खुद को जानने की कोशिश तुम्हें खुद से दूर ही ले जायेगी || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2014)
शुद्धम बुद्धम प्रियं निष्प्रपंचं निरामयां।
आत्मानं तं न जानंति तत्राभ्यासपरा जनाः।।
अष्टावक्र गीता, अध्याय १८, श्लोक ३५
(आत्मा के सम्बन्ध में जो लोग प्रयास में लग रहे हैं, वे अपने शुद्ध, बुद्ध, प्रिय, पूर्ण, निष्प्रपंच और निरामय
ब्रह्म स्वरुप को नहीं जानते)
आचार्य प्रशांत: तुम ये सब हो, पर तुम्हें… read_more