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आत्मज्ञान सूरज की तरह परम् को भी प्रकाशित करता है अर्जुन

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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 5 श्लोक 15 और 16 पर आधारित
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3 घंटे 18 मिनट
हिन्दी
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पठन सामग्री
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सहयोग राशि: ₹199 ₹500
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परिचय
लाभ
संरचना

अध्यात्म का कुल उपयोग है कि जीवन बेहतर हो और विधि है जीवन का अवलोकन। वेदांत बार बार इस बात पर ही जोर देता है कि आपका जीवन ही प्रमाण है आपके ज्ञान का। उपनिषद या श्रीमद्भगवद्गीता आपके जीवन में ही उतर जाएं उससे सुंदर कोई बात हो नहीं सकती है।

यहां पर श्रीकृष्ण भी अर्जुन को समझा रहे हैं की आत्मज्ञान ही है जो तुम्हारे मोह को नष्ट करेगा और आत्मा का ज्ञान करवाएगा। मोह का नष्ट होना तो समझ आता है लेकिन आत्मा का ज्ञान कैसे करवाएगा? यह क्या बोल गए श्रीकृष्ण?

और आगे कहते हैं कि आत्मज्ञान ही परम् को प्रकाशित करेगा। मगर परम् तो परम् है वह तो खुद प्रकाशित है तो आत्मज्ञान कैसे प्रकाशित करेगा?

श्रीकृष्ण की पहेलियां अर्जुन के लिए भी टेढ़ी खीर हैं। इस कोर्स में जानेंगे ऐसे ही टेढ़े सवालों के जवाब आचार्य प्रशांत संग।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

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