एक राम तो वो हैं जो दशरथ के बेटे थे, इतिहास का एक पात्र थे, जो व्यक्ति रूप में थे, जिन्होंने जीवन जिया, लीलाएँ कीं। और दूसरे राम वो हैं जिनकी ओर कबीर इशारा करते हैं। पहले राम दूसरे राम तक जाने का द्वार हैं। पहले राम की उपयोगिता ही इतनी है कि वो दूसरे ‘राम’ तक ले जा सकते हैं। पहले और दूसरे में अंतर ये है कि दूसरा ‘राम’ एक है, पहले राम अनंत हैं।
द्वार हज़ारों हैं। राम ही ‘राम’ का द्वार हों आवश्यक नहीं है। कृष्ण भी ‘राम’ के द्वार हैं। प्रत्येक संत राम का ही द्वार है। गुरु यदि गुरु है, तो ‘राम’ का द्वार है। ये समझिए कि राम एक कहानी हैं जो आपको कहानियों के पार स्थापित कर देते हैं। उस कहानी की उपयोगिता यही है कि चलती तो कहानी है, शुरू तो कहानी होती है, अंत कहानी में नहीं होता।राम से शुरुआत होती है और ‘राम’ में अंत होता है। पहले और दूसरे राम में साकार और निराकार का अंतर है। साकार से शुरुआत होगी, निराकार में अंत होगा।
एक राम तो वो हैं जो दशरथ के बेटे थे, इतिहास का एक पात्र थे, जो व्यक्ति रूप में थे, जिन्होंने जीवन जिया, लीलाएँ कीं। और दूसरे राम वो हैं जिनकी ओर कबीर इशारा...