जब भी कोई विकल्प सामने आएगा, हम देख लेंगे कि यह विकल्प रखे हैं, हम मुक्ति को चुन लेंगे। मुक्ति फिर चुन लेगी कि इसमें से कौन-सा विकल्प ठीक है। हमने सारे विकल्प देखे, हमने कहा, "हम नहीं जानते तुम क्या हो। हमें तो बस एक चीज़ देखनी हैं – तुम में से कोई ऐसा तो नहीं जो मुक्ति छीनता हो हमारी? हमने मुक्ति को चुना हुआ है। मुक्ति पैमाना है, मुक्ति निर्णायक है। अब मुक्ति चुनेगी कि मेरे लिए क्या ठीक है। मुक्ति फिर जो भी चुन ले, मैं उसमें हस्तक्षेप नहीं करूँगा।" यह होता है भक्ति करना। यह होता है राम से ममता, संसार में समता।
ऐसा जीवन जीना सीखना चाहते हो तो राम से पहले रामभक्त के साथ समय बिताओ।
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