आदमी हैं। ...
खुद को बदलने का एक अचूक तरीका (ज़िद्दी आदतें छूट जाएँगी) || आचार्य प्रशांत (2023)
...' अगले दिन से बिस्किट बन्द हो गया। अब वो
ख़ुद
ही कुछ ले आता है पपड़ी जैसा कि लो ये चबा लो अपनी चाय के साथ। ...
खुद
को बदलने का एक अचूक तरीका (ज़िद्दी आदतें छूट जाएँगी) || आचार्य प्रशांत (2023)...
आज हर इंसान, हर वर्ग, खुद को शोषित क्यों कहता है? || आचार्य प्रशांत (2020)
...ऐसा मान लेने से हमें लगता है कि जैसे हमने
खुद
को समझा लिया, जैसे हमें बात स्पष्ट हो गयी, जैसे हम जान गये कि हमारे दुखों का कारण कौन है। ...आज हर इंसान, हर वर्ग,
खुद
को शोषित क्यों कहता है? || आचार्य प्रशांत (2020)...
यारों से सावधान! || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
...वो ये नहीं कहता कि बदलो, बल्कि आप अगर बदलना चाहते हो,
बेहतर
होना चाहते हो तो वो आपको खींच और लेता है टाँग पकड़कर नीचे से कि
बेहतर
हो मत जाना कहीं तुम! ...
All fear is the product of ego || Acharya Prashant, with youth (2013)
...इगो(Ego), मोहम्मद, इसी छवि का नाम है। कि मैं
खुद
को
जानता नहीं साफ़-साफ़। दूसरों ने मुझे कुछ दे दिया है, और मैंने उसी
को
पकड़ लिया है। ...
इतना धोखा खुद को क्यों देते हैं हम? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
...तो अगर कोई व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए, मार्केटिंग (प्रचार) के उद्देश्य से कहीं दान देता है और वो
ख़ुद
भी उसको दान नहीं मानता;
ख़ुद
भी उसे पता है कि इससे कोई मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी, तो क्या ये भी उसके लिए एक बंधन का कारण बन सकता है? ...इतना धोखा
खुद
को क्यों देते हैं हम? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)...
प्रकृति बची रहेगी, ख़त्म इंसान होगा || आचार्य प्रशांत, आइ.आइ.टी दिल्ली में (2020)
...हम बार-बार बोलते हैं, ‘देखो, इंसान पागल है, प्रकृति
को
नष्ट कर रहा है।‘ ये बात बल्कि पागलपन
को
सिद्ध करती है कि इंसान सोच रहा है कि वो प्रकृति
को
नष्ट कर सकता है। ...
इंसान जल्द ही 200 साल जिएगा, और ये होगा अंजाम || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव (2022)
...समझ में आ रही है बात? अध्यात्म
को
छोड़ दीजिए, विज्ञान
को
अध्यात्म में मत लाइए और अध्यात्म
को
वैज्ञानिक बनाने का प्रयास मत करिए। ...
असली प्रेम की क्या पहचान? || आचार्य प्रशांत (2017)
...आप जान चुके हैं इन बातों
को
। आप कॉलरा
को
, आप डायबिटीज़ (मधुमेह)
को
, आप मलेरिया (दुर्वात)
को
, आप टीबी (क्षयरोग)
को
समझ चुके हैं। ...
बच्चियों की परवरिश में एक ज़रूरी बात || आचार्य प्रशांत (2022)
...तो खोज की प्रक्रिया में अपनेआप
को
ही चुनौती देनी पड़ती है, अपने अहंकार
को
तोड़ना पड़ता है; ये सिखाइए बच्चियों
को
। ...
आत्मा माने क्या? शुद्ध धर्म कैसा? || आचार्य प्रशांत, वेदांत महोत्सव ऋषिकेश में (2021)
... प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा प्रश्न है कि भगवान महावीर आत्मा
को
मानते हैं और भगवान बुद्ध आत्मा
को
अस्वीकार करते हैं। ...
पुनर्जन्म तो होता है, पर आपका नहीं होगा || आचार्य प्रशांत कार्यशाला (2023)
...वो कहते हैं, 'तुम बेकार ही इन दोनों
को
अलग समझते हो – जड़ और चेतन
को
'। जिसको तुम जड़ कह रहे हो चेतना उसी में छुपी रहती है। ...
ख़ुद से ये पूछा करो || नीम लड्डू
...कुल मिला कर जो उन्होंने बोला है, वो एक वाक्य में कहा जा सकता है; आपने जीवन के छः घंटे दिए हैं अभी-अभी इस टीवी
को
, क्यों दिए हैं भाई? जो करते हो उसपर ग़ौर करो। ...
Who is an honorable man?
...आदर आचरण की बात है – बाहरी बाहरी। जैसे किसी
को
सलाम कर लिया या पाँव छू लिए। सम्मान गहरी बात है- वास्तव में जानना । ...
Wisdom through songs || Acharya Prashant, on All India Radio (2022)
...गहरा ये भेद कोई मुझको बताए किसने किया है मुझपर अन्याय जिसका ही दीप वो बुझ नहीं पाए ज्योति दिये की दूजे घर
को
सजाए रात और दिन...
खुद
नहीं जानूँ ढूँढे किसको नज़र कौन दिशा है मन की डगर कितना अजब है ये दिल का सफ़र जियरा में आए जैसे कोई लहर रात और दिन... ...
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