आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
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क्या आपको आचार्य जी की शिक्षाओं से लाभ हुआ है? क्या आप चाहते हैं कि आचार्य जी की आवाज करोड़ों-अरबों लोगों तक पहुंचे? क्या आप यह देखना चाहते हैं कि जिस लक्ष्य के लिए आचार्य जी ने अपना जीवन समर्पित किया है, वह पूरा हो?
वे आपके लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। आप ही हैं जिन्हें उनकी मेहनत का लाभ मिलता है और आपके योगदान से ही यह मिशन आगे बढ़ेगा।
हमारी ज़रूरतें
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अक्टूबर'24 माह के लिए संसाधनों की आवश्यकता
प्राप्त : ₹ 32,84,858
(16%)
ज़रूरत : ₹ 2,00,00,000
315 लोगों ने सहयोग किया
18 दिन शेष
आज संस्था के सभी विभागों में कुलमिलाकर 200 से अधिक पूर्णकालिक सदस्य हैं। इसलिए लोगों ये जानकर अक्सर हैरानी होती है कि देश के करोड़ों लोगों तक पहुँचने के बाद भी संस्था के पास आज भी अपनी एक इंच ज़मीन भी नहीं! जी हाँ! एक इंच भी नहीं। अब तक सारा काम अलग-अलग जगहों पर किराय के कार्यालयों में ही चला है।

संस्था ने शुरुआत से ही अपने 80% संसाधन हमेशा प्रचारकार्य को समर्पित किए। जिसके कारण हम युद्धस्तरीय गति से देश ले कोने-कोने तक तो पहुँच गए, लेकिन कभी संस्था के काम के लिए कोई कार्यालय नहीं खड़ा कर पाए। ऐसे कार्यालय का अभाव आचार्य जी के मिशन की गति में एक बड़ी बाधा है। जिसके बिना आगे की यात्रा बेहद मुश्किल होगी।
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अक्टूबर'24 माह के लिए संसाधनों की आवश्यकता
प्राप्त : ₹ 6,34,592
(6%)
ज़रूरत : ₹ 1,00,00,000
482 लोगों ने सहयोग किया
18 दिन शेष
ज्ञान की लौ जलाएँ! वास्तविक बदलाव लाने में हमारे साथ जुड़ें। आपके द्वारा किया गया योगदान ज्ञान फैलाने, और सकारात्मक परिवर्तन लाने में एक निवेश है। आइए मिलकर एक उज्जवल व प्रबुद्ध विश्व का निर्माण करें।

आपके योगदान से फाउंडेशन के भीतर सभी विभागों को सुचारू कामकाज के लिए सहायता मिलती है। इन्हीं विभागों के माध्यम से आचार्य जी की सीख को हर दिन अपने शुद्धतम रूप में आप सभी तक पहुँचाना संभव हो पाता है।

लेकिन समय की माँग को देखते हुए हम इस काम की गति को बढ़ाना चाहते हैं। जिसके लिए हर माह अधिक संसाधनों की आवश्यकता है। शिक्षाओं के ऑनलाइन प्रचार, आई.टी., वीडियो एडिटिंग व निशुल्क परामर्श विभाग के लिए होने वाले व्यय के लिए संस्था इस माह 1 करोड़ रुपए की राशि जमा करना चाहती है।
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अक्टूबर'24 माह के लिए संसाधनों की आवश्यकता
प्राप्त : ₹ 58,612
(6%)
ज़रूरत : ₹ 10,00,000
34 लोगों ने सहयोग किया
18 दिन शेष
पुस्तक प्रकाशन विभाग को सहयोग करके आप हमें उन लोगों तक यह पुस्तकें पहुँचाने में मदद करते हैं जिन्हें इनकी सबसे ज़्यादा आवश्यकता है, और साथ ही इससे मानव कल्याण में भी योगदान होता है।

आपका सहयोग हमें निम्न तरह से सहायता करता है:

पुस्तकों के मूल्यों को कम करना
आईटी विकास - वेबसाइट, ऐप
डिजिटल मार्केटिंग - यह काफ़ी महँगा है, लेकिन इन पुस्तकों के बारे में लोगों को जागरुक करने में बहुत उपयोगी है
पुस्तकों का अनुवाद - गुजराती, तमिल, तेलगु, मराठी, बंगाली, आदि
उच्च गुणवत्ता वाली पुस्तकें बनाने के लिए पेशेवर प्रूफरीडर, अनुवादक, टाइपसैटर, ग्राफिक डिज़ाइनर, डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ आदि की नियुक्ति
पुस्तक छात्रवृत्ति - आर्थिक सीमाओं के कारण किताबें खरीदने में असमर्थ लोगों के घरों में पेपरबैक्स मुफ़्त में भेजी जाती हैं।
टीम व्यय

कम से कम इतना तो कर सकते हैं न?

