संसारी वो जो संसार से लड़ता है और संन्यासी वो जिसे अब संसार दिखाई नहीं पड़ता इसीलिए कबीर अनूठे और न्यारे हैं। न वह संसार से दोस्ती रखते हैं, और न ही बैर रखते हैं। संसार की चपलता और कबीर साहब का अगाध प्रेम और भक्ति दो पंक्तियों में बहुत कुछ कह जाता है।
कबीर साहब किसे शूरवीर कह रहे हैं?
तपस्वी होने का क्या अर्थ है?
क्या सत्य के प्रति समर्पित होना संन्यास है?
कबीर साहब किसे संन्यासी कह रहे हैं?
इस पाठ्यक्रम के कुछ चुनिन्दा दोहे को आचार्य प्रशांत के माध्यम से सरल भाषा में समझाया गया है। जीवन को एक नई दिशा दीजिए आचार्य प्रशांत के साथ, कबीर साहब के दोहे पर आधारित इस सरल कोर्स में।
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