मानव जीवन समस्याओं से घिरा रहता है। अक्सर जो समस्यायें बाहर नज़र आ रही होती हैं वो वास्तव में मनुष्य के भीतर विराजमान होती हैं। आदमी का मन ही है जो सीमित में संतुष्टि खोजता है और दुःख पाता है क्योंकि उसका स्वभाव असीम है। आम जीवन एक दुःख से दूसरे दुःख की यात्रा भर है, सुख की खोज के माध्यम से। सिख गुरुओं द्वारा सुख और दुःख के पार आनन्दरुपी समाधान नितनेम साहिब में उपलब्ध कराया गया है। इस पाठ्यक्रम के कुछ चुनिन्दा श्लोकों को आचार्य प्रशांत के माध्यम से सरल भाषा में समझाया गया है।
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