टोसुई एक जेन गुरु थे। जिन्होंने आश्रम के पारंपरिक ढंग के जीवन को त्याग दिया था, और एक पुल के नीचे भिकारियों के साथ रहते थे। शेष जीवन उन्होंने चावल से सिरका बनाते बनाते गुजारा। जिस झोपड़ी में वह रहते थे उस झोपडी में उन्होंने बुद्ध की तस्वीर लगाई।
दूसरी ज़ेन कहानी ये कहती है कि गुरु इक्यू जब नेनकवा की मृत्यु से पूर्व जब मिलने आए तो बोले तुम्हारी क्या मदद करूंँ?
इसपर नानकावा बोले अकेले आया था अकेले जाऊंँगा।
गुरू इक्यु ने बोला आओ तुम्हे वो रास्ता दिखाऊंँ जहांँ न कोई आता है न जाता है।
आगे क्या हुआ कहानी को पूरा जानने के लिए आचार्य प्रशांत के साथ जानेंगे ज़ेन कथाओं का मर्म इस सरल कोर्स में।
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