कबीर साहब के दोहे में वेदांत की आत्मा है। उनके दोहे एक या दो पंक्ति के ही होते हैं लेकिन कबीर साहब इतने बड़े हैं कि पूरे पकड़ आ जाएँ ये संभव नहीं है। किसी आम संसारी की तरह कबीर साहब कपड़ा बुनते और रोटी कमाते दिखते हैं लेकिन अपने दोहे से वह समाज की रीतियों पर व्यंग करते हैं और एक गुरु की तरह हमारा परिचय सत्य से कराते हैं।
इस पाठ्यक्रम के कुछ चुनिन्दा दोहे को आचार्य प्रशांत के माध्यम से सरल भाषा में समझाया गया है। जीवन को एक नई दिशा दीजिए आचार्य प्रशांत के साथ, कबीर साहब के दोहे पर आधारित इस सरल कोर्स में।
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