भगत सिंह ने अंग्रेज़ों की असेम्ब्ली में धमाका करके खुद को पुलिस को सौंप दिया। कोई ज़रूरी नहीं था खुद को पुलिस को सौंपना, पहले कितनी ही बार आसानी से पुलिस को चकमा दे चुके थे। फिर क्यों इस बार स्वेच्छा से फाँसी के फंदे को चुन लिया उन्होंने?

उनसे पूछा गया तो बोले - मैं मर इसलिए रहा हूँ क्योंकि मेरे मरने से ही ये बात जन-जन तक पहुँच पाएगी। अगर मैं ज़िंदा रहा तो कुछ ही लोगों पर मेरा असर पड़ेगा, पर यदि मैं शहीद हो गया तो मेरे संदेश का प्रचार करोड़ों लोगों तक हो जाएगा। इसलिए फाँसी चुनना ज़रूरी है।

इतना बड़ा होता है सामाजिक काम में प्रचार का महत्व। आपकी संस्था भी अपना 80-90% समय, ऊर्जा, और संसाधन सामाजिक-आध्यात्मिक क्रांति के प्रचार में ही लगाती है। आचार्य जी सदा कहते हैं कि झूठ अपनेआप फैलता है पर सच को पालना-पोसना और प्रचारित करना पड़ता है।

आचार्य जी ताक़त और मुक्ति देने वाले सत्य को बोलते जा रहे हैं। पर बोलना एक बात है और उस बात को सब तक पहुँचाना बिल्कुल दूसरी बात।

जैसा हमने कहा कि हमारे 80-90% संसाधन प्रचार के काम में ही खर्च होते हैं। इस हद तक कि संस्था के लोग अपनी साधारण तनख़्वायें भी काट-काट के प्रचार कार्य को आगे बढ़ाते हैं। अपनी व्यक्तिगत ज़रूरतों और परिवार की माँगों को पीछे रखकर हम बस एक ही लक्ष्य रखते हैं: आचार्य जी की आवाज़ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचनी चाहिए।

भगत सिंह बहुत ऊँचे थे। उनकी तरह हम क्रांति के प्रचार के लिए जान तो नहीं दे पा रहे हैं लेकिन इतना ज़रूर है कि ज़िंदगी हमने सत्य के प्रचार-प्रसार के नाम कर दी है। झूठ, कमज़ोरी और दुःख बहुत फैल गए हैं— इनको हारना ही चाहिए। यही हमारा मिशन है।

जिस तरह से हमने सच को आप तक पहुँचाया है, क्या आप सच को सब तक पहुँचने में सहयोग देना चाहेंगे? एक व्यक्ति तक एक बार आचार्य जी की बात पहुँचाने में न्यूनतम 25 रुपए लगते हैं और करोड़ों-अरबों लोगों तक उनकी बात पहुँचानी ज़रूरी है।

साफ बात है—हमें संसाधनों की ज़रूरत है। मात्र भारत देश के ही लोगों तक पहुँचने हेतु ही सैकड़ों करोड़ रुपए की राशि चाहिए।

हम आम लोग हैं। शायद भगत सिंह की तरह जान नहीं दे सकते, शायद क्रांति को हम पूरा जीवन भी समर्पित नहीं कर सकते। लेकिन इतना तो कर ही सकते हैं कि दिल खोल कर सच के प्रचार को संसाधन दें।

कर सकते हैं न?

ये काम आपके लिए है, और इसमें हमें आपका समर्थन चाहिए। कृपया आर्थिक योगदान करें।

क्या आप जानते हैं आचार्य प्रशांत आप तक कैसे पहुँचे?

(फरवरी 2021 की अपील)

क्या आप जानते हैं आचार्य प्रशांत ने श्रीमद्भगवद्गीता पर पहला सत्र 2006 में किया था? आज से 15 साल पहले। और तब से आचार्य जी लगातार संवाद करे ही जा रहे हैं, इतना कि 100 किताबें छप चुकी हैं, और लगभग 300 और किताबें छपने की सामग्री तैयार है।

2006 से वार्ता कर रहे हैं, पर यूट्यूब चैनल शुरू हुए 5 साल और 8 साल बाद – यानि कि 2011और 2014 में। इतनी देर से क्यों? क्योंकि आचार्य जी का ध्यान प्रचार की ओर नहीं था।

चैनल शुरू होने के बाद भी रिकार्डिंग एक साधारण मोबाइल या हैंडीकैम से होती रही―कभी बोधस्थल के किसी साधारण कमरे में, और कभी किसी निर्जन पहाड़ पर। आचार्य जी अपने साधारण कपड़ों में बैठ जाते और कैमरे की परवाह किए बगैर बस ध्यान में खोए बोलते रहते।

नतीजा?

2018 तक चैनल पर 4000 वीडिओ थे, और सब्सक्राइबर सिर्फ़ 3000!

फिर 2019 से आचार्य जी के कुछ प्रशंसकों और अनुयाइयों ने सक्रिय रूप से संस्था से जुड़ना शुरू किया। वीडियो-औडियो रिकार्डिंग क्वालिटी बेहतर बनाने पर, सही स्टूडिओ जैसा माहौल बनाने पर, और पेशेवर एडिटिंग व शूटिंग विशषज्ञों पर पैसा खर्च किया गया। और फिर सबको यह स्पष्ट हुआ कि आज के माहौल में बिना ज़बरदस्त खर्चे के आचार्य जी की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार नहीं हो पाएगा।

किसी तरह संस्था पैसों का प्रबंध करके प्रचार का काम आगे बढ़ाती रही। सबसे अधिक धनराशि लगती है वीडीओ को पहुँच यानी 'रीच' देने में। आज का समय ऐसा नहीं है कि शुद्ध सच्ची बात अनेआप लोगों में प्रचलित हो जाए। हमारी बात आप तक तभी पहुँचती है जब संस्था भारी खर्चा करती है। उसी का नतीजा है कि आज 65 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर चैनल से जुड़ पाए हैं।

संस्था रोज दोनों चैनलों पर मिलाकर 10 से 15 वीडिओ डालती है, प्रतिदिन। और ये वीडिओ सबको मुफ़्त उपलब्ध हैं। अब (मई 2023) तक सिर्फ़ हिन्दी चैनल पर ही 150 करोड़ से ज़्यादा व्यूज़ आ चुके हैं।

लेकिन जिस अनुपात में संस्था मेहनत करके सत्र आयोजित कर रही है और वीडिओ प्रकाशित कर रही है, अगर उसी अनुपात में लोगों तक आचार्य जी की आवाज़ को पहुँचाना है, तो फिर प्रचार के लिए अथाह धन चाहिए।

आप तक भी आचार्य जी की आवाज़ इसीलिए पहुँच पाई क्योंकि किसी और ने संस्था को आर्थिक योगदान दिया था। वरना 2018 तक तो सिर्फ़ 3000 सब्सक्राइबर थे! अब आप इतने समय से इतने वीडियोज़ से लाभ उठा पा रहे हैं, इसकी हमें प्रसन्नता है।

क्या आपको आचार्य जी की सीख से लाभ हुआ है? क्या आप चाहते हैं कि आचार्य जी की बात करोड़ों और लोगों तक पहुँचे? क्या आप चाहते हैं कि जिस लक्ष्य को आचार्य जी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया है वो साकार हो?

भूलिएगा नहीं कि यदि आप तक और औरों तक आचार्य जी की बात नहीं पहुँच रही, तो मन को, जीवन को, राष्ट्र को, और धर्म को, अँधेरे में डुबोने वाली अंदरूनी वृत्तियाँ और बाहरी ताकतें हमें गिरफ़्त में लेने को पहले से तैयार बैठी हैं। दीपक का प्रकाश आपको अँधेरे से बचा सकता है, लेकिन दीपक की रक्षा आपको ही करनी होगी।

यदि अँधेरे से अधिक प्रकाश प्यारा हो, तो जितना अधिक से अधिक हो सके संस्था को आर्थिक योगदान दें। संस्था अपने किसी निजी लाभ के लिए एक रुपए की भी उम्मीद नहीं रखती, लेकिन हमने जो सच्चा और साहसिक लक्ष्य बनाया है उसे पाने के लिए संसाधन चाहिए।

आप ही हैं जिनके लिए हम जूझ रहे हैं, आप ही हैं जिन्हें हमारी मेहनत से लाभ होता है, आपके ही योगदान से यह संघर्ष आगे बढ़ेगा